बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा कमिश्नर का पत्र, जानें क्या है पूरा मामला
विजय कुमार झा
बोकारो : बोकारो के तेतुलिया में 103 एकड़ वनभूमि घोटाले का मामला अब एक ऐसे विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गया है, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। एक तरफ जहां इस महा-घोटाले का पर्दाफाश करने वाले बोकारो के डीएफओ (वन प्रमंडल पदाधिकारी) रजनीश कुमार के अचानक तबादले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ, एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का पत्र इस पूरे खेल को दफनाने की बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।
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सूत्रों के अनुसार, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में इलाजरत अपने बीमार पिता शिबू सोरेन की देखभाल में व्यस्त थे, उसी दौरान उनसे चालाकी से डीएफओ के तबादले की फाइल पर दस्तखत करा लिए गए। इस गोपनीय कार्रवाई के बाद, आनन-फानन में 1 अगस्त को वन एवं पर्यावरण विभाग ने डीएफओ के तबादले का आदेश जारी कर दिया। यह कदम इस घोटाले की जांच को रोकने और सबूतों को मिटाने की एक सुनियोजित चाल मानी जा रही है। लेकिन, तबादले से ठीक पहले, 21 जुलाई, 2025 को उत्तरी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त पवन कुमार (भाप्रसे) ने राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को एक बेहद चौंकाने वाला पत्र लिखा।
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इस पत्र में उन्होंने बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रतिवेदन में कई महत्वपूर्ण तथ्यों की कमी पर सवाल उठाते हुए पूरे भ्रष्ट सिस्टम की परतें खोल दीं। लेकिन, आश्चर्यजनक है कि वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने आयुक्त के इस पत्र की गंभीरता को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और उसके तुरंत बाद ही डीएफओ के तबादले का आदेश जारी कर दिया।
आयुक्त का पत्र : सुनियोजित फर्जीवाड़े का सबूत
उत्तरी छोटानागपुर (हजारीबाग) आयुक्त पवन कुमार का पांच पन्नों यह पत्र (संख्या- 1103, दिनांक 21.07.2025) सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि इस घोटाले के पीछे छिपे बड़े नामों और सुनियोजित फर्जीवाड़े का सबूत है। पत्र में सामने आए कुछ सबसे सनसनीखेज तथ्य इस प्रकार हैं:
सरकारी जमीन पर भू-माफिया का कब्जा
आयुक्त ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि चास अंचल के मौजा-तेतुलिया में खाता संख्या 59, प्लॉट संख्या 426 और 450, कुल 107.20 एकड़ जमीन पुराने खतियान में ‘गैरआबाद मालिक, किस्म-जंगल साल’ के रूप में दर्ज है । इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि यह भूमि जिला की प्रतिबंधित सूची में भी लॉक है, जिसकी पुष्टि स्वयं उपायुक्त ने की है।
फर्जीवाड़े का लंबा इतिहास
पत्र के अनुसार, टिकैत रामेश्वर नारायण सिंह के नाम पर बनी जमाबंदी को जिला प्रशासन ने वर्ष 1984 में ही ‘फर्जी और मनगढ़ंत’ मानकर रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय, पटना में दायर याचिका (सीडब्ल्यूजेसी सं. 120/85 (आर) भी खारिज हो गई थी। अंतत:, टाइटल सूट (टीएस सं. 03/1987) में भी उनके स्वत्वाधिकार को खारिज कर दिया गया था।
हुसैन बंधुओं के नाम पर नया फर्जीवाड़ा
इन सभी तथ्यों के बावजूद, बाद में इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन के नाम पर पंजी-2 में एक फर्जी और अवैध प्रविष्टि कराई गई। पत्र में यह भी बताया गया है कि दाखिल-खारिज वाद संख्या 1317-7/2012-13 के तहत 103 एकड़ जमीन की जमाबंदी दर्ज पाई गई, जबकि यह वाद एक भिन्न रैयत-डिम्पल देवी से संबंधित था ।
दोषी प्रशासन और कमजोर सरकार
आयुक्त के पत्र में यह भी स्पष्ट है कि बोकारो जिला प्रशासन द्वारा अपनाई गई त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया और पारित आदेशों का सीधा लाभ इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन को झारखंड उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में दायर मुकदमों (डब्ल्यूपी(सी) सं. 593/2017, एलपीए सं. 786/2018, एसएलपी सं. 8108/2021) में मिला। इन मुकदमों में राज्य सरकार का पक्ष हमेशा कमजोर रहा, क्योंकि न तो जांच दल के सामने और न ही न्यायालय में इन तथ्यों को रखा गया ।
वन विभाग को जान-बूझकर रखा गया दूर
सबसे गंभीर बात यह है कि इस मामले से जुड़े किसी भी वाद में वन विभाग या उसके किसी अधिकारी को पक्षकार नहीं बनाया गया, जिससे एक बड़ा संदेह पैदा होता है।
CID को आरोपी शैलेश सिंह की तलाश
