30 वर्षों की गौरवशाली यात्रा…!

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'मिथिला वर्णन' के प्रथम विमोचन की 30 वर्ष पुरानी तस्वीर।

विजय कुमार झा

जगतजननी मां जानकी की जन्मभूमि मिथिलांचल के सीतामढ़ी की पावन धरती से अपनी शुरुआत कर आज झारखंड की धरती बोकारो से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक ‘मिथिला वर्णन’ ने अपने सफर के 30 वर्ष पूरे कर लिये हैं। एक लघु समाचार-पत्र की यह गौरवशाली यात्रा हमारे सुधी पाठकों और शुभ-चिन्तकों की बदौलत ही पूर्ण हो सकी है और यह हमारे लिए प्रसन्नता की बात है। सीतामढ़ी के एक छोटे से कस्बे पुपरी (जनकपुर रोड) से वर्ष 1988 में प्रारम्भ हुए इस लघु समाचार-पत्र ने राजनीतिक उथल-पुथल और सामाजिक आंदोलनों के कई दौर देखे और उसका चश्मदीद गवाह बना। अपने जन्मकाल से लेकर आज तक इस अखबार को उतार-चढ़ाव और झंझावातों के कई दौर से गुजरना पड़ा। विपरीत परिस्थितियों, कठिन चुनौतियों और संघर्षों को झेलते हुए भी यह अखबार यदि आज प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर है तो यह केवल हमारे शुभचिन्तकों, सहकर्मियों, सुधी पाठकों, विज्ञापन-दाताओं और हॉकरों के स्नेह तथा अपने मार्गदर्शकों की प्रेरणा से ही संभव हो सका है। मिथिलांचल, झारखंड और बंगाल के मिलते-जुलते सांस्कृतिक परिवेश में इसके कदम आज निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं।

वर्ष 1988 में प्रथमांक विमोचन के बाद ‘मिथिला वर्णन’ पढ़ते पाठकवृंद।  


यह सच है कि पूंजीवाद के इस दौर में हमारे लिए 30 वर्षों की यात्रा पूरी करना कोई साधारण बात नहीं है। आज देश में अखबार निकालना एक व्यवसाय और उद्योग बन चुका है। समाचारों को आज उत्पाद (प्रोडक्ट) माना जा रहा है। जबकि पत्रकारिता पहले राष्ट्र-भक्ति और जन-चेतना को जाग्रत करने का एक सशक्त माध्यम था। अखबारी जगत पर आज बड़े-बड़े पूंजीपति घरानों का कब्जा है। प्रतिस्पर्धा और बाजारवाद के दौर से गुजरते अखबार आज देश में जागरुक नागरिक बनाने की जगह सिर्फ और सिर्फ अपना ग्राहक बना रहे हैं। इस दौर में छोटे अखबारों के लिए टिके रहना अत्यन्त कठिन है। इनके समक्ष बहुत सारी चुनौतियां हैं। ज्यादातर पत्रकार परावलंबी हो चुके हैं और यही कारण है कि इस विधा में भी बहुत सारी विकृतियां आ चुकी हैं।

वर्ष 2014 में ‘मिथिला वर्णन’ के बोकारो संस्करण का लोकार्पण करते तत्कालीन आईजी लक्ष्मण प्रसाद सिंह व अन्य (फाइल फोटो)।


किसी भी समाज या राष्ट्र के उत्थान में मीडिया की बड़ी सशक्त भूमिका होती है। खासकर, आज सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव, विजुअल समाचार चैनलों की आपा-धापी और कुछ खास वर्ग की कट्टरतावादी सोच की वजह से समाज में तेजी से बढ़ती वैमनस्यता के दौर में प्रिन्ट मीडिया का दायित्व और अधिक बढ़ गया है। ‘मिथिला वर्णन’ अपने इस दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करता आ रहा है और आगे भी करता रहेगा। ‘मिथिला वर्णन’ के स्थापना दिवस पर हम अपने प्रारंभिक काल से लेकर आज तक हमारा उत्साहवर्धन करने वाले मित्रों, शुभ-चिन्तकों व सुधी पाठकों के प्रति हृदय से आभार प्रकट करते हैं। साथ ही उनके प्रति भी आभार प्रकट करते हैं, जो ‘मिथिला वर्णन’ की मूल-प्रतियों के अवलोकन के साथ-साथ झारखंड, बिहार और देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों में भी इसके वेबसाइट, फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर पर भी इससे लाखों की संख्या में जुड़े रहकर हमारा मनोबल बढ़ा रहे हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद हमारा यह प्रयास होगा कि आने वाले दिनों में ‘मिथिला वर्णन’ को और भी बेहतर स्वरूप दिया जाय। हमारा यही संकल्प है और जहां संकल्प है, वहां सिद्धि है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप प्रियजनों का स्नेह और सहयोग निरन्तर आगे भी मिलता रहेगा। अभी शारदीय नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है और सामने विजयादशमी का महापर्व है, जिस दिन असत्य पर सत्य की विजय हुई थी। इस अवसर पर हम देवाधिदेव महादेव, महाकाल व निखिल स्वरूप मेरे पूज्य गुरुदेव और महाकाली स्वरूप जगतजननी जगदम्बा माता भगवती के श्रीचरणों में नमन करते हुए अपने पाठकों व शुभचिन्तकों को विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हैं।
आप सबों को नमस्कार…, जोहार!

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