बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में पिछले दिनों बारिश ने ऐसी तबाही मचायी कि उसने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। खासकर, बिहार की राजधानी पटना में जो जल प्रलय हुआ, उसने बड़े बड़ों का कलेजा दहला दिया। राजधानी पटना में जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। कई इलाकों में लोगों के घर डूब गये और सड़कों पर वाहनों की जगह नाव चलते रहे। एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम ने पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और अभी तक राहत अभियान चला रही है। कई सामाजिक संगठन भी लोगों को सहायता पहुंचा रहे हैं। लेकिन, तमाम कोशिशों के बावजूद शहर के नाले जाम पड़े हैं और जल निकासी के सारे इंतजाम फेल हो गये हैं। बारिश थमने के बाद शहर के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति है और महामारी फैल रही है। इसी बीच मौसम विज्ञान ने फिर से अलर्ट जारी कर दिया है। इससे लोग दहशत में हैं। मौसम विभाग के अनुसार राजधानी पटना समेत मध्य बिहार के कुछ इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। पिछले चार दिनों की हुई भारी बारिश में पटना सहित राज्य के कई इलाकों में 55 लोगों की मौत हो चुकी है। जलजमाव वाले क्षेत्रों में वायुसेना के जवान भी लोगों को सहायता पहुंचाने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बारिश से हुई या तबाही को प्राकृतिक आपदा बता रहे हैं। उनके अनुसार इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन सच्चाई यही है कि इस प्राकृतिक आपदा के लिए बहुत हद तक मनुष्य भी जिम्मेदार है। पर, शहर में भयानक जलजमाव ने पटना नगर निगम की कार्य-प्रणाली की भी पोल खोलकर रख दी है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पर जरूर सवाल खड़े करते हैं। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय के अनुसार केन्द्र सरकार अपने स्तर से पटना समेत बिहार में बारिश एवं नदियों में आयी बाढ़ से निपटने के लिए राज्य सरकार को हर संभव मदद कर रही है। इसी बीच पटना शहर के कई इलाकों में मची तबाही और इससे निपटने में राज्य सरकार की बदइंतजामी को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना भी हो रही है। लोग परेशान हैं। अस्पतालों में लम्बी कतारें लग रही हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को चाहिये कि वह प्रभावित क्षेत्रों से जल निकासी के साथ-साथ फैल रही महामारी को रोकने और लोगों को राहत देने की दिशा में जल्द से जल्द ठोस और सार्थक कदम उठाये।