शीतलहर बरपा रहा कहर, बोकारो में सर्द हवाओं ने बढ़ाई कनकनी

0
345
कोहरे की चादर में लिपटा बोकारो का पत्थरकट्टा चौक इलाका।
संवाददाता
बोकारो। सर्द हवाओं के हल्के झोंके के साथ सिहरन भरी शीतलहरी का कहर बोकारो में पिछले दो-तीन से लगातार जारी है। इसी कड़ी में गुरुवार को सुबह से ही मौसम का मिजाज बदल-बदला सा रहा। प्रातःबेला से ही हाड़ कंपा देने वाली सर्द हवाएं चलने लगीं। थोड़ी देर के लिए धूप निकली, लेकिन शीतलहरी के आगे उसकी एक न चली। गुरुवार को शहर का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अगले दो दिनों तक भी यही स्थिति बने रहने की संभावना है। यानी इलाके में ठंड अब अपने परवान की ओर बढ़ता जा रहा है। पूस की हवा और कनकनी से बच्चे, बूढ़ों को अधिक परेशानी हो रही है। एक तो सुबह घना कोहरा और उसके बाद कनकनी। स्थिति ऐसी है कि जगह-जगह लोग दिन में ही अलाव तापते देखे जा रहे हैं। सुबह-शाम अत्यावश्यक कार्य होने पर ही लोग सड़कों पर निकल रहे हैं। ज्यादातर समय घर से निकलने से वे हिम्मत नही जुटा पा रहे। दिन में ही सड़क पर निकले लोग स्वेटर, जैकेट, सिर पर टोपी आदि पहने दिख रहे हैं। गर्म कपड़ों की खरीदारी भी बाजारों में बढ़ गई है। इस बढ़ती ठंड के बावजूद अब तक प्रशासन की तरफ से अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गरीब तबके के लोगों को खासकर ज्यादा परेशानी हो रही है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, चाय दुकान, बाजार आदि जगहों पर सुबह- शाम में कंपकंपाते मजदूर, राहगीर व स्थानीय लोग कागज के टुकड़े व पुआल जलाकर ठंड से राहत पाते दिख रहे हैं।
– Varnan Live Report.
Previous article03 जनवरी को तय होगी Global Active City के कार्यक्रमों की रूपरेखा, होगा विचार-विमर्श
Next articleबच्चों का स्वर्णिम भविष्य बनाने में शिक्षकों की भूमिका अहम : होरो
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply