पूर्व DC पर लगे गंभीर आरोप, विपक्ष ने की CBI जांच की मांग, आंदोलन की भी चेतावनी, जानिए पूरा मामला…
संवाददाता
रांची/बोकारो। बोकारो में भ्रष्टाचार का एक और बम फूटा है! झारखंड की इस्पातनगरी बोकारो में एक नया और सनसनीखेज घोटाला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। यह घोटाला जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) के सैकड़ों करोड़ रुपये के फंड में हुआ है और इसके केंद्र में हैं बोकारो की तत्कालीन उपायुक्त-सह-अध्यक्ष, DMFT विजया जाधव नारायण राव। उन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी खजाने की राशि को अपने चहेते ठेकेदारों और एजेंसियों पर लुटाने का आरोप लगा है। इस मामले का खुलासा RTI कार्यकर्ता राज कुमार द्वारा मिली जानकारी के बाद हुआ, जिसके आधार पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को विस्तृत शिकायत भेजी गई है।
खबरों से Quick Update बनें रहने के लिए Mithila Varnan के Whatsapp Channel से जुड़े-
https://whatsapp.com/channel/0029VbAYGcqGZNClorjVZh2R
इस बीच सोमवार को इस मामले में सियासत की भी इंट्री हो गई। इस मामले के सामने आने के बाद झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इतनी बड़ी वित्तीय गड़बड़ी मुख्यमंत्री के संज्ञान में ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यह गरीबों और बच्चों का पैसा है, जिसे अधिकारियों और मुख्यमंत्री की मिलीभगत से लूटा गया है।
खबरों से अपडेट बनें रहने के लिए Mithila Varnan को #X (Twitter) पर भी Follow करें- twitter.com/mithilavarnan
रांची बीजेपी प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत में इस गड़बड़ी का खुलासा करते हुए श्री मरांडी ने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों और मुख्यमंत्री की मिलीभगत से इतना बड़ा घोटाला हुआ है। जिसमें निश्चित रूप से इस लूट का पैसा सीएम की तिजोरी में गया होगा। मुख्यमंत्री ने डीएमएफटी फंड को एटीएम समझ लिया और अधिकारियों के जरिए वह पैसा निकलवाते रहे। इसीलिए हम मांग करते हैं कि इसकी जांच CBI से कराई जाए, तभी पूरे मामले का उद्भेदन हो सकेगा। मरांडी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जांच नहीं हुई, तो बीजेपी इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाएगी।
खबरों से अपडेट बनें रहने के लिए Mithila Varnan के #Facebook पेज facebook.com/mithilavarnan से जुड़े
घोटाले की परतें : मनमानी टेंडरिंग से लेकर फर्जीवाड़े तक
इस घोटाले में कई चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आई हैं। पूर्व उपायुक्त पर आरोप है कि उन्होंने DMFT की प्रबंधकीय समिति की बैठक और मंजूरी के बिना ही मनमाने ढंग से टेंडर जारी किए। वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के बीच 631 करोड़ रुपये के टेंडर आवंटित किए गए।
- शॉर्ट टेंडर नोटिस: टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता को ताक पर रखकर, जान-बूझकर ‘शॉर्ट टेंडर नोटिस’ निकाले गए। इससे सिर्फ चुनिंदा और चहेती एजेंसियों को ही टेंडर में भाग लेने का मौका मिला।
- बाहरी एजेंसियों को फायदा: स्थानीय एजेंसियों को दरकिनार करते हुए, लगभग सभी बड़े काम बाहर की एजेंसियों को दिए गए।
- चुनिंदा 17 एजेंसियां: इनमें से 17 प्राइवेट एजेंसियों को अकेले 444 करोड़ रुपये से ज्यादा के टेंडर दिए गए। नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया, लि., रांची और सम्सकारा, रांची जैसी एजेंसियों को करोड़ों का भुगतान किया गया।
- कीमतों में भारी हेरफेर: 700% से 2000% तक की लूट!
घोटाले का एक और चौंकाने वाला पहलू है, सामानों की खरीद में भारी भ्रष्टाचार। - जनरेटर घोटाला: एक ही एजेंसी को एक ही वित्तीय वर्ष में जनरेटर आपूर्ति के लिए दो अलग-अलग दरों पर कार्यादेश दिया गया। पहले 7.97 लाख रुपये का जनरेटर कुछ ही समय बाद 12.28 लाख रुपये में खरीदा गया, जिससे करोड़ों की धांधली हुई।
- आंगनबाड़ी की किताबें: बच्चों के लिए खरीदी गई किताबें निजी स्कूलों की किताबों से भी कई गुना महंगी थीं। 400 रुपये प्रति पुस्तक की दर से किताबें खरीदी गईं, जबकि बाजार में उनकी कीमत कहीं कम थी।
- सोलर लिफ्ट इरिगेशन: सोलर लिफ्ट इरिगेशन यूनिट जिसकी बाजार में कीमत मात्र 1.5 से 2 लाख रुपये है, उसे 6.92 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदा गया।
- फर्जी कागजात और फर्जी बैठकें: लूट का फुलप्रूफ प्लान!
आरोप है कि इस महाघोटाले को अंजाम देने के लिए सरकारी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। - फर्जी बैठकें: शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन उपायुक्त ने DMFT की प्रबंधकीय समिति की फर्जी बैठकों का हवाला देकर दस्तावेज तैयार किए। कहा गया है कि अधिकारियों पर दबाव डालकर मिनट्स ऑफ मीटिंग पर हस्ताक्षर करवाए गए।
- बिना काम के भुगतान: कई मामलों में एजेंसियों को बिना काम किए या अधूरा काम करने पर भी पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया।
- पेंडिंग बिलों का निपटारा: वर्षों से लंबित करोड़ों की राशि को भी बिना किसी मंजूरी के जल्दबाजी में चुका दिया गया।
शिक्षा के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा, अधिकारी के पति की कोचिंग पर खूब मेहरबानी
DMFT फंड का दुरुपयोग सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर में ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी हुआ। ट्रेनिंग, प्लेसमेंट और कोचिंग प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रों पर 1,07,483 रुपये प्रति छात्र की दर से खर्च किया गया, जो देश के नामी-गिरामी कोचिंग संस्थानों की फीस से भी कहीं ज्यादा है। ‘करियर प्लस एजुकेशनल सोसाइटी’ को 9.15 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन अब वहां क्लास नहीं चल रही है। सूत्र बताते हैं कि पूरे साल में मात्र 30 बच्चों ने ही पढ़ाई की, फिर भी 9 करोड़ से ज्यादा खर्च हुए।
– अधिकारी के रिश्तेदार की कोचिंग: सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस कोचिंग का उद्घाटन तत्कालीन डीसी विजया जाधव ने किया था, वह कथित तौर पर एक अन्य पूर्व अधिकारी के पति द्वारा चलाई जाती है, जो डीसी के काफी करीब थीं। उक्त महिला अधिकारी यहां सीओ से लेकर वरिष्ठ पद तक आसीन रह चुकी है। आश्चर्य इस बात का है कि जिस दिन उस कोचिंग का उद्घाटन हुआ, वह महिला अधिकारी अपने ही पति के कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहीं।
इधर, पूर्व DC ने आरोपों को बताया निराधार
दूसरी तरफ, आरोपों से घिरी पूर्व उपायुक्त विजया जाधव नारायण राव ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा है कि सारे काम नियमानुसार किए गए हैं और किसी को लाभ पहुंचाने के लिए काम नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन के किसी अधिकारी का कोई रिश्तेदार नहीं है।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करती है, या यह भी सिर्फ एक और जांच की फाइल बनकर रह जाएगी। क्या CBI जांच होगी, और क्या इस महाघोटाले के असली गुनहगारों का पर्दाफाश होगा?
- Varnan Live Report.





Leave a Reply