- विजय कुमार झा
लम्बे संघर्ष और असंख्य हिन्दुस्तानियों के त्याग व बलिदान के बाद वर्ष 1947 में 15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजी हुकूमत की बेड़ियों से आजाद हुआ और आज हम भारतवासी अपने स्वतंत्रता की 73वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। लेकिन, सत्तालोलुप राजनेताओं की वोट-परस्ती ओछी सोच और उनके कारनामों की वजह से देश का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर गुलामी की जंजीरों में ही जकड़ा रहा। जम्मू-कश्मीर की वादियां आतंकवादियों की गोलियों से लहूलुहान होती रही। वहां भारत माता की जय-जयकार करने वाले लोग मौत के घाट उतारे जाते रहे। मजहब के नाम पर खूनी खेल चलता रहा। पाकिस्तान-परस्तों द्वारा भारतीय तिरंगा का अपमान करना उनके लिए रोजमर्रा की बात थी। लेकिन, केन्द्र सरकार द्वारा लिये गये ऐतिहासिक व साहसिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर भी आज परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त हो चुका है। सच कहा जाय तो 72 वर्षों के बाद भारत को दूसरी आजादी मिली है।
इसके साथ ही देश की मुस्लिम मां-बहनों को भी इस सरकार ने वह अधिकार दिया है, जो आजादी के बाद से लेकर आज तक उनके नसीब में नहीं था। छोटी-छोटी बातों पर सिर्फ ‘तीन तलाक’ कहकर उनकी हंसती-खेलती जिन्दगी उजाड़ दी जाती थी और उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश किया जाता रहा। दुनिया के कई इस्लामिक देशों में तीन तलाक जैसी कोई प्रथा नहीं है, लेकिन भारत में मुस्लिम वोटों के सौदागर सत्ताधीशों ने आज तक इस अमानवीय कृत्य को रोकने की हिम्मत नहीं दिखायी। पर, मोदी सरकार ने इस काले अध्याय का भी अंत किया और मुस्लिम महिलाओं को समानता तथा सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान किया। इसलिए यह स्वतंत्रता दिवस भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
क्या-क्या हुए बदलाव
> इससे पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान लागू नहीं था। जबकि अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक ही संविधान होगा।
> राज्य के लिए संसद अभी तक सिर्फ रक्षा, विदेश मामले और संचार से जुड़े कानून बना सकती थी। इससे अलग किसी कानून का जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में पारित होना जरूरी था। लेकिन, अब संसद से पारित कानून वहां सीधे लागू होंगे।
> सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और कैग जैसे कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे।
> पहले जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा था। सरकारी दफ्तरों पर तिरंगे के साथ-साथ राज्य का झंडा भी फहराता था। लेकिन, अब तिरंगा ही राष्ट्रीय ध्वज होगा। तिरंगे का अपमान भी अब अपराध होगा।
> भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। पहले यह जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं था, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर भी इसके दायरे में आयेगा।
> सुप्रीम कोर्ट के आदेश पहले जम्मू-कश्मीर में सीधे लागू नहीं होते थे। इसके लिए वहां की विधानसभा से अलग से कानून पास कराना होता था, लेकिन अब इसमें
कोई अवरोध नहीं होगा।
> जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। अभी तक वहां राष्ट्रपति शासन नहीं,
बल्कि राज्यपाल शासन लगाना पड़ता था। अब वहां भी सभी राज्यों जैसी व्यवस्था होगी।
विशेषाधिकार भी खत्म
> जम्मू-कश्मीर के लोगों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे और इसकी मूल वजह थी अनुच्छेद 35, जो विवाद की जड़ थी। इसका आधार धारा 370 रहा है। अब चूंकि 370 खत्म कर दिया गया है, इसलिए अनुच्छेद 35 ए भी रद्द हो चुका है। > अभी तक किसी अन्य राज्य के लोग जम्मू-कश्मीर में स्थायी सम्पत्ति खरीदकर वहां नहीं बस सकते थे। बाहरी लोग न सरकारी नौकरी पा सकते थे, न व्यापार कर सकते थे। अब यह पाबंदी खत्म हो गयी है।
> जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता थी। राज्य में वोट देने का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को था। दूसरे राज्य के लोग वहां वोट नहीं दे सकते थे और न चुनाव ही लड़ सकते थे। अब देश का कोई भी नागरिक वहां का वोटर या उम्मीदवार बन सकेगा।
