घर को आग लगी घर के चिराग से…

दिल्ली/रांची/बोकारो : ‘दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग से, इस घर को आग लग गई घर से चिराग से।’ यह शेर आज झारखंड की राजनीति में सटीक बैठता नगर आ रहा है। क्योंकि, झारखंड में आजकल सत्ता का सिंहासन डोल रहा है। विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष में भी सरकार को अपदस्थ करने की कोशिशें जारी हैं। इसी बीच खबर यह सामने आ रही है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने इतिहास से शायद कोई सबक नहीं सीखा और यही वजह है कि अब उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। शायद यही वजह है कि 1932 का खतियान, भााषा-विवाद जैसे मुद्दे उठाये जा रहे हैं। दरअसल, हेमंत सरकार पर सबसे बड़े खतरे की वजह उनके परिवार में फूट मानी जा रही है। इतिहास गवाह है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को तमाड़ विधानसभा चुनाव में राजा पीटर से पराजय का सामना करना पड़ा था। अब अगर वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो कभी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के सबसे प्यारे पुत्र रहे दुर्गा सोरेन की धर्मपत्नी आज हेमंत सोरेन के गले की फांस बन चुकी हैं। वह सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मुखर हैं। उनकी पुत्री ने दुर्गा सोरेन सेना के नाम से एक संगठन बनाया है, जो हेंमंत सोरेन के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है।
अमित शाह ने मंगाई दागदारों की सूची
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड में चल रहे सियासी खेल के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विशेष टीम रांची भेजकर झारखंड में पुलिस व प्रशासनिक सेवा में तैनात दागदार अधिकारियों की सूