हर वैन से हर महीने Rs. 50 हजार की वसूली फिक्स, माफियाओं में पुलिस का कोई खौफ नहीं
कुमार संजय
बोकारो थर्मल। क्या आपको पता है कि पुलिस की नाक के नीचे से कैसे करोड़ों का काला कारोबार चल रहा है? बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल में कोयले की अवैध तस्करी का धंधा इन दिनों आसमान छू रहा है। छोटे-छोटे पिक-अप वैन से लेकर बड़े-बड़े ट्रकों तक, हर रात दामोदर नदी के पुलों से गुजरकर कोयला माफिया इस खेल को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं।
यह धंधा इतना संगठित है कि इसे देखकर पुलिस भी हैरान रह जाए। हालांकि, हैरानी वाली बात थोड़ी बेमानी लगती है, क्योंकि सूत्रों का दावा है कि बगैर पुलिसिया मिलीभगत के इस व्यापक स्तर पर काले हीरे का यह काला खेल चल ही नहीं सकता। जानकारों की मानें तो बेरमो, पेटरवार, पेंक-नारायणपुर, नावाडीह और बोकारो थर्मल जैसे आधा दर्जन थाना क्षेत्रों में यह काला कारोबार बेखौफ धड़ल्ले से फल-फूल रहा है।

ऐसे होता है खेल का ‘सीक्रेट मिशन’
रात के ठीक 9.30 बजते ही कोयला माफिया का ‘ऑपरेशन’ शुरू हो जाता है। पिक-अप वैन कोयला लोड करने के लिए तैयार हो जाती हैं और पूरी रात में ये वैन दो-दो चक्कर लगाकर कोयला पहुंचाती हैं। बताया जा रहा है कि इस काम के लिए हर वैन से हर महीने 50 हजार रुपये की ‘वसूली’ की जा रही है।
यह सारा कोयला पेंक-नारायणपुर के रामा हरिया स्थित ‘जगदंबा कोल फैक्ट्री’ और नावाडीह के चिरुडीह में ‘रूबी कोल फैक्ट्री’ में पहुंचाया जाता है।
बंटी-पिंकू और तिवारी-विकास की जोड़ियां संभाल रहीं गोरखधंधे
कोयले की इस काली दुनिया में कई ‘गैंग’ सक्रिय हैं। धनबाद के झरिया से बंटी-पिंकू की जोड़ी रामा हरिया की कोल फैक्ट्री को संभाल रही है, जबकि बोरिया से कोयला तस्करी का जिम्मा रांची के तिवारी और विकास की जोड़ी ने उठा रखा है।
वहीं, पेटरवार का खेतको इलाका तो इस अवैध कारोबार का गढ़ बन चुका है। यहां दामोदर नदी पुल के पास अवैध कोयले के ‘बाजार’ सजाए जाते हैं, जहां से ट्रकों के जरिए कोयला आगे भेजा जाता है। वर्तमान में रिंकू नाम का एक कारोबारी खेतको से ट्रकों द्वारा धंधा चालू रखे हुए है।
छोटे वाहनों का खेल और बड़ी फैक्ट्रियां
छोटे वाहनों में पिक-अप वैनों द्वारा कोयला ढुलाई का काम पेटरवार के खेतको, गांधी नगर के जरीडीह बस्ती, बेरमो और बोकारो थर्मल के जारंगडीह, बोरिया बस्ती तथा कथारा ओपी के असनापानी, पेंक नारायणपुर के बुटवरिया, लहिया, पलामू, पिलपिलो से होता है।
सभी पिक-अप वैनों को सख्त निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी कीमत पर बोकारो जिला से बाहर यानी हजारीबाग और गिरिडीह कोयला लेकर नहीं जा सकते। इसके लिए संबंधित थानों की पुलिस रात में लगातार गश्त भी करती देखी जाती है।
पर्यावरण को खतरा और पुलिस का खौफ नहीं
इस गोरखधंधे में शामिल ये लोग ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। रामा हरिया की कोल फैक्ट्री पर्यावरण और प्रदूषण के मानदंडों को भी पूरा नहीं कर पा रही है। ये फैक्ट्रियां रिहायशी इलाकों और जंगलों के बीच चल रही हैं, जो प्रदूषण के सारे नियमों को ताक पर रख रही हैं।
इस धंधे का आलम यह है कि कोयला माफिया को पुलिस का कोई खौफ नहीं रहा है। यहां तक कि उत्तरी छोटानागपुर के आईजी का भी डर इन्हें नहीं सताता।
आखिर कब तक चलेगा यह ‘काला धंधा’? क्या पुलिस प्रशासन इसपर कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर कोयला माफिया का यह खेल इसी तरह जारी रहेगा?
- Varnan Live Report.





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