हरिद्वार में निखिल मंत्र विज्ञान का नीलकंठ महादेव गुरु पूर्णिमा महोत्सव साधना शिविर उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न
हरिद्वार। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी (डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली) की दिव्य छत्रछाया में अंतरराष्ट्रीय सिद्धाश्रम साधक परिवार एवं निखिल मंत्र विज्ञान के तत्वावधान में देवनगरी हरिद्वार के ज्वालापुर रोड स्थित प्रेमनगर आश्रम में दो-दिवसीय नीलकंठ महादेव गुरु पूर्णिमा महोत्सव साधना शिविर गुरुवार को सोल्लास संपन्न हो गया। दो दिनों तक उत्साह और उमंग के माहौल में यहां गुरु पूर्णिमा पर गुरु और शिष्य के प्रेम की बयार बहती रही। देश-विदेश के कोने-कोने से हजारों की तादाद में पहुंचे साधकों और धर्मानुरागियों ने इस महोत्सव का आनंद लिया। शिविर के दूसरे दिन उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए गुरुदेव श्री नंदकिशोर श्रीमाली ने जीवन में प्रेम और आनंदरस पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा है, तो शिष्य पूर्णिमा भी है। यदि दो टूक शब्दों में कहा जाए कि गुरु पूर्णिमा क्या है, तो यह आत्म-प्रेम का दिवस है। गुरु और शिष्यों का आत्म-मिलन और इस आत्म-मिलन के अवसर पर जो गुरु के पास है, वह गुरु आपको प्रदान करते हैं। प्रदान करने की इच्छा रखते हैं और इस इच्छा को क्रियान्वित करते हैं, परिपूर्ण करते हैं।

जीवन में मोह और प्रेम के अंतर को समझाते हुए गुरुदेव ने कहा कि संसार में किसी से भी खूब प्रेम करो। अथाह प्रेम करो, लेकिन मोह मत करो। क्योंकि, मोह हमेशा कष्ट ही देता है। प्रेम हमें आत्मनिर्भर बनाता है, मोह हमें गुलाम बना देता है। परंतु, जिस प्रकार पेड़ से मीठा फल पाने के लिए उस पौधे के वृक्ष बनने तक की प्रतीक्षा करनी पड़ती है, उसी प्रकार प्रेम का फल पाने के लिए प्रतीक्षा जरूरी है, जिसके लिए धैर्य आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रेम करोगे, तो अपने अंतर मन में कभी भी सूखे नहीं होगे। आपके भीतर प्रेम रस का भाव ही जीवन का सबसे बड़ा सौंदर्य है। सबसे अधिक प्रेम अंतर मन से करना चाहिए, क्योंकि अंतर मन में गुरु को विराजमान किया है। क्योंकि, गुरु की तुलना केवल ज्ञान से कर ही नहीं सकते हैं। गुरु कौन है? भुक्ति मुक्ति प्रदाता है। तो हमें संसार में, संसार को किस प्रकार से भोगना है, निर्लिप्त भाव से, वह भी सिखाते हैं। और, किस प्रकार से मुक्त होना है, वह भी सिखाते हैं।
सीखने की ललक ही बनाएगी श्रेष्ठ
गुरुदेव श्री श्रीमाली ने कहा कि यह गुरु पूर्णिमा आत्म-प्रेम दिवस है और आत्म-प्रेम का अर्थ एक ही है, मैं सीखने योग्य हूं। जब आप अपने आपको यह समझते हैं कि मैं सीखने योग्य हूं, तब आप अपने आपको और अधिक श्रेष्ठ, और अधिक श्रेष्ठ, और अधिक श्रेष्ठ बना सकते हैं। मुझे बहुत जानना है, मुझे बहुत सीखना है, मुझे बहुत कार्य करने हैं, मुझे श्रेष्ठ कार्य करने हैं, मुझे और कुछ देखना है, और अनुभव करने हैं, नए नए अनुभव लेने हैं। आत्मविश्वास की महत्ता रेखांकित करते हुए गुरुदेव ने कहा कि खुद पर विश्वास करना आत्म-प्रेम है। स्वयं पर विश्वास करना अर्थात मुझे बदलना है, मुझे और अधिक श्रेष्ठ होना है, मुझे और अधिक श्रेष्ठ होना है। तब हम अपना स्वयं का महत्व समझेंगे, स्वयं को मूल्यवान समझेंगे।

भय प्रगति का सबसे बड़ा बाधक
गुरुदेव ने यह भी कहा कि मनुष्य की प्रगति में सबसे बड़ा बाधक है-भय। कल की चिंताओं में मनुष्य भयभीत है। जबकि, गुरु शिष्य के वर्तमान को भविष्य के साथ जोड़ देते हैं। आप वर्तमान में जीयो, भविष्य अपने आप उन्नत हो जाएगा। इस अवसर पर विशेष रूप से गुरु पूजन हुआ और गुरुदेव ने शिष्यों को गुरुदीक्षा के साथ-साथ नीलकंठ महादेव, धूमावती सायुज्य बगलामुखी एवं काल सर्पदोष मुक्ति की शक्तिपात दीक्षा प्रदान की। साधना शिविर का समापन गुरु आरती, समर्पण स्तुति व महाप्रसाद वितरण के साथ हुआ।
चारों तरफ बना रहा उत्साहपूर्ण माहौल
गुरु पूर्णिमा महोत्सव के दौरान प्रेम नगर आश्रम में लगातार दो-तीन दिनों तक उत्सव, उमंग और गुरु प्रेम का हर्षोल्लास छाया रहा। साधना शिविर के दौरान कार्यक्रम-स्थल के चारों तरफ और इर्द-गिर्द पीतांबरधारी शिष्यों की चहलकदमी लगी रही। शिविर में गुरुदेव से गुरु दीक्षा प्राप्त कर जहां हजारों की संख्या में नए साधक-साधिकाएं निखिल परिवार से जुड़े, वहीं विशेष शक्तिपात दीक्षाएं भी प्रदान की गईं। कार्यक्रम का संचालन निखिल मंत्र विज्ञान के संयोजक मनोज भारद्वाज ने किया। जबकि, इस क्रम में निखिल परिवार के गायक महेन्द्र सिंह मानकर और उनकी भजन मंडली की प्रस्तुति ने वातावरण में भक्ति-रस घोल दिया। आयोजन की सफलता में मनोज भारद्वाज के अलावा मुख्य रूप से गोपाल सैनी, अशोक खुराना, शैलेन्द्र शैली, संजय डोगरा, मनु शर्मा, फौजदार सिंह सहित निखिल मंत्र विज्ञान के सैकड़ों कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उक्त आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी विजय कुमार झा ने दी।
- Varnan Live Report.





Leave a Reply