2014 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लडा था तो उस का एक ही मुख्य और महत्वपूर्ण पहलू था – पूरे चुनाव के दौरान शानदार मीडिया मैनेजमेंट | उस समय के हिसाब से बीजेपी की मीडिया मैनेजमेंट में टेक्नोलॉजी का उपयोग शानदार था | उस समय के पूरी दुनिया में इस प्रकार चूनाव प्रचार में टेक्नोलॉजी का उपयोग पहली बार हुआ था |
2024 में वही बीजेपी अन्य पार्टियों के मुकाबले खराब मीडिया मैनेजमेंट की वजह से अपने लक्ष्य से बहुत पीछे रह गई | जोड़ तोड़ कर किसी तरह सरकार बन गई|क्या हो गया इन दस सालों में? मेरे खयाल से निम्नलिखित बाते हुई हैं |
1. बीजेपी ने कुछ सीखा नही – बीजेपी की मीडिया मैनेजमेंट 10 साल पुरानी रही| उन्होंने मीडिया मैनेजमेंट के नाम पर अपने टीवी और समाचार पत्रों के प्रवक्ता बना रखे और उन्ही को आज भी अपने राजनीतिक विमर्श का आधार मानती है|
पिछले दस सालों में समाज दस युग परिवर्तन देख चुका है | कोरोना के तीन सालों में विश्व ने संचार क्रांति के तीन महायुग का परिवर्तन देख लिए | शहरें विरान हो गई क्योंकि शहरों में आने जाने की जरूरत खत्म हो गई क्योंकि दुनिया घर बैठ कर सुचारू रूप से चल सकती है| समाचार और खबर किसी पत्रकार की मोहताज नहीं रही वरन हर व्यक्ति अपने में ही खबर का जनक और ग्राहक हो गया| प्रिंट मीडिया उम्रदराज लोगों के समय काटने का जरिया बन गई और टीवी मीडिया सिर्फ स्कूप और ब्रेकिंग न्यूज के बैसाखी के सहारे बची रह गई | लोग समाचार 140 अक्षर के सुलभ कैप्सूल में गटकने लगे|
2. डाटा सस्ती, फोन सस्ता, घर घर फोन, हर हाथ फोन – पिछले दस सालों में समाज ने जिस तेजी से परिवर्तन देखा है उतना कभी नही देखा था


3. जिन लोगों ने कभी टीवी नही देखा था आज वो मोबाइल फोन पर हजारों न्यूज चैनल देख सकते हैं और देख रहे हैं| एक ठेले वाले के पास आप जाएं तो देखेंगे की उस के पास मोबाइल फोन है, वह मोबाइल पेमेंट लेता है और उस के पास दस मिनट का भी टाइम होता है तो वो वह किसी भी चैनल पर या किसी youtuber के समाचार सुनता है. उसको ये तो पता है की बीजेपी सरकार ने उसकी जिंदगी पहले की तुलना में बेहतर किया है पर वो ये भी सुनता है की कहीं और लोग हैं जो ज्यादा बेहतर हैं. अब वो दुनिया भर के जगहों की कहानियां और समाचार भी सुनता है और देखता है और इसी वजह से उसकी आकांक्षाओं की उड़ान बहुत बड़ी हो गई है.
4. समाचारों का अति वैयक्तिकरण – सोशल मीडिया में इनफ्लुएंसर (influencer) का बर्चस्व बढ़ता गया| कोरोना के समय में इस सामाजिक प्रक्रिया में एक भूचाल सा आ गया| लोगों को मुहल्ले के समाचार मिलने लगे, लोगों को शहरों के समाचार उनके अपने लोगों से मिलने लगे | अखबार एक संभ्रांत वर्ग का समाचार माध्यम है और उस में साक्षरता निहित है | लेकिन जिस समय से यूट्यूब में इनफ्लुएंसर को अपने पड़ोस के समाचार को उनकी भाषा में सुनाने की सहूलियत हो गई, उसी समय से लोगों को उन समाचार को सुनने की भी चाह बढ़ गई|इसमें साक्षरता की जरूरत भी खतम हो गई | अस्सी साल की अम्मा भी अब यूट्यूब पर बैठ कर शहर, प्रदेश और देश की राजनीति की खबरें, गप्पे और नुक्ताचीनी सुन सकती हैं|
5. बीजेपी ने अपने मीडिया मैनेजमेंट में टीवी मीडिया पर ध्यान दिया और इनपर कंट्रोल किया पर उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया की अब टीवी पर लोग समाचार बहुत कम सुनते हैं | लोग टीवी पर इंटरनेशनल खेल, मूवी और सीरियल्स देखते हैं पर समाचार वो फोन पर ही सुन या पढ़ लेते हैं | फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और जा जाने कितने मध्यम हैं जिनपर वो चलते हुए, ऑफिस जाते समय या बस में सफर करते समय ही समाचार से रूबरू हो जाते हैं|
6. विपक्ष ने सोशल मीडिया में अपने प्रभाव बढ़ाए और उन लोगों पर अपनी पहुंच बनाई जो अभी तक किसी राजीतिक पार्टी तो अछूते थे क्योंकि वो टीवी वाले वर्ग से नही हैं, वो पढ़े लिखे वाले वर्ग से नही हैं, वो संभ्रांत वर्ग से नही हैं जिनके पास सुबह की चाय के साथ अखबार और रात में खाने से पहले समाचार सुनने का समय है | रिक्शा वाला भी यूट्यूब पर दो सवारी के बीच में सुस्ताते हुए अपने समाचार सुन लेता है|
बीजेपी को अपने मीडिया प्रबंधन को एक नए सिरे से स्थापित करना पड़ेगा |




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