पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सहित सैकड़ों लोगों ने जताई संवेदना, शोक व्यक्त करनेवालों का लगा तांता

बोकारो: यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व बोकारो महानगर अध्यक्ष, पार्टी के अत्यंत वरीय नेता और सबके प्रिय समाजसेवी इंद्रकुमार झा (57) अब इस नश्वर संसार में नहीं रहे। गुरुवार की सुबह लगभग 8.45 बजे बोकारो जनरल अस्पताल (बीजीएच) में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। एक ऐसी खबर, जिसने बोकारो से लेकर पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है।

पिछले कुछ समय से वे बीमार चल रहे थे, लेकिन परिजनों और शुभचिंतकों को उम्मीद थी, क्योंकि उनकी सेहत में सुधार हो रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। गुरुवार सुबह अचानक उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि परिजनों और पड़ोसियों को तत्काल उन्हें बोकारो जनरल अस्पताल (बीजीएच) लेकर भागना पड़ा। वहां, चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह समाचार सुनते ही मानो सब कुछ ठहर-सा गया।

राजनीति से लेकर समाज के हर कोने में शोक ही शोक

राजनीति की दहलीज से लेकर समाजसेवा के हर कोने तक उनकी सक्रिय सहभागिता और उनका अत्यंत मृदु-मधुर स्वभाव ही उनकी सबसे बड़ी पहचान थी। इसी कारण, उनके आकस्मिक निधन की खबर सुनते ही बोकारो, चास सहित पूरे झारखंड प्रदेश से शोक-संवेदनाओं का तांता लग गया है। चौतरफा गहन शोक पसरा हुआ है।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद रवीन्द्र कुमार पांडेय व बोकारो विधायक श्वेता सिंह सहित सैकड़ों लोग शोकाकुल परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए सेक्टर-2 स्थित उनके आवास पर पहुंचे। हर आंख नम थी, हर चेहरा उदास।

अपनी जिदंगी के ‘इन्द्र’… परेशानियों में भी ढूंढते थे हंसने-हंसाने का बहाना

श्री झा, जो सदैव हंसमुख रहते थे, जिन्होंने बड़ी से बड़ी परेशानियों में भी हंसने और दूसरों को हंसाने का बहाना ढूंढ लिया, वह अपने नाम के अनुरूप ही अपनी जिंदगी के ‘इन्द्र’ (राजा) थे। बोकारो में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती के साथ खड़ा करने में उन्होंने केंद्रीय भूमिका निभाई थी। मिथिला समाज में उनकी विशिष्ट पहचान थी; मैथिली कला मंच कालीपूजा ट्रस्ट के पूर्व महासचिव के रूप में, उन्होंने श्यामा माई मंदिर, सेक्टर-2 के पुनरुद्धार में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।

सिद्धाश्रम साधक परिवार (निखिल मंत्र विज्ञान) से भी उनका गहरा नाता था। सेक्टर-12डी में निखिल पारदेश्वर मंदिर की स्थापना हो या विगत शिविरों में सक्रिय सहयोग, वे हर काम में तन-मन से तत्पर रहा करते थे।

उनका इस तरह चले जाना समाज की कई धुरियों को कमजोर कर गया है। बाबूलाल मरांडी सहित सभी लोगों ने उनके निधन को समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है। श्री मरांडी के अलावा सैकड़ों लोगों का भारी हुजूम बीजीएच में भी उमड़ पड़ा था, जो उनकी लोकप्रियता और सबके दिलों में उनके स्थान को दर्शाता है।

दरभंगा के राढ़ी गांव के रहने वाले थे मूल निवासी, छोड़ गए भरापूरा परिवार

बिहार के दरभंगा जिला अंतर्गत राढ़ी ग्राम के मूल निवासी श्री झा की कुछ वर्ष पूर्व भी तबीयत बेहद खराब हुई थी, लेकिन अपनी असाधारण जीवटता और लंबे इलाज के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ होकर लौटे थे। परिजनों की मानें तो, कुछ समय पहले गांव जाने के दौरान उनकी तबीयत पुनः काफी खराब हुई। बोकारो और रांची में इलाज चला और स्थिति में धीरे-धीरे सुधार भी दिख रहा था, लेकिन गुरुवार को अचानक उन्हें हृदयघात (हार्ट अटैक) आया और उन्होंने सदैव के लिए आंखें मूंद लीं। वे अपने पीछे पत्नी और दो युवा पुत्रों – अमित और बिट्टू सहित एक भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके छोटे भाई अविनाश झा अवि भी भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। उनके बड़े पुत्र के दिल्ली से पहुंचने के उपरांत, इस परम हंसमुख और जीवट इंसान को शुक्रवार को यहां गरगा श्मशान घाट पर अंतिम विदाई दी जाएगी। यह विदाई केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि बोकारो के सामाजिक-राजनीतिक पटल के एक महत्वपूर्ण अध्याय को दी जाएगी। उनके जाने का दर्द लंबे समय तक टीस देता रहेगा।

  • Varnan Live Report.

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