> जम्मू-कश्मीर की महिलाएं अगर राज्य से बाहर के लोगों से शादी कर लेती थीं तो उनका सम्पत्ति का अधिकार खत्म हो जाता था। उनके बच्चों को भी वहां की नागरिकता नहीं मिलती थी। अब यह पाबंदी खत्म हो गयी है।
> कश्मीरी महिला अगर किसी पाकिस्तानी से शादी करती थीं तो उसके पति को राज्य की नागरिकता मिल जाती थी, लेकिन धारा 35 ए खत्म होने के बाद यह नामुमकिन होगा।
> जम्मू में बसे हिन्दू परिवार अब तक शरणार्थी थे। वे सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सकते थे, शिक्षण संस्थान में दाखिला नहीं ले सकते थे। लेकिन, उन्हें सभी अधिकार मिल गये हैं।
पाकिस्तान के लिए हथियार था धारा 370 : मोदी
जम्मू-कश्मीर पर जारी चर्चा के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 पर ‘एक देश- एक परिवार’ के तौर पर हमने ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पूरे देश की जनता को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि एक नये युग की शुरुआत हुई है। जम्मू-कश्मीर के लोग अब तक कई अधिकारों से वंचित थे। अनुच्छेद 370 का इस्तेमाल पाकिस्तान हथियार के रूप में करता था। धारा 370 और 35 ए ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को भड़काने के अलावा कुछ नहीं दिया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास उस गति से नहीं हो पाया, जो जरूरी थी। इस फैसले से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का वर्तमान तो सुधरेगा ही, भविष्य भी सुरक्षित होगा। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद इतनी बड़ी संख्या में कानून बनाये और देश के एक हिस्से में वे कानून लागू नहीं हों। जम्मू-कश्मीर के बच्चे अब तक शिक्षा के अधिकार से वंचित थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर के सफाई कर्मचारियों को वे अधिकार नहीं मिल रहे थे, जो देश के अन्य राज्यों में सफाईकर्मियों को मिल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की बेटियों को भी अब वही अधिकार मिलेंगे, जो पूरे देश की बेटियों को मिलते हैं। तीन दशक में 42 हजार निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अल्पसंख्यकों के लिए बना कानून जम्मू-कश्मीर में प्रभावी नहीं था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इन दोनों इन दोनों अनुच्छेदों का नकारात्मक प्रभाव झेल रहा जम्मू-कश्मीर जल्द इससे बाहर निकलेगा।
ऐतिहासिक भूल को सुधारा गया : अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए इसे आतंकवाद की जड़ करार दिया। उन्होंने धारा 370 को विकास विरोधी, महिला, दलित और आदिवासी विरोधी बताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना एक ऐतिहासिक भूल थी, जिसे खत्म कर उनकी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला किया है। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि जम्मू-कश्मीर के हालात जैसे ही सामान्य होंगे, उसे फिर से राज्य का दर्जा देने पर केन्द्र सरकार विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों की टीस खत्म होने का आनन्द शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा- हम कभी क्यों नहीं बोलते कि यूपी, पंजाब या तमिलनाडु भारत का अभिन्न अंग है? यह इसलिए था कि 370 को लेकर जनमानस में संशय की स्थिति थी। आज यह कलंक मिट गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसके लिए कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। जम्मू-कश्मीर में पीओके (पाक-अधिकृत कश्मीर) और अक्साई चिन भी है। संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर का मामला ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। अगर उन्होंने भारतीय सेनाओं को नहीं रोका होता तो आज पीओके भी भारत का हिस्सा होता।
NSA अजीत डोवाल की भी बड़ी भूमिका
