दावा… कोरोना अब खात्मे की ओर!

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– नीरज कुमार झा

नई दिल्ली : फरवरी मार्च से लेकर लगातार पूरी दुनिया में तबाही मचाए रखने वाली महामारी कोरोना अब अपने अवसान की ओर है। यह अब उतनी प्रभावकारी नहीं रही और एक तरह से कहा जाय तो यह प्रभावी तरीके से खत्म हो चुका है। इसलिए, अब किसी भी तरह की वैक्सीन की भी कोई जरूरत नहीं है। यह दावा किया है अमेरिकी कंपनी फाइजर फार्मास्यूटिकल के पूर्व उपाध्यक्ष और मुख्य वैज्ञानिक डॉ माइकल येडोन ने। अपने एक लेख में डॉ. माइकल ने दावा किया है कि कोरोना महामारी प्रभावी ढंÞग से खत्म हो गयी है। अब कोविड-19 महामारी को खत्म करने के लिए वैक्सीन की बिल्कुल जरूरत नहीं है। खबरों के अनुसार डॉ. येडोन का कहना है कि लगभग 30 फीसदी आबादी में प्रतिरोधक क्षमता है और यह माना जाये कि वायरस की संक्रमण दर 20-30 फीसदी के बीच है, तो इसका मतलब हुआ कि 65-70 फीसदी जनसंख्या में इम्यूनिटी डेवलेप हो चुकी है। अर्थात महामारी प्रभावी रूप से खत्म हो गयी है और इसे आसानी से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा नियंत्रित कर सकती है। इस धारणा के आधार पर अब देश को सामान्य जीवन जीने की अनुमति दे देनी चाहिए। 

वैक्सीनेशन पर उठाए सवाल

30 सालों से ज्यादा समय तक नयी (एलर्जी और श्वसन) दवाइयों पर शोध करने वाले डॉ. माइकल ने कोरोना से कथित बचाव को लेकर वैक्सीनेशन पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा- आप उनलोगों को वैक्सीन नहीं दे सकते, जिन पर बीमारी का कोई खतरा नहीं है। वहीं, आपने उस योजना के बारे में भी विस्तार से नहीं बताया है, जिसके तहत आप लाखों स्वस्थ और फिट लोगों पर ऐसी वैक्सीन को लगायेंगे, जिसका मानव पर बड़े पैमाने पर परीक्षण नहीं किया गया है।  


ऐसे समझें… कैसे डेवलप हुई एंटीबॉडी

डॉ. येडोन के अनुसार यह समझना बहुत जरूरी है कि हर व्यक्ति, जो किसी रेस्पिरेट्री वायरस से संक्रमित हो, जरूरी नहीं कि उसके शरीर में एंटीबॉडी बने। वहीं कई लोग जिनमें पहले से इम्यूनिटी होती है, वो पूरी तरह से संक्रमित भी नहीं होते हैं। जबकि जिन लोगों में महत्वपूर्ण लक्षण थे, जो अस्पताल में भर्ती हुए, उनमें एंटीबॉडी विकसित हुई, लेकिन जिनमें कम लक्षण थे, उन सभी में एंटीबॉडी नहीं पैदा हुई। वहीं जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, उनके खून में टी सेल्स दिखीं, जो सार्स-कोव 2 के खिलाफ लड़ने में अहम होती हैं। इस प्रकार 65-70 फीसदी लोगों में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) डेवलप हो चुकी है।

Photo courtesy : google images

सामान्य ठंड के असर में भी मिलेगी पॉजिटिव रिपोर्ट

डॉ. येडोन ने कोविड-19 जांच की सबसे विश्वसनीय तकनीक विधि मानी जाने वाली आरटी-पीसीआर टेस्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दो मूलभूत त्रुटियों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि सेज की पहली गलत धारणा यह है कि जनसंख्या का 100 फीसदी वायरस के लिए संवेदनशील था। यह हास्यास्पद है, क्योंकि सार्स-कोव 2 भले ही नया हो, लेकिन कोरोनावायरस नया नहीं है। अगर कोई भूतकाल में संक्रमित हुआ है तो उसकी टी-सेल इम्यूनिटी मजबूत होगी। कोविड-19 की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा रहा है। यह तभी पॉजिटिव परिणाम देगा, जब व्यक्ति सामान्य ठंड के कारण संक्रमित होगा। 

इधर, भारत में कदम-दर-कदम टीकाकरण

भारत कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर विस्तृत योजना पर काम कर रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर केंद्र की तैयारियों की जानकारी दी और कहा कि केवल वैक्सीन के भरोसे मत बैठिए। वैक्सीन कब आयेगी, यह वैज्ञानिकों के हाथ में है। फिलहाल राज्य, संक्रमण रोकने पर फोकस करें। सरकार ने विस्तृत योजना बनायी है। पीएम मोदी ने कदम-दर कदम टीकाकरण अभियान के बारे में बताया। कहा कि टीकाकरण अभियान लंबा चलेगा। इतना बड़ा टीकाकरण अभियान स्मूथ, सिस्टमेटिक और सस्टेंड हो, इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर एक टीम के रूप में काम करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री की इस डिजिटल बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। मोदी ने कहा, कोरोना टीकों का विकास अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम चरण में है। हालांकि, अभी भी हमारे पास कुछ सवालों के निश्चित उत्तर नहीं हैं। जैसे वैक्सीन की एक डोज होगी, दो डोज होगी या तीन डोज होगी। ये भी तय नहीं है कि इसकी कीमत कितनी होगी। इसे बनाने वाली कंपनियों में प्रतियोगिता है। डब्लूएचओ का भी हमें इंतजार करना पड़ता है। भारतीय मूल की दो वैक्सीन मैदान में आगे हैं, लेकिन बाहर के साथ मिलकर कंपनियां काम कर रही हैं।

– Varnan Live Report.

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