अयोध्या के संतों ने ममता को भेजे ‘जय श्री राम’ लिखे पोस्टकार्ड, कहा- श्रीराम का विरोध छोड़ो या फिर भारत

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जय श्री राम लिखित पोस्टकार्ड्स (फोटो साभार - Google images)

दिल्ली ब्यूरो
नई दिल्ली :
‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर पश्चिम बंगाल में घमासान मचा है। इस बीच भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या के साधु-संत भी अब इस मामले में कूद पड़े हैं। तपस्वी छावनी में डॉ. राम विलास दास वेदांती और स्वामी परमहंस दास ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘सद्बुद्धि’ के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। इसके अलावा उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री को या तो ‘जय श्री राम’ का विरोध छोड़ने या फिर ‘भारत छोड़ने’ के फरमान वाले पोस्टकार्ड लिखकर भेजे। उधर, वाराणसी के पातालपुरीमंदिर के महंत बालक दास ने भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘रामचरितमानस’की एक प्रति इस उम्मीद के साथ भेजी है कि इसे पढ़ने से उनकी सोच शुद्ध होगी। न्यास के वरिष्ठ सदस्य व पूर्व सांसद डॉ. राम विलास दास वेदांती ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘श्री राम’ के नाम का पोस्टकार्ड लिखा। साथ ही वेदांती ने संतों से आह्वान किया कि वे सभी लोग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘श्री राम’ लिखे पोस्टकार्ड भेजेंगे। तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास का कहना है कि बुद्धि- शुद्धि यज्ञ के साथ देवी शक्ति यज्ञ के माध्यम से राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना की गई है, जिससे केंद्र की सरकार को ईश्वरीय शक्ति प्राप्त हो सके। संतों का कहना है कि केंद्र सरकार कश्मीर में धारा 370 समाप्त करे, जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए। स्वामी परमहंस दास का कहना है कि जो राम विरोधी हैं, उनके लिए देश में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।  वाराणसी के पातालपुरी मंदिर के महंत बालक दास ने पत्रकारों से कहा कि मुझे उम्मीद है कि एक बार रामचरितमानस को पढ़ने के बाद उनकी सोच शुद्ध होगी। उन्होंने कहा कि वह (ममता बनर्जी) ‘जय श्रीराम’ के नारे का विरोध कर रही हैं, जो भगवान राम के प्रति उनकी नफरत को दर्शाता है। इस कारण एक दिन उनका पतन होना निश्चित है। मैंने उन्हें शास्त्र की एक प्रति भेजी है और मुख्यमंत्री से इसे पढ़ने काअनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि वह शास्त्र को समझने में ममता की मदद करने को तैयार हैं और उन्हें और अधिक प्रतियां भेजना जारी रखेंगे। ‘रामचरितमानस’ 16वीं शताब्दी के भक्ति पंथ के कवि गोस्वामीतुलसीदास द्वारा रचित हिंदी की अवधी बोली में एक महाकाव्य कविता है। ‘रामचरितमानस’ का शाब्दिक अर्थ है ‘राम के कर्मों की झील। इसे हिंदी साहित्य की सबसे बड़ी कृतियों में से एक माना जाता है।

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