बोकारो थर्मल में लगातार दूसरे दिन भी कटी रही बिजली, लोगों ने घेरा सबस्टेशन

कुमार संजय की रिपोर्ट
बोकारो थर्मल: डीवीसी की ‘स्मार्ट मीटर’ वाली मनमानी के खिलाफ बोकारो थर्मल में जनता का पारा इतना चढ़ गया कि बिजली कंपनी को घुटने टेकने पड़े। लगातार दूसरे दिन भी सैकड़ों घरों की बिजली गुल होने के बाद आम लोगों का गुस्सा ज्वालामुखी बनकर फूटा। नागरिक अधिकार मंच, डीवीसी कर्मी, ठेका मजदूर, और पेंशनर तक सबने मिलकर शुक्रवार को कॉलोनी के विद्युत सबस्टेशन पर ऐसा हल्ला बोला कि सबस्टेशन इंचार्ज को गेट पर ताला लगाकर भागना पड़ा।

सबस्टेशन के बाहर प्रदर्शन करते लोग।

हड़कंप: डीजीएम के दफ्तर तक पहुंचा ‘जनसैलाब’
यह गुस्सा सिर्फ सबस्टेशन तक नहीं रुका। संयोजक भरत यादव, श्रवण सिंह, जिप सदस्य शहजादी बानो और मुखिया चंद्रदेव घांसी के नेतृत्व में एक विशाल जुलूस सीधे डीजीएम कार्यालय की ओर बढ़ चला। डीवीसी प्रबंधन के खिलाफ गगनभेदी नारों से पूरा इलाका गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने एडीएम भवन पर ही धरना शुरू कर दिया, जिससे डीवीसी के आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

विरोध जतातीं महिलाएं।

‘नो बिजली, नो शांति’: बिना शर्त बहाली की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी
जब डीजीएम काली चरण शर्मा और डीजीएम विद्युत सुरजीत सिंह ने बातचीत का प्रस्ताव रखा, तो आंदोलनकारियों ने सीधे-सीधे दो टूक बात की। भरत यादव ने तीखे सवाल दागते हुए पूछा, “जब पुराने मीटर से बिल का भुगतान हो रहा था, तो इस ‘स्मार्ट मीटर’ की क्या जरूरत थी? और बिना किसी सूचना के बिजली कैसे काटी जा रही है?” प्रदर्शनकारियों ने साफ कह दिया कि जब तक बिजली बहाल नहीं होगी, वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने ‘नो बिजली, नो शांति’ का नारा लगाते हुए वहीं डेरा डाल दिया।

डीवीसी अधिकारी से बातचीत करते मंच के पदाधिकारी व सदस्य।

दबाव का असर: सांसद और चेयरमैन की एंट्री, 7 बजे बिजली बहाल!
जनता के आक्रोश और बड़े नेताओं के हस्तक्षेप ने डीवीसी प्रबंधन पर जबरदस्त दबाव बनाया। दामोदर बचाओ आंदोलन के श्रवण सिंह ने सीधे डीवीसी चेयरमैन को फोन किया, जिन्होंने तुरंत बिजली बहाली का आश्वासन दिया। इसके अलावा, गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी और बेरमो विधायक कुमार जयमंगल के दखल के बाद शाम 5 बजे डीजीएम को दोबारा बातचीत के लिए आना पड़ा। सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र यादव की मौजूदगी में आखिरकार डीजीएम ने हार मानते हुए घोषणा की कि मुख्यालय, कोलकाता से बिजली बहाली की अनुमति मिल गई है और शाम 7 बजे तक सभी घरों की बिजली वापस आ जाएगी। इस जीत के बाद ही प्रदर्शनकारी वापस लौटे।

स्मार्ट’ मीटर ने जवानों और शिक्षकों को भी नहीं बख्शा!
इस पूरे मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि डीवीसी ने सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, बल्कि केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों और देश की सुरक्षा करने वाले सीआईएसएफ जवानों तक के घरों की बिजली काट दी। शिक्षकों ने डीजीएम से सीधे पूछा, “जब हमारे वेतन से बिल कटता है, तो कनेक्शन कैसे काटा गया?” इतना ही नहीं, सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट अरुण प्रसाद समेत 40 जवानों और बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक राम जतन प्रसाद के घर भी अंधेरे में डूबे रहे। इस गंभीर मामले में खुद सीआईएसएफ डीसी को सीधे डीवीसी के एचओपी से बात करनी पड़ी। यह साफ दिखाता है कि डीवीसी की मनमानी किस हद तक बढ़ गई है।

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