– रामचंद्र मिश्र ‘मधुकर’
वरिष्ठ साहित्यकार

अम्ब छथि, जगदम्ब छथि, अवलम्ब छथि मां जानकी।
धरणी धिया,सीता-सिया, रघुवर प्रिया मां जानकी।।

दुष्ट-नाशिनी, दनुज त्रासिनी, हरि उपासिनी जानकी।
शक्तिक स्वरूपा, प्रकृति रूपा, जग अनूपा जानकी।।

माया स्वरूपिणी, बंध मोचिनी, लवकुशक जननी जानकी।
जनक नन्दिनी, जगत बन्दिनी, ब्रह्म रंजिनी जानकी।।

भव भयक भंजनि, पाप गंजनि, रमारूपिणी जानकी।
मिथिलाक वाणी, अवध रानी, स्नेह दानी जानकी।।

भक्ति दायिनी, शक्ति दायिनी, मति प्रदायिनी जानकी।
शुभ मंगला, विद्या कला, छवि निर्मला छथि जानकी।।

अनुरागिनी,वरदायिनी, हरि भामिनी छथि जानकी।
लछुमनक माते, राम सीते, जन सुप्रिते जानकी।।

भवबंध मोचनि, सती शिरोमणि, कमल लोचनि जानकी।
श्रीभक्ति सुखकर, शक्ति रघुवर, मातृ ‘मधुकर’ जानकी।।

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