मिशन जम्मू-कश्मीर और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को खत्म करने तथा इसके बाद इससे संभावित खतरों को भांपते हुए जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बनाये रखने में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जेम्स बौंड कहे जाने वाले अजित डोवाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसे अमलीजामा पहनाने में एनएसए अजीत डोभाल समेत चार अफसर अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनकी कार्यकुशलता का ही नतीजा है कि घाटी में अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। इनमें श्री डोवाल का साथ देने वालों में केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, बीवीआर सुब्रमण्यम तथा के विजय कुमार के नाम उल्लेखनीय हैं।
जानिये, कैसे बनी रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने का राजनीतिक फैसला हुआ। इस अहम निर्णय को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी एक बार फिर एनएसए अजीत डोभाल को दी गई। अजीत डोभाल इससे पहले भी दो मौकों पर पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं। इस दौरान फैसले के प्रभाव को लेकर व्यापक विचार विमर्श किया गया था। आईबी और रॉ से कश्मीर घाटी और पीओके में आतंकी ठिकानों को लेकर अपडेट रिपोर्ट ली गई। हर स्तर पर खुफिया इनपुट एकत्र करके डोभाल ने ही जमीन पर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती खाका तैयार किया। इसके साथ ही सीमापार प्रतिक्रिया से निपटने का इंतजाम भी किया।
स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने वाला दिन
5-6 अगस्त, 2019 का दिन स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। 4 अगस्त की आधी जम्मू-कश्मीर को अपनी पुश्तैनी जागीर समझकर वहां की सत्ता पर हुकूमत करने वाले तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमश: फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुμती को नजरबंद करने के बाद धारा-144 लगा दी गयी और सोमवार की सुबह कैबिनेट की बैठक के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद में बदलाव की फैसलों की जानकारी दी। उसी दिन लम्बी चर्चा के बाद राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव का संकल्प-पत्र पारित कर दिया। राज्यसभा में इसके पक्ष में 125, जबकि विरोध में सिर्फ 61 मत पड़े। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध किया, जबकि सपा, बसपा जैसे दलों ने इसे समर्थन दिया। अगले ही दिन लोकसभा ने भी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव 72 के मुकाबले 351 मतों से पारित कर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी केन्द्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले पर अपनी मुहर लगा दी और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 तथा जम्मू-कश्मीर की नागरिकता बताने वाला अनुच्छेद 35 ए भी समाप्त हो गया। इसके साथ ही 72 साल बाद अखंड भारत के निर्माण का सपना पूरा हुआ। साथ ही देश में एक संविधान और एक निशान की दशकों पुरानी मांग पूरी हुई। उक्त संशोधन के तहत जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों में विभाजित हो गया और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख, दोनों ही केन्द्र शासित प्रदेश बनाये गये। जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा का केन्द्र शासित प्रदेश होगा। अब इन दोनों प्रदेशों में राष्ट्रीय ध्वज केवल तिरंगा लहरायेगा। इस तरह केन्द्र सरकार ने 1954 के कानून में कई संशोधन किये हैं। केन्द्र के इस फैसले से कांग्रेस के कुछ नेता छाती पीट रहे हैं, जबकि पूरे देश में जश्न का माहौल है। केन्द्र सरकार ने जब ‘तीन तलाक’ जैसी कुप्रथा का अंत किया तो उस समय भी कांग्रेस सहित कई विरोधी दलों ने इसका विरोध किया। वे चाहते थे कि मुस्लिम महिलाओं का शोषण होता रहे और वे घुंट-घुंटकर जीने पर मजबूर रहें। लेकिन, उन्हें इसमें भी मुंहकी खानी पड़ी। देशवासियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इन साहसिक फैसलों से निश्चय ही काफी हर्ष है। इसलिए वर्ष 2019 का यह स्वतंत्रता दिवस भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने वाला दिन है।
- Varnan Live.
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