कौन है बोकारो में सांपों का तस्कर?

0
477

संवाददाता
बोकारो :
सांप, वह जीव जिसका नाम सुनते ही या जिसे देखते ही अच्छे-अच्छों का कलेजा एक बार सहसा मुंह के बाहर आ जाता है और आम इंसान ही नहीं, कई जंतु भी उससे भय खाते हैं। खैर, यह तो प्रकृति का नियम है। इस जीव-जगत में हर जीव की अपनी-अपनी महत्ता व विशेषतायें हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी लोग हैं, जो इस बेजुबान जंतु को अपने गोरखधंधा का जरिया बनाते रहे हैं। स्टील-उत्पादन और शिक्षा की बौद्धिक नगरी बोकारो में दुर्लभ प्रजातियों के सांप की तस्करी का मामला शुक्रवार को सामने आया। जानकारों के अनुसार यहां के लिये संभवत: यह सर्प-व्यवसाय का पहला मामला है। सेक्टर-4 थाना क्षेत्र अंतर्गत सिटी सेन्टर स्थित होटल आनंदा के रूम नंबर- 306 से पुलिस ने करोड़ों रुपये मूल्य के सैंड बोआ प्रजाति वाले एक सांप के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया। पकड़े गये तस्करों में गया (बिहार) निवासी सुनील पासवान एवं बोकारो जिले के दुग्दा के रहने वाले शहाबुद्दीन के नाम शामिल हैं। उनके कमरे की तलाशी लेने पर पुलिस ने राई सरसों से भरे एक बैग को बरामद किया, जिसमें सैंड बोआ प्रजाति का यह दो मुंहा दुर्लभ सांप पाया गया। वन विभाग के एक स्थानीय आला अधिकारी राहुल कुमार ने कहा कि इस सांप की कीमत करोड़ों में है। भारत में यह अच्छे भाग्य का सूचक माना गया है, जबकि चीन तथा सऊदी देशों में इससे दवा तैयार की जाती है। कुछ जानकार बताते हैं कि इस सांप से यौन-क्षमता बढ़ाने की दवा भी बनायी जाती है, परंतु यह अब तक अफवाह ही साबित हुई है।
बता दें कि गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने उक्त दोनों तस्करों को सांप के साथ गिरफ्तार किया, लेकिन मौके का फायदा उठाकर तस्करों ने साक्ष्य मिटाने की नीयत से बैग से उक्त सांप को थाने में ही खिड़की से बाहर निकालकर भगाने की कोशिश की। बाद में पुलिस के दबाव पर खोजबीन में सांप को फिर से वहीं पास से ही बरामद कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार लाखों रुपये में सांप की डील किये जाने की संभावना थी, जिसे विफल कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलने पर सिटी डीएसपी ज्ञान रंजन ने भी मामले की जांच की।

पुलिस ने कैसे बरामद किया करोड़ों का सांप, देखें एक्सक्लूसिव वीडियो रिपोर्ट…

उन्होंने कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद अपने स्तर से हरसंभव कार्रवाई करते हुए मामले को वन विभाग के हवाले कर दिया है। पुलिस ने फिलहाल दोनों तस्करों को जेल भेज दिया गया। वन्य-प्राणी अधिनियम के तहत अब वन विभाग आगे की कार्रवाई करेगा। उक्त तस्कर कहां से सांप लेकर आये थे, यहां किसके लिये लाये थे, कितने में सौदेबाजी करनी थी, इन तमाम बातों की जानकारी फिलहाल नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा कि तस्करों ने इस बारे में अभी कुछ भी नहीं बताया है। वन विभाग अब आगे की कार्रवाई करेगी। बहरहाल, मामला भले ही अब पुलिस और वन विभाग के बीच चला गया, परंतु यह बड़ा सवाल जरूर अनसुलझा रह गया कि आखिरकार बोकारो में सांपों का कारोबारी है तो है कौन?

  • Varnan Live.
Previous articleएक राष्ट्र, एक चुनाव पर हंगामा क्यों?
Next articleऐसी आजादी और कहां?
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply