खान-पान की चीजों का करते हैं कारोबार तो लगेगा ₹3000 तक का फी, नहीं तो जाएंगे जेल; जानिए क्यों

0
373

बोकारो।  बगैर लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के खाने-पीने की वस्तुओं का कारोबार करना अब काफी महंगा पड़ सकता है। ऐसा करने वालों को छह महीने की जेल हो सकती है और पांच लाख रुपए का जुर्माना तक देना पड़ सकता है। इसके लिए आगामी 1-2 मार्च को चास तथा 3-4 मार्च के बेरमो अनुमंडल में विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। चास एसडीओ शशि प्रकाश सिंह और बेरमो एसडीओ अनंत कुमार के हवाले से पीआरडी ने बताया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के प्रावधान के अनुसार खाद कारोबार करने से पहले अनुज्ञप्ति/पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती है। बिना अनुज्ञप्ति या पंजीकरण के कारोबार करना कानूनन दंडनीय अपराध है तथा 6 माह का कारावास एवं पांच लाख रुपये की जुर्माना का प्रावधान है।बताया कि चास अनुमंडल क्षेत्र के सभी खाद्य कारोबारियों को अनुज्ञप्ति या पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त करने के लिए अनुमंडल कार्यालय परिसर में आगामी दिनांक 01 मार्च एवं 02 मार्च, 2021 को कैंप का आयोजन किया गया है, जिसमे पहुंचकर अपना अनुज्ञप्ति या पंजीकरण करवा ले। 

12 लाख से अधिक के टर्नओवर पर 3000 तक का शुल्क

चास एडीओ आफिस परिसर में 01 मार्च को एफएसएसएआई लाइसेंस के लिए 12 लाख से अधिक का टर्नओवर करने वाले कारोबारियों को सालाना 2000 से 3000 शुल्क रुपए तक का देना होगा। 02 मार्च को एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन के लिए 12 लाख से कम टर्नओवर करने वाले कारोबारियों को सालाना 100 रुपए का शुल्क देना होगा। इसी प्रकार बेरमो अनुमंडल कार्यालय परिसर में 12 लाख से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए 3 मार्च तथा तथा कम वालों के लिए 4 मार्च को शिविर लगाया जाएगा।

इन व्यवसायियों को देना होगा शुल्क

चास व बेरमो अनुमंडल क्षेत्र के सभी खाद्य कारोबारी जैसे खुदरा विक्रेता, थोक विक्रेता, वितरक, विनिर्माता, होटल, रेस्टोरेंट्स, बूचड़खाना, मछली दुकान, अंडा दुकान, सब्जी दुकान, फल दुकान, फूड सप्लीमेंट बेचने वाले दवा दुकान, सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी कार्यालय परिसर में संचालित कैंटीन, स्टोर रूम इत्यादि के संचालक व मालिक या प्रोपराइटर या पार्टनर समेत अन्य छोटे-बड़े व्यवसायियों को सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित होकर अनुज्ञप्ति/पंजीकरण हेतु आवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया गया है। आवेदन संबंधी किसी प्रकार की अधिक जानकारी हेतु अनुमंडल कार्यालय चास में पूर्वाहन 10:00 बजे से अपराह्न 05:00 बजे तक संपर्क किया जा सकता है।

लेकर आने होंगे ये दस्तावेज

लाइसेंस के लिए प्रोपराइटर या डायरेक्टर्स का संपूर्ण विवरण (पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी आदि,आवेदक या प्रोपराइटर का पहचान पत्र, व्यवसाय स्थल के स्वामित्व का प्रमाण पत्र (नोटराइज्ड, सेल डीड, बिजली बिल, रेंट एग्रीमेंट, राजस्व, रसीद इत्यादि), प्रोपराइटरशिप से संबंधित स्वघोषणा पत्र/ पार्टनरशिप डीड, आवेदक/प्रोपराइटर का मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र, मैन्युफैक्चरिंग के लिए अतिरिक्त दस्तावेज, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का फोटो, प्रोसेसिंग एरिया सहित, उत्पादन इकाई का लेआउट/ ब्लूप्रिंट क्षमता के अनुरूप, मैन्युफैक्चरिंग उत्पाद की सूची, उपयोग में लाए जा रहे पेयजल की शुद्धता का जांच रिपोर्ट, होटल/ कैटरर/ रेस्टोरेंट के लिए अतिरिक्त दस्तावेज, बूचड़खाना, मांस विक्रेता आदि के लिए नगर निगम क्षेत्र/ पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा पंजीकरण के लिए आवेदक का पहचान पत्र, अगर पहचान पत्र में व्यवसाय स्थल का पता नहीं है तो व्यवसाय स्थल के लिए पता का प्रमाण पत्र तथा एक पासपोर्ट आकार का फोटो लेकर आना होगा।

– Varnan Live Report

Previous articleनेशनल ओलम्पियाड… 43 हजार में चुने गए बस 5, इनमें 1 बोकारो का भी, जानिए कौन
Next articleचमोली ग्लेशियर हादसा : इस हेल्पलाइन नम्बर पर मिलेंगी सूचनाएं
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply