बच्चों ने जिलास्तर पर किया कमाल, अब राज्य स्तर पर मचाएंगे धमाल; 4 प्रोजेक्ट चयनित

संवाददाता
बोकारो।
आपने सुना होगा कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती, लेकिन जब यह प्रतिभा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AI) के पंख लगाकर उड़ान भरे और समाज की असली समस्याओं का समाधान पेश करे, तो बात ही कुछ और है! बोकारो के दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) के नन्हे वैज्ञानिकों ने ऐसा ही कमाल कर दिखाया है, जिसकी चर्चा आज पूरे जिले में है। डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार के कुशल मार्गदर्शन में, इन युवा दिमागों ने AI को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक जरूरतों से जोड़ दिया। अपनी इसी असाधारण प्रतिभा के दम पर, विद्यालय के इन युवा वैज्ञानिकों के चार अद्भुत प्रोजेक्ट्स अब राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपना जलवा बिखेरने को तैयार हैं!

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हाल ही में साइंस फॉर सोसाइटी, बोकारो और विज्ञान जागरण समिति, झारखंड की ओर से शहर में आयोजित जिलास्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में डीपीएस बोकारो की ओर से विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर आधारित चार अभिनव प्रोजेक्ट्स पेश किए गए। छात्र-छात्राओं ने कमाल के आत्मविश्वास के साथ अपने मॉडल्स की कार्यप्रणाली को जजों और सैकड़ों आगंतुकों के सामने साझा किया। निर्णायकों ने नवाचार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, शानदार प्रस्तुतीकरण और सामाजिक प्रासंगिकता के कठोर मापदंडों पर मूल्यांकन करते हुए इन प्रोजेक्ट्स को अगले चक्र के लिए चुना। विभिन्न स्कूलों से कुल 77 मॉडल प्रस्तुत किए गए थे और उनमें से डीपीएस बोकारो के चार चमकते सितारे आगे बढ़े।

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मिलिए ‘नोवासेपियन’ से: आपका मल्टीटास्किंग ह्यूमनॉइड दोस्त

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक रोबोट आपके घर के सारे काम निपटा दे? या अस्पताल में मरीजों की देखभाल करे? या भीड़ में खोए हुए लोगों की मदद करे? जी हां, ये कोई साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि डीपीएस बोकारो के छात्र सरित चक्रवर्ती और लक्ष्य रंजन की देन है! मात्र 13 साल के इन नन्हे वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मल्टीटास्किंग ह्यूमनॉइड रोबोट को प्रस्तुत किया है, जो AI के जरिए यह समझने में सक्षम है कि उसे कब और कहां क्या मदद देनी है। उन्होंने इसे नाम दिया है – ‘नोवासेपियन’। यह महज लोहे और तारों का ढांचा नहीं, बल्कि भविष्य का वह ‘सुपर-असिस्टेंट’ है जो इंसानों के बोझ को कम करने और मुश्किलों को आसान करने के लिए तैयार किया गया है। अब घर के काम हों, अस्पताल की सेवा हो या भीड़ में राह दिखाना, यह रोबोट आपके काम आसान करेगा!

किसानों का नया ‘रक्षक’: फसलों की हिफाजत करेगा ‘एग्रोशील्ड AI’

कृषि प्रधान भारत में जब फसलें बीमारियों की चपेट में आती हैं, तो अन्नदाताओं की कमर टूट जाती है। इस गंभीर दर्द का एक स्मार्ट और स्थायी इलाज ढूंढा है होनहार छात्र श्रेय कश्यप और यश राज ने। उन्होंने ‘एग्रोशील्ड एआई’ नामक एक ऐसा स्मार्ट प्लेटफॉर्म बनाया है, जो फसलों के स्वास्थ्य पर चौबीसों घंटे डिजिटल पहरा देता है! सेंसर और डेटा एनालिसिस के जरिए यह जादुई सिस्टम फसल के खराब होने से बहुत पहले ही कीटों और बीमारियों की सटीक भविष्यवाणी कर देता है। कल्पना कीजिए, बीमारी आने से पहले ही उसका पता चल जाए और समय पर इलाज हो सके, तो कितनी फसलें बचेंगी और किसानों का कितना फायदा होगा! यह सच में कृषि क्रांति की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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जल-ऊर्जा की बर्बादी रोकेगा ‘टेरानोवा’, तो सड़क-पुलों की सुरक्षा करेगा ‘इंफ्रेक्टो’

