Mithila Diary : नये सांसद के लिए चैलेंज होगी जयनगर-सीतामढ़ी रेल परियोजना

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संवाददाता

सीतामढ़ी : मधुबनी, झंझारपुर और सीतामढ़ी क्षेत्रों से गुजरकर जयनगर-सीतामढ़ी रेल मार्ग की मांग लंबे समय से की जा रहा है। बुलेट ट्रेन के इस युग में बॉर्डर इलाकों को जोड़ने वाली जयनगर-सीतामढ़ी रेल परियोजना एक सपना बनकर ही रह गयी है, जिसे बनाने को लेकर करीब नौ साल पहले ही वर्ष 2009 में मंजूरी दी गई थी, मगर अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। यानी यह परियोजना खटाई में पड़ चुकी है। मालूम हो कि रेलवे बुक में इस रेल परियोजना का नाम दर्ज हैं, जिसे बनाने की स्वीकृति मिलने के बाद सर्वे भी किया गया, जहां सर्वे के बाद मार्ग को तय कर लगभग एक दर्जन स्टेशनों और हॉल्ट का चयन भी कर लिया गया। अधिग्रहण के लिए जमीन की मापी कर पिलर भी गाड़े गया, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इसके कारण परियोजना का कहीं कोई नाम-वजूद भी नहीं बन सका है। जयनगर-सीतामढ़ी रेल परियोजना बनने से तीन जिलों मधुबनी, सुपौल एवं सीतामढ़ी के निर्मली, लौकही, जयनगर, बासोपट्टी, हरलाखी, बेनीपट्टी, चरौत, सुरसंड और सीतामढ़ी प्रखंडों के दर्जनों गांवों को जोड़ा जा सकेगा। इस परियोजना के पूरी होने से बेनीपट्टी और सुरसंड जैसा महत्वपूर्ण बाजार रेल से जुड़ जाएगा। चुनाव के बाद जो नये सांसद बनेंगे, उनके लिये निश्चित रूप से उक्त परियोजना एक चुनौती होगी तो स्थानीय जनता के लिये उनसे एक बड़ी उम्मीद भी।

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