सीआईडी की विशेष कोर्ट ने बोकारो के तेतुलिया लैंड स्कैम केस के आरोपी शैलेश सिंह के खिलाफ वारंट जारी कर दिया है। कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद सीआईडी ने 22 अगस्त को वारंट हासिल भी कर लिया है। अब सीआईडी शैलेश सिंह की गिरफ्तारी की कोशिश में लगी है। दरअसल, तेतुलिया मौजा स्थित करीब 100 एकड़ वन भूमि की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री के प्रमुख आरोपी शैलेश सिंह के विरुद्ध सीआईडी ने कई महत्वपूर्ण और पुख्ता साक्ष्य इकट्ठा किए हैं। सीआईडी की अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि शैलेश सिंह ने उक्त भूमि की खरीद-बिक्री के लिए वर्ष 2021 में बोकारो जिले के निबंधन कार्यालय से तीन पवार ऑफ एटॉर्नी ली थी। इसके बाद उसी पवार ऑफ एटॉर्नी के आधार पर शैलेश सिंह ने अपने ही बेटे आयुष सिंह और लल्लन सिंह के नाम पर बनाई गई कंपनी उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 74 एकड़ भूमि की रजिस्ट्री कर दी।
दरअसल, शैलेश सिंह तेतुलिया लैंड स्कैम के प्रमुख आरोपियों इजहार हुसैन, अख्तर हुसैन और पुनीत अग्रवाल के बीच की सबसे अहम कड़ी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पुनीत अग्रवाल को शैलेश सिंह से मिलवाने में एक अधिकारी के पति की ही अहम भूमिका थी, जिसने दोनों को मिलवाया और तेतुलिया की वनभूमि की डील करवाई थी।
इस मामले में पुनीत अग्रवाल, वीर अग्रवाल और विमल अग्रवाल पर राजवीर कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिये तेतुलिया मौजा की उस वन भूमि के लिए उमायुष कंपनी को तीन करोड़ चालीस लाख रुपए भुगतान करने का आरोप है। उल्लेखनीय है कि बोकारो के तेतुलिया में 100 एकड़ से ज्यादा वन भूमि को फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दी गई है। यह वही जमीन है, जिसे बोकारो स्टील प्लांट ने वन विभाग को वापस लौटाया था। बोकारो के डीएफओ रजनीश कुमार ने इसे लेकर बोकारो के सेक्टर 12 थाना में कांड संख्या 32/2024 के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसकी जांच अब सीआईडी कर रही है। उधर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच कर रही है।
हुसैन बंधुओं की जमानत याचिका खारिज
सीआईडी की विशेष कोर्ट ने बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा में 103 एकड़ वनभूमि घोटाले में जेल में बंद इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया है। पिछले बुधवार (20 अगस्त) को कोर्ट ने दोनों आरोपियों की ओर से दाखिल जमानत याचिका खारिज कर दी। उल्लेखनीय है कि तेतुलिया लैंड स्कैम में सीआईडी ने दोनों आरोपियों को 12 जुलाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तब से दोनों आरोपी जेल में हैं। दोनों ने एक साथ 21 जुलाई को जमानत की गुहार लगाते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट में 29 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
झारखंड सरकार और उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के बीच चल रहे महत्वपूर्ण मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आगामी 29 अगस्त, 2025 को होगी। यह मामला झारखंड उच्च न्यायालय, रांची द्वारा 17 अप्रैल, 2025 को पारित एक आदेश के खिलाफ दायर स्पेशल लीव टू अपील (सिविल) संख्या 14071/2025 से जुड़ा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। 24 जुलाई, 2025 को हुई सुनवाई के दौरान, बोकारो के उपायुक्त-सह-जिला मजिस्ट्रेट अजय नाथ झा ने अदालत में मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत किए। साथ में डीएफओ रजनीश कुमार भी मौजूद थे। कोर्ट ने इन दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद उन्हें वापस कर दिया। पूर्व की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी, उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ वकील को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर जवाबी हलफनामे के जवाब में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि मामले में दिए गए अंतरिम निर्देश अगली सुनवाई तक जारी रहेंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख पर याचिकाकर्ताओं, यानी झारखंड सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण किस तरीके से किया गया था? यह बिंदु मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। पिछली सुनवाई में इस मामले में झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अरुणाभ चौधरी आदि…, जबकि उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह, विमल कीर्ति सिंह व अन्य ने अपने पक्ष रखे थे।
- Varnan Live Report.





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