मैथिली कविता – जानकी

0
935
– रामचंद्र मिश्र ‘मधुकर’
वरिष्ठ साहित्यकार

अम्ब छथि, जगदम्ब छथि, अवलम्ब छथि मां जानकी।
धरणी धिया,सीता-सिया, रघुवर प्रिया मां जानकी।।

दुष्ट-नाशिनी, दनुज त्रासिनी, हरि उपासिनी जानकी।
शक्तिक स्वरूपा, प्रकृति रूपा, जग अनूपा जानकी।।

माया स्वरूपिणी, बंध मोचिनी, लवकुशक जननी जानकी।
जनक नन्दिनी, जगत बन्दिनी, ब्रह्म रंजिनी जानकी।।

भव भयक भंजनि, पाप गंजनि, रमारूपिणी जानकी।
मिथिलाक वाणी, अवध रानी, स्नेह दानी जानकी।।

भक्ति दायिनी, शक्ति दायिनी, मति प्रदायिनी जानकी।
शुभ मंगला, विद्या कला, छवि निर्मला छथि जानकी।।

अनुरागिनी,वरदायिनी, हरि भामिनी छथि जानकी।
लछुमनक माते, राम सीते, जन सुप्रिते जानकी।।

भवबंध मोचनि, सती शिरोमणि, कमल लोचनि जानकी।
श्रीभक्ति सुखकर, शक्ति रघुवर, मातृ ‘मधुकर’ जानकी।।

Previous articleEDITORIAL : पश्चिम बंगाल में दीदी की ‘दादागिरी’
Next articleएक लाख से अधिक मतों से जीतेंगे पीएन सिंह : अमर
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply