जिन आंखों में थे समस्याओं के आंसू, उनमें चमकी विकास की उम्मीद की खुशी

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आजादी के बाद पहली बार ढोरी में लगा जनता दरबार

दीपक कुमार झा
बोकारो।
जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत बड़कीचिदरी पंचायत का ढोरी ग्राम, जहां के लोग आज तक विकास के मायने न जानते थे, न समझते थे, वहां अब तरक्की की एक नयी उम्मीद देखी जा रही है। इस गांव के लोगों की जिन आंखों में बदहाली के आंसू थे, उन आंखों में विकास की आस में खुशनुमा चमक देखी जा रही है। दरअसल, उनकी आंखें विकास की आस में पथरा सी गयीं थीं। सड़क, पानी की मूलभूत सुविधाओं से लेकर हर तरह की समस्याओं को उन्होंने अपनी नियति मान ली थी। लेकिन, उस नियति को बदलने की देर से ही सही, परंतु दुरुस्त पहल अब जाकर शुरू हो सकी है। वजह यह है कि आजादी के बाद पहली बार इस गांव में प्रशासन का कोई सक्षम नुमाइंदा पहुंचा और जनता दरबार का आयोजन हुआ। यह अनूठी पहल की है बेरमो के अनुमंडल पदाधिकारी प्रेम रंजन ने। मीडिया में ढोरी गांव की बदहाली उजागर होने के बाद श्री रंजन ने इसे गंभीरता से लिया और तत्परता के साथ यथाशीघ्र कार्रवाई करते हुए आज पूरे प्रशासनिक महकमे व लाव-लश्कर के साथ वहां पहुंच गये। जैसे ही गांव में प्रशासन के आने की खबर ग्रामीणों को लगी, उनमें खुशी एक लहर दौड़ गयी। बच्चे, बूढे, जवान महिलायें, बच्चे सभी पूरे उत्साह में अपने-अपने घरों से बाहर निकल गये और प्रशासन के समक्ष अपनी मैौजूदगी दिखाते हुए समस्यायें रखीं। ग्रामीणों की स्थिति एेसी थी कि खुशी के मारे वे फूले नहीं समा रहे थे। मानो उनके लिये इससे बड़ा कौतूहल और कुछ भी नहीं। कोई अफसरों को निहार रहा था तो कोई उनकी बातों को गौर से सुन रहा था। जाहिर है पहली बार जिन ग्रामीणों ने यह स्थिति देखी उनके लिये अधिकारी तारणहार ही लग रहे थे और अगर अधिकारियों ने दशकों की समस्यायें दूर कर ग्रामीणों को विकास व समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया तो यकीनन ने इन गांव वालों के लिये फरिश्ता ही साबित होंगे।


बुधवार को नव प्राथमिक विद्यालय ढोरी के समक्ष आयोजित इस जनता दरबार में पहुंचे एक ग्रामीण मनोरंजन ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद से लेकर आज तक उनके गांव में एक भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा था। जनता दरबार क्या होता है, आज ढोरी के वासियों ने जाना। उसने कहा कि उसके गांव की कई प्रसूता मातायें-बहनें सड़कविहीन रास्ते से मुख्य सड़क और अस्पताल तक जाते-जाते दम तोड़ चुकी हैं। कारण कि उनका गांव मुख्य सड़क से 30 किलोमीटर दूर है और गांव में आने-जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। मनोरंजन ने कहा कि अब जाकर उसके साथ-साथ उसके पूरे परिवार और गांव के सभी लोगों में काफी खुशी है कि प्रशासन कम से कम उनकी सुध लेने तो आया। बबलू मांझी नामक एक अन्य ग्रामीण ने भी प्रशासन की इस कवायद को सराहते हुए कहा कि अब उनलोगों में गांव की तकदीर और तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है। इनके अलावा कई अन्य ग्रामीणों ने भी खुशी और उम्मीद का साथ-साथ इजहार किया।

जल्द बनेगी सड़क, टैंकर से जलापूर्ति भी

जनता दरबार के क्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बेरमो के अनुमंडलाधिकारी प्रेम रंजन ने कहा कि गांव में आने-जाने का रास्ता नहीं होने से परेशानी है। मामला संज्ञान में आने के बाद उन्होंने समस्या को समझा है और ग्रामीणों की दिक्कतों को दूर करने के लिये ही प्रखंड और अनुमंडल का पूरा प्रशासनिक महकमा लेकर वह ढोरी गये। उन्होंने बताया कि उक्त गांव में सड़क बनाने के लिये वन विभाग की एनओसी दिलायी जायेगी, क्योंकि जमीन वन विभाग की ही है। इसके लिये वनाधिकार समिति की बैठक में भी सहमति बन गयी है और इसकी रिपोर्ट व अनुशंसा उपायुक्त को भेजकर अग्रतर कार्रवाई की जायेगी। आशा है कि जल्द ही सड़क-निर्माण का कार्य शुरू हो सकेगा। इसी प्रकार पेंशन की समस्या सामने आयी है, जिसे एक हफ्ते में दूर कर लिया जायेगा। चापाकल के पानी के खराब असर को लेकर जांच कराकर आगे यथोचिक कार्रवाई होगी, फिलहाल गुरुवार से ही टैंकर से गांव में पानी की आपूर्ति चालू करायी जायेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यहां छोटे-छोटे के बच्चों को पढ़ने के लिये काफी दूर जाना पड़ता है। अकेले इस गांव में 100 से ज्यादा बच्चे हैं। प्रशासन गांव में मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र बनाने की कार्रवाई शुरू करेगा। 


नपेंगे स्वास्थ्य केन्द्र के डाक्टर, होगी दूसरी व्यवस्था

गांव के लोगों के लिये स्वास्थ्य-समस्याये दूर करने के बारे में एसडीओ ने कहा कि चतरोचट्टी स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्होंने खुद बुधवार को जायजा लिया। अस्पताल पूरी तरह से बंद मिला। उन्होंने प्राप्त शिकायतों के आलोक में बताया कि यहां बुधवार और शनिवार को डाक्टर को बैठना है, लेकिन वे नहीं आते हैं। इसके लिये उनके विरुद्ध रिपोर्ट तैयार कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी। फिर दूसरे डाक्टर को यहां बैठाया जायेगा। ग्रामीणों की मांग के अनुरूप अधिकाधिक चिकित्सीय उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर भी वह डीसी तक बात रखेंगे। गांव में एएनएम के नहीं आने की भी शिकायत मिली है। उस पर भी कार्रवाई होगी। उल्लेखनीय है कि उक्त अस्पताल में डाक्टर कभी नहीं आते और कम्पाउडर ही कभी-कभार मरीजों का इलाज करते देखे जाते हैं। अस्पताल में न तो डाक्टर के बैठने के लिये ठीक कुर्सी है और न ही मरीजों के लिये कोई व्यवस्था।
एक कंपाउडर, एक एएनएम और दो सहिया के भरोसे जैसे-तैसे चल रहे इस अस्पताल की दुर्दशा सुधारने का भरोसा एसडीओ ने दिलाया। जनता दरबार में एसडीओ के अलावा मुख्य रूप से गोमियी की बीडीओ मोनी कुमारी, अंचलाधिकारी ओम प्रकाश मंडल, अंचल निरीक्षक सुरेश प्रसाद वर्णवाल, पंचायत सेवक नरोत्तम कुमार, पंचायत के मुखिया टुकन महतो समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मी मौजूद थे। ग्रामीणों ने मूलतः सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना आदि से संबंधित समस्यायें रखीं। बता दें कि ढोरी गांव बारिश के दिनों में पूरी तरह से एक टापू में बदल जाता रहा है और उन दिनों अगर कोई बीमार पड़ता है तो उसे खाट पर टांगकर लाद ले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता। आज तक गांव में बीडीओ, सीओ तक भी नहीं गये थे। पहली बार इस तरह का सरकारी मजमा आज गांव में लगा, जिसे लेकर लोगों में जाहिर तौर पर एक खासी खुशी व उम्मीद देखी जा रही है।

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