आजकल जल और ऊर्जा की बर्बादी एक वैश्विक समस्या है, लेकिन डीपीएस बोकारो के श्रेष्टा चतुर्वेदी और प्रतीक वर्मा ने इसे रोकने के लिए एक इंटेलिजेंट मैनेजमेंट सिस्टम ‘टेरानोवा’ पेश किया है। इसका एक जादुई हिस्सा है ‘स्मार्ट वाटर-एनर्जी सेवर’! यह सिस्टम इतना समझदार है कि पाइप में मामूली लीकेज होते ही खुद-ब-खुद पंप को बंद कर देता है। बारिश होने पर यह मोटर को चालू होने से रोक देता है, और तो और, बादलों के फटने जैसी आपात स्थिति में यह चेतावनी भी जारी करता है! अब न पानी बर्बाद होगा, न बिजली की फिजूलखर्ची!

और बात यहीं खत्म नहीं होती! छात्र प्रियम हरनंदका और अनिकेत सिंह ने पुलों और ऊंची इमारतों की देखरेख की एक अनूठी यांत्रिकी प्रस्तुत की है। उनके ‘इंफ्रेक्टो’ नामक प्रोजेक्ट में एक AI-पावर्ड सिस्टम बुनियादी ढांचे की सतहों का सूक्ष्म विश्लेषण करता है और ऐसी बारीक दरारों को भी पहचान लेता है, जिन्हें इंसानी आंखें आसानी से नहीं देख पातीं। यह तकनीक आने वाले समय में हमारे पुलों, इमारतों और सड़कों को और भी सुरक्षित बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।

प्राचार्य डॉ. गंगवार बोले – देश को Smart India बनाने की राह पर हैं बच्चे

इन सभी अद्भुत प्रोजेक्ट्स की सफलता और राज्य स्तर पर इनके चयन को लेकर डीपीएस बोकारो के प्राचार्य तथा साइंस फॉर सोसाइटी, बोकारो एवं विज्ञान जागरण समिति, झारखंड के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. ए. एस. गंगवार ने असीमित प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने चयनित विद्यार्थियों और उनके मार्गदर्शक शिक्षक डॉ. मो. ओबैदुल्लाह अंसारी को दिल से बधाई दी।

डॉ. गंगवार ने गर्व से कहा, “आज हमारे बच्चों ने यह साबित कर दिया है कि वे केवल तकनीक के उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता हैं। डीपीएस बोकारो बच्चों की वैज्ञानिक प्रतिभा को निखारने का हर संभव अवसर प्रदान करने के लिए सदैव कटिबद्ध रहा है। प्रदर्शनी में बच्चों ने जिस प्रकार का तकनीकी नवाचार दिखाया, उससे यह स्पष्ट है कि भविष्य के ये कर्णधार कल के भारत को ‘स्मार्ट इंडिया’ बनाने की दिशा में न केवल बढ़ रहे हैं, बल्कि उसे हकीकत में बदलने का माद्दा भी रखते हैं!”

कुल मिलाकर, यह कहना गलत नहीं होगा कि बोकारो के इन युवा ‘सुपर हीरोज’ ने न केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, बल्कि AI को लेकर आम लोगों की सोच को भी एक नई दिशा दी है। अब सभी की निगाहें राज्य स्तरीय प्रतियोगिता पर टिकी हैं, जहां ये बच्चे निश्चित रूप से बोकारो का नाम रोशन करेंगे।

  • Varnan Live Report.

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