चीराचास के मैथिलों को एकसूत्र में पिरोयेगा मिथिला मंच

0
410

संवाददाता
बोकारो :
बोकारो का चीरा चास अब एक नये बोकारो शहर के रूप में विकसित होता जा रहा है। यहां की भव्य अट्टालिकायें, शानदार बाजार और लगातार बढ़ता जन-घनत्व इसका परिचायक है। यहां की आबादी में हजारों की संख्या में प्रवासी मिथिलांचलवासी भी शामिल हैं। उन सभी मैथिलों को एकसूत्र में पिरोकर एक मंच से जोड़ने की कवायद शुरू की है मिथिला मंच, चीरा चास ने। विधिवत पूजा-पाठ के साथ इस नये संगठन की शुरूआत की गयी। वास्तु विहार, फेज-2 के मंदिर में सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना के साथ यह शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने एकजुटता का संकल्प लेते हुए मिथिला मंच के बैनर तले सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी पारम्परिक विरासत संजोये रखने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।
मंच के सचिव जयप्रकाश चैधरी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चीरा चास में रहने वाले समस्त मैथिल इस संस्था का सदस्य हो सकते हैं। उन्होंने अधिकाधिक संख्या में मिथिला मंच, चीरा चास से जुड़कर संगठन को सशक्त बनाने की अपील की। मौके पर जेपी चैधरी, रामबाबू चैधरी, भूषण पाठक, लक्ष्मण मिश्र, मुक्तेश्वर मिश्र, मदन झा, रामदेव झा, हरि कुमार मिश्र, हरिवंश झा, भवेश झा, अमरजीत चैधरी, ऋषिकेश चैधरी, विजय कुमार मिश्र सहित सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे। सत्यनारायण-पूजन वरिष्ठ पुरोहिताचार्य पं. योगेन्द्र मिश्र ने विधिवत संपन्न कराया।

  • Varnan Live Report.

Previous articleशिक्षा-जगत में फिर गौरवान्वित हुआ बोकारो
Next articleजनता मेरे साथ, बनायेंगे नया गिरिडीह : चंद्रप्रकाश
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply