आज हम पूरे प्रदेश में झारखंड स्थापना दिवस समारोह मना रहे हैं। युवा झारखंड 19 वर्षों का सफर तय कर चुका है। विकास के अनगिनत सपनों के साथ आज ही के दिन देश के नक्शे पर एक नये झारखंड का उदय हुआ था। इन 19 वर्षों में झारखंड के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव तो आये हैं, लेकिन विकास के जिन सवालों को लेकर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ था, वे सपने अभी अधूरे हैं। लम्बे आंदोलनों और संघर्षों के बाद बने इस प्रदेश की दु:खद स्थिति यह रही कि लगभग 14 वर्षों तक बनी विभिन्न सरकारों की अस्थिरता की वजह से यहां के बुनियादी सवाल गौण हो गये और राजनीतिक दलों में येन-येन-प्रकारेण सत्ता सिंहासन को लपकने की होड़ मची रही। लेकिन, भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश में विकास को एक नयी दिशा मिली और बहुत सारे लोकोन्मुखी कार्यक्रम चलाये गये। राज्य में विकास और जन-कल्याण की अनेकानेक योजनाएं चलायी गयीं। लेकिन, इन 19 वर्षों के इस सफर में अनेक सारी समस्याएं भी खड़ी होती गयीं। विगत 19 वर्षों में प्रदेश में कोई भी बड़े उद्योग नहीं लगे। बहुत सारे उद्योग बंद हो गये। बेरोजगारी बढ़ती गयी, रोजगार की तलाश में यहां के लोगों का पलायन दूसरे राज्यों में होता रहा और इसके कारण ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को मजबूत करने तथा नये झारखंड के सपने को धरातल पर नहीं उतारा जा सका। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम आज भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले पांच वर्षों में राज्य की सरकार ने विकास और कल्याण की बहुत सारी योजनाएं संचालित की और खुद को काम करने वाली एक सरकार के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। लेकिन, इस सरकार के कार्यों का मूल्यांकन तो आसन्न विधानसभा के चुनाव में राज्य की जनता को करना है। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि प्रकृति ने जिस प्रदेश को अपनी अकूत सम्पदा प्रदान की है, वहां अगर सुनियोजित विकास के लिए कोई भी सरकार प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने का संकल्प ले ले तो झारखंड पूरे देश में शिखर पर पहुंच सकता है। 

– Varnan Live.

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