बोकारो थर्मल: जिंदगी की आपाधापी में सालों बाद जब बचपन के दोस्त मिलते हैं, तो वक्त मानो थम सा जाता है। सोमवार को कुछ ऐसा ही नजारा बोकारो थर्मल में देखने को मिला, जहां डीवीसी हाई स्कूल के 1974 बैच के छात्र 51 साल बाद अपने घर लौटे। दो दिनों का यह रीयूनियन केवल एक मुलाकात नहीं, बल्कि भावनाओं का एक ज्वार था, जिसमें सभी ने हंसी-ठिठोली, पुरानी यादों और सुनहरे पलों को फिर से जिया। रविवार की रात त्रिजल मैरेज हॉल में हुई पार्टी रात एक बजे तक चली, जहां हर चेहरे पर बीते दिनों की चमक और जिंदगी के अनुभव की परिपक्वता साफ झलक रही थी। अपने-अपने क्षेत्र में सफल ये दोस्त आज भी एक-दूजे के लिए वही पुराने यार थे। पार्टी का समापन एक-दूसरे के सम्मान और हौसला अफजाई के साथ हुआ। सोमवार की सुबह विदा होने से पहले सबने मिलकर केक काटा, जैसे वे सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि एक नए सफर का जश्न मना रहे हों।

51 साल बाद भी बोकारो की मिट्टी ने हमें खींच लिया
इस भावुक पल में डॉ. ब्रज किशोर सिन्हा ने कहा- जिंदगी के आखिरी पड़ाव में आकर जब हम अपने लिए मुश्किल से वक्त निकाल पाते हैं, तो ऐसे कार्यक्रम जिंदगी में नई ऊर्जा भर देते हैं। उन्होंने कहा कि बोकारो थर्मल की मिट्टी की यही खासियत है कि 51 साल बाद भी यह सबको यहां खींच लाई। शैलेंद्र सिंह, बीना घोष, आशा वर्मा और अन्य दोस्तों ने भी अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि भले ही आज ये दो दिन खत्म हो रहे हैं, लेकिन इनकी यादें हमेशा ताज़ा रहेंगी।

शिक्षकों के प्यार और मार की खुशबू आज भी ताजा है
छात्रों ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए बताया कि कैसे डीवीसी स्कूल ने उनके सपनों को पंख दिए। उन्होंने अपने गुरुओं के प्यार और अनुशासन को याद करते हुए कहा कि उनके प्यार और मार की सौंधी खुशबू आज भी उनके दिलों में बसी है। इस खास मौके पर आयोजकों में शामिल जानकी महतो, केसो प्रसाद सिंह, मृत्युंजय प्रसाद और मानस घोषाल ने वादा किया कि अब यह मिलने का सिलसिला थमेगा नहीं, बल्कि हर साल जारी रहेगा।

प्रेरणादायक रहा विरासत का जश्न
समारोह में 1981 बैच के छात्र जोगेंद्र गिरि को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, जिन्होंने पूर्व छात्रों के इस प्रयास की सराहना की। यह रीयूनियन सिर्फ एक समारोह नहीं था, बल्कि एक ऐसी विरासत का जश्न था जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देती रहेगी कि सच्चे संबंध और दोस्ती कभी खत्म नहीं होते। विदाई के समय सबकी आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर एक गौरव था कि वे अपने स्कूल और अपनी यादों से जुड़े रहे। सभी ने 2026 में फिर से मिलने का वादा कर एक-दूसरे से विदा ली। मौके पर शैलेंद्र सिंह, सलिल घोष, वीणा घोष, आशा वर्मा, मंजू सिंह, अशोक कुमार, मानस घोषाल, मंजूला घोषाल, कौशल किशोर प्रसाद, अनिता प्रसाद, डॉ. एसके सिंह, सुषमा सिंह, रंजीता कौर, उषा मिश्रा, मोहन लाल प्रसाद, अशोक प्रसाद, शोभा कुमार, स्वपन राय, सुबेश चौधरी, सुषमा प्रसाद सहित कई अन्य पूर्व छात्र मौजूद रहे।

  • Varnan Live Report.

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