बोकारो। इस्पातनगरी बोकारो में ऐसे तो कई मंदिर हैं, परंतु
निखिल पारदेश्वर महादेव मंदिर न केवल बोकारो व झारखंड, बल्कि पूरे पूर्वी भारत के लिये एक आध्यात्मिक धरोहर है। नगर के सेक्टर-12डी में आरवीएस कॉलेज के पास स्थित इस मंदिर में 51 किलोग्राम वजन वाले दुर्लभ पारद शिवलिंग विराजमान हैं। जानकारों के अनुसार पारद शिवलिंग (पारदेश्वर महादेव) को संसार का एक अद्वितीय तथा देवताओं की तरफ से मनुष्य को मिला एक वरदान बताया गया है, जो संसार में बहुत कम ही प्राप्य हैं।

जानकारों के अनुसार मंत्र-सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठायुक्त रस-सिद्ध पारे से निर्मित पारद शिवलिंग प्राप्त होना सौभाग्य का सूचक बताया गया है। इनके दर्शन मात्र से ही पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा सौभाग्य का उदय होने लगता है तथा चिरकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। ध्यातव्य है कि यह निखिल पारदेश्वर महादेव मंदिर पूरे पूर्वी भारत का एकमात्र तथा देश का चौथा ऐसा शिवालय है, जहां समस्त विश्व में मंत्र, तंत्र व ज्योतिष को पुन: प्रतिष्ठापित करने वाले परम पूज्य गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी महाराज (डा. नारायण दत्त श्रीमाली) द्वारा प्रदत्त 51 किलोग्राम वजन के दुर्लभ व चमत्कारी पारद शिवलिंग विराजमान हैं।

पारद शिवलिंग अपने-आप में एक वरदान
गुरुदेव डा. श्रीमाली के अनुसार पारद शिवलिंग संसार का एक अद्वितीय और देवताओं की तरफ से मनुष्यों को मिला हुआ वरदान है। इसके दर्शन मात्र से पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा सौभाग्य का उदय होने लगता है। महादेव के इस स्वरुप का पूजन करना अपने-आप में बड़ा ही सौभाग्य माना जाता है। पूर्ण श्रद्धायुक्त समर्पण भाव से इनकी पूजा शीघ्र फलदायी मानी जाती है और सारी मनोकामनाएं पूरी होती ही हैं। सामान्यतः पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य है। इसे ठोस बनाने के लिए मूर्च्छित, खेचरित, कीलित, शम्भू, विजित और शोधित जैसी कठिन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है और उससे विशेष शिवलिंग का निर्माण होता है।

स्थायी लक्ष्मी की होती है प्राप्ति
शिवलिंग निर्माण के बाद कई मांत्रिक क्रियाओं से गुजरने पर ही पारद शिवलिंग रस-सिद्ध एवं चैतन्य हो पाता है। इसीलिए कहा गया है कि जिसके घर में पारद शिवलिंग है, वह अगली कई पीढि़यों तक के लिए ऋद्धि-सिद्धि एवं स्थायी लक्ष्मी को स्थापित कर लेता है। पारद शिवलिंग का दर्शन अत्यंत दुर्लभ, चमत्कारी और सकारात्मक फलदायक माना जाता है। उन्होंने कहा कि इनके दर्शन मात्र से ही एक अलौकिक शांति मिलती है। जो भी सच्चे मन से यहां प्रार्थना करता है, प्रभु निखिल और महादेव उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। सात वर्ष पूर्व निखिल पारदेश्वर महादेव मन्दिर की स्थापना झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री समरेश सिंह के सहयोग से की गई थी।