बच्चों में पोषण की गड़बड़ी विकारों का कारण : डा. मनीष

0
271
संवाददाता
बोकारो थर्मल : बोकारो थर्मल के राजाबाजार स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 15 में गुरुवार को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत केंद्र के बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन हुआ। शिविर में बेरमो के डाॅ कुमार मनीष ने केंद्र के 35 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। डाॅ कुमार मनीष ने कहा कि देश में जन्म लेने वाले सौ बच्चों में से 6-7 बच्चे जन्म संबंधी विकार से ग्रस्त होते हैं। हा कि जन्म संबंधी विकारों के कारण नवजातों की मृत्यु इसके कारण होती है। पोषण संबंधी विभिन्न कमियों की वजह से बच्चे विभिन्न प्रकार के विकारों से ग्रस्त होते हैं। शुरूआती बालपन में विकासात्मक अवरोध भी बच्चों में पाया जाता है। यदि इन पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो यह स्थायी विकलांगता का रूप धारण कर सकती है। कहा कि बच्चों में कुछ प्रकार के रोग बेहद आम है। जैसे दांत, हृदय संबंधी अथवा श्वसन संबंधी रोग। यदि इनकी शुरूआती पहचान कर ली जाय तो उपचार संभव है। इन परेशानियों की शुरूआती जांच और उपचार से रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है.जिससे अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आती और बच्चों में सुधार होता है। शिविर मेें जांच के दौरान 6 वर्षीय अर्श की भी जांच की गयी और उसकी माता को आवश्यक निर्देश देते हुए रिम्स या रिनपास में ले जाकर इलाज करवाने की सलाह दी गयी। बच्चे की मां ने डाॅक्टर को बताया कि उसका इलाज एवं दवा चल रहा है। मौके पर केंद्र की सेविका तबस्सुम आरा, सहायिका जुलेखा खातून सहित बच्चों की मां मौजूद थीं।
– Varnan Live Report.
Previous articleबच्चों का स्वर्णिम भविष्य बनाने में शिक्षकों की भूमिका अहम : होरो
Next articleबढ़ती कनकनी में बच्चों को राहत, DC के आदेश से क्या हुआ स्कूलों का नया समय, पढ़ें
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply