98 दिन से छाई संकट, NGT नियमों को तोड़कर खड़ी हो गई 6 फीट खतरे की दीवार

कुमार संजय
बोकारो थर्मल।
झारखंड के ऊर्जा केंद्र बोकारो थर्मल में एक बड़ा पर्यावरणीय और बिजली संकट सिर पर आ चुका है! डीवीसी (DVC) का 500 मेगावाट क्षमता वाला ‘ए’ पावर प्लांट पिछले 98 दिनों से छाई (फ्लाई ऐश) ट्रांसपोर्टिंग ठप होने के कारण बंद होने की कगार पर है।

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विगत 98 दिनों से ऐश पौंड से छाई की ढुलाई और सेलो सिस्टम से ड्राई ऐश की ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह से ठप पड़ी है। नतीजतन, डीवीसी के एक और दो नंबर दोनों ऐश पौंड खतरनाक स्तर तक पूरी तरह भर चुके हैं, जिससे प्लांट बंद होने की आशंका कई गुना बढ़ गई है।

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स्थानीय डीवीसी प्रबंधन इस प्लांट को किसी भी कीमत पर चालू रखने के लिए अब सीधे-सीधे कानून को धता बता रहा है! नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के प्रावधानों के तहत ऐश पौंड में छाई का स्तर ऊपरी सीमा से हमेशा तीन फीट नीचे रहना चाहिए, लेकिन प्रबंधन ने भरे हुए पौंड में ही छाई को चारों तरफ से पांच से छह फीट तक की ऊंचाई पर दीवार की भांति खड़ा कर दिया है। यह न सिर्फ नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि एक जबरदस्त पर्यावरणीय आपदा को न्योता देना है!

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दरअसल, यह गतिरोध स्थानीय ट्रांसपोर्टरों की प्रति टन प्रति किलोमीटर दस रुपये की वृद्धि की मांग के कारण जारी है, जिसे डीवीसी पूरा करने में असमर्थता जता रहा है। अगर यह गतिरोध जल्द नहीं टूटा, तो न सिर्फ 500 मेगावाट का बिजली उत्पादन ठप होगा, बल्कि एक बड़ी पर्यावरण आपदा भी आ सकती है!

बड़ा सवाल… क्या 2019 की त्रासदी दोहराई जाएगी?

छाई से लबालब भरे पौंड और उस पर 6 फीट ऊंची छाई की दीवार जमा करने से पौंड पर अत्यधिक और जानलेवा दबाव पड़ रहा है। यह स्थिति हूबहू सितंबर 2019 जैसी है, जब तत्कालीन एचओपी कमलेश कुमार के कार्यकाल में दबाव बढ़ने पर 19 सितंबर 2019 को ऐश पौंड टूट गया था। उस भयानक त्रासदी में सैकड़ों टन छाई बहकर कोनार और दामोदर नदी में समाहित हो गई थी, किसानों की धान की फसलें बर्बाद हुई थीं, और एनजीटी ने डीवीसी पर एक करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया था। वर्तमान स्थिति उसी त्रासदी की पुनरावृत्ति का सीधा संकेत है!

प्लांट बंद करने का अल्टीमेटम
डीवीसी के डीजीएम कालीचरण शर्मा ने खुद बताया है कि किसी तरह से पौंड में जगह बनाकर प्लांट को मुश्किल से एक सप्ताह तक ही चलाया जा सकता है। उन्होंने साफ़ चेतावनी दी है कि “यदि एक सप्ताह के भीतर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मजबूरन पावर प्लांट को बंद करना पड़ सकता है।”

  • Varnan Live Report.

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