झारखंड, 19 साल का जवां और युवा प्रदेश। प्राकृतिक संपदाओं की रत्नगर्भा यह भूमि विकास की असीम संभावनाओं को अपने भीतर समेटे है, लेकिन आज तक उम्मीदें बस उम्मीदें ही बनी हैं। वजह रही है कि राजनीतिक अस्थिरता। विगत विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच संयोगवश झारखंड को स्थायी सरकार मिली और यकीनन विकास के नए-नए आयाम स्थापित हुए। लेकिन, अबकी बार चुनाव का नजारा और कुर्सी की खातिर दल-बदल की जो स्थिति है, वह कहीं फिर पुराना इतिहास न दुहराए।
RUPAK JHA

यह इस राज्य का दुर्भाग्य रहा है कि आरंभ के 14 वर्षों मे यहां अस्थिर सरकारों का दौर चला। इस दौरान 9 बार सरकारें बदलीं। कोई भी राजनीातिक दल ऐसा नहीं रहा, जिसे किसी न किसी दौर में सत्ता में रहने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ हो। हद तो तब हो गयी, जब एक बार एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन गया। यहां तीन बार राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ गयी। खंडित जनादेश के परिणाम स्वरूप विकास कार्य तेज रफ्तार से नहीं हो पाये। रघुवर दास के नेतृत्व की वर्तमान सरकार पहली सरकार है, जिसे पूर्ण बहुमत प्राप्त है और यह पहली सरकार है, जिसे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला है। इसके कार्यकाल में विकास कार्यों ने गति तो पकड़ी है, लेकिन विकास की दौड़ में अग्रणी पंक्ति के राज्यों के स्तर पर पहुंचने के लिए अभी इस राज्य को लंबी दौड़ लगानी होगी।
देश का सबसे लम्बा आंदोलन
पद्मश्री बलबीर दत्त के अनुसार झारखंड आंदोलन देश के इतिहास का सबसे लम्बा आंदोलन माना जाता है, जो प्रकारान्तर से देश की आजादी के पूर्व ही आरंभ हो गया था। झारखंड के मुकाबले उत्तराखंड आंदोलन बहुत अल्पकालिक व मंद रहा, जबकि छत्तीसगढ़ में तो कोई खास आंदोलन हुआ ही नहीं। यदि वृहत झारखंड राज्य की मांग मान ली गयी होती तो छत्तीसगढ़ का भी एक बड़ा भाग झारखंड का ही अंग होता। झारखंड का पूरा अर्थ है छोटानागपुर प्लेटो, जो काफी विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है।
एक लघु भारत
क्षेत्रफल के लिहाज से झारखंड राज्य असम, केरल, हरियाणा, हिमाचल औैर पंजाब आदि करीब एक दर्जन राज्यों से बड़ा है। झारखंड देश का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां तीन प्रमुख सांस्कृतिक धाराओं- आर्य, द्रविड़ और आस्ट्रेलेशियाई का विभिन्न भाषाओं के रूप में प्रतिनिधित्व है और इन तीनों ने मिलकर अपनी एक नयी सांस्कृतिक पहचान बनायी है। वास्तविक अर्थों में यह एक लघु भारत है।
सबकी आहुति जरूरी
झारखंड के नवनिर्माण यज्ञ में सबको आहुति देनी होगी। आदिवासी-सदान, गैर-आदिवासी सबको कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। झारखंड को समृद्धि के शिखर तक पहुंचाना कोई असंभव कार्य नहीं है। राष्ट्रपति अब्दुल जे. कलाम के शब्दों में झारखंड देश का ‘मॉडल स्टेट’ (आदर्श राज्य) बन सकता है।
– Varnan Live Report.