बोकारो। सेवा-नियमितीकरण की मांग को लेकर अनुबंध आधारित बोकारो के स्वास्थ्य कर्मियों (एनआरएचएमकर्मियों) ने सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर बोकारो में इनकी दोदिवसीय हड़ताल बुधवार को शुरू हुई। हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होनी शुरू हो गईं। मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है। इम्यूनाइजेशन, टीकाकरण, रक्त जांच, ब्लड प्रेशर जांच, रसीद कटाई से लेकर मरीज को देखने व ओपीडी सेवाएं समेत कार्यालयीन कार्य भी बुरी तरह चरमरा गए हैं। आंदोलनकारियों ने बोकारो सदर अस्पताल और सिविल सर्जन कार्यालय के सामने जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की।
मौके पर एनआरएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ के प्रमंडलीय सचिव पवन श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर काफी नकारात्मक रुख अपना रही है। स्वास्थ्यकर्मियों के हित को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा- हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट आई, जिसमें झारखंड को यक्ष्मा के मामले में अव्वल बताया गया। यह एसी चेंबर में बैठने वाले अधिकारियों की बदौलत नहीं, बल्कि हम जैसे धरातल पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत का परिणाम है। सरकार तो पहले आश्वासन भी दिया करती थी, मांगों को जायज बताती थी लेकिन अब उससे भी मुंह मोड़ने लगी है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाल ही में स्वास्थ्य सचिव का एक पत्र आया है, जिसमें अनुबंधकर्मियों को नियमित नहीं किए जाने की बात कही गई है। यह सरासर गलत है सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि लगातार 10 वर्षों की सेवा के बाद संबंधित कर्मचारियों को नियमित करना है। केंद्र सरकार ने भी कुछ ऐसा ही निर्देश पूर्व से जारी कर रखा है, लेकिन राज्य सरकार नियमित करने के बजाय लगातार एनआरएचएमकर्मियों का शोषण कर रही है। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अगर बीमार पड़ गये तो 16 दिन के बाद 17वें दिन से वेतन में कटौती शुरू हो जाएगी। एक सवाल के जवाब में पवन ने कहा कि यकीनन इससे मरीजों को परेशानी हो रही है, उन्हें मरीजों की दिक्कतों को लेकर सहानुभूति तो है, परंतु इसके साथ ही उनलोगों का अपना घर-परिवार और अपनी अपनी समस्याएं भी हैं जब सरकार उनके हित को लेकर नहीं सोचेगी तो वे लोग आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में जनता उनकी मांगे पूरी कराने में सरकार पर दबाव बनाने को लेकर मदद करे। उन्होंने कहा कि 24 और 25 जुलाई की हड़ताल पूरे राज्यभर में चल रही है। गुरुवार को होने वाली बैठक में जो निर्णय होगा, उसके आलोक में फिर अगली रणनीति तैयार की जाएगी। मौके पर एनआरएचएम अनुबंधित कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अभय कुमार, जिला अध्यक्ष जयप्रकाश नायक, सचिव मनीष कुमार सहित सदस्यों में रास बिहारी, शैलेश, मधुमिता, पूनम, रंभा, उर्मिला के अलावा बड़ी संख्या में एनआरएचएमकर्मी उपस्थित थे।
मांगें पूरी करना हमारे बस में नहीं : सिविल सर्जन
एनआरएचएमकर्मियों की हड़ताल से बोकारो जिले में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार पाठक ने अपनी अक्षमता जाहिर की। उन्होंने कहा कि एनआरएचएम कर्मियों की मांगे पूरी करना उनके बस की बात नहीं है। राज्य सरकार ही इस पर निर्णय ले सकती है। उन्होंने माना कि जहां-जहां एनआरएचएम कर्मियों की ड्यूटी है, वहां काफी बुरी तरह चिकित्सीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। आपात सेवा बाधित न हो, इसका प्रयास वह कर रहे हैं। साथ ही कम से कम मरीजों को परेशानी हो, इसके लिए भी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख सकारात्मक दिख रहा है। आशा है कि जल्द ही कुछ सही कदम उठाया जाएगा