
माननीय भागवत जी, आपने खाली पीली एक बवाल खड़ा कर दिया। क्या हो गया है आपको ? आजकल कई बार आपको अपने शब्दों द्वारा उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिए अलग से स्पष्टीकरण देना पड़ता है। आपको क्या पता नहीं था कि पंडित शब्द से बवाल होगा? अब स्पष्टीकरण दे रहे हैं कि पंडित शब्द के क्या मायने हैं।
अव्वल तो माननीय सरसंघ चालक ये बात साफ है कि Caste और जाति एक नहीं है। Caste को भारतीयों ने नहीं और भारतीय शास्त्रों ने नहीं परन्तु अंग्रेजों ने सौ सालो मे बनाया और हमने उसे पाल पोस कर पिछले 70 वर्षों से ढोया । जाति हमारे वर्ण व्यवस्था र्में अलग अलग शिल्प और सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन के आधार पर बने। सभी जाति का आधार वर्ण व्यवस्था रहीं सो सभी जाति वर्ण व्यवस्था क धर्म को मानते रहे । सभी जातियों के धार्मिक संस्कार और परंपराएं अपनी अपनी रही जो अपने तरीके धर्म के मूल तत्व और मूल सिद्धान्तों का पारंपरिक और सामाजिक स्वरूप रहे। इसमे ऊंच – नीच रहा नहीं और सामाजिक गतिशीलता बनी रही । अंग्रेजों ने आकर हमें तोडा और जाति और Caste का घालमेल कर दिया।।
संध की साखाओं में इस बात का जिक्र होता है तब आपको यह नहीं पता है यह मानना मुश्किल है । इस स्थिति में आपने क्यों कहा कि जाति पंडितों ने बनाई।
ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि संघ अपनी मूल अवधारणा से अलग होती जा रही है। संघ की मूल अवधारणा हिन्दु की रक्षा और हिन्दुत्व की स्थापना थी । ऐसे में आप जातिगत शब्दों का उपयोग कर हिन्दुओं मे विभेद क्यो बढा रहे है? साथ ही आजकल आप मुसल्मानो और इसाइयों से समानता की बात करते हैं। आप BJP के राजनीतिक प्रतिबद्धता से क्यों प्रभावित नजर आते हैं। BJP को राजनीति करना है पर आपको तो सिर्फ हिन्दू हित की राह पर चलना है। तो इस प्रकार समाज में विभाजन लाने वाले वक्तव्य क्यों?
जाति कुप्रथा हिन्दू समाज में एक कमजोरी है। पर यह शास्त्र सम्मत कुप्रथा नहीं है और यह भी सत्य है कि यह बइत तेज गति से खत्म हो रहा है । आज का हिन्दू समाज पिछली पीढ़ी की तुलना में जाति भेद भाव से बहुत अलग हो गया है और शिक्षा के प्रचार तथा इन्टरनेट प्रसार से यह एक प्रकाशीय गति से खत्म हो रहा है। वैसे में आपका ऐसा वक्तब्य उस विभाजन को पाटने की बजाय उसे और गहरा कर रहा है। आपको भी मालूम है कि राजनीति में इस मुद्दे को जीवित रखने की कोशिश की जा रही है। पर संघ तो अखंड हिन्दू समाज को लेकर चल रहा है। फिर क्यों ऐसे वक्तव्य?
छोटी मुंह बड़ी बात परन्तु आपको जाति संबन्धित राजनीति में पड़ना ही नहीं चाहिए और वह लडाई BJP के खुद लड़ने हैं। मोदी जी २५ की तैयारी कर रहे हैं उनको जाति गत राजनीति की लड़ाई लड़ने दें परनतु आप सिर्फ अखण्ड हिन्दू की बात करें। जाति की बुराइयों हैं विषमताएं हैं उनको दूर करने का प्रयास करें पर इस तरह के आरोप ना लगाएं। एक तो यह सत्य नहीं हैं और दूसरा इससे विभाजन को बल मिलता है।
Totally agree with this article. Unfortunately Mohan Bhagwat has made it a habit to rake up totally unnecessary issues and give them a negative spin. I am starting to believe that this is the true face of the RSS. If other Hindus also feel the same, it’s the end of the road for BJP/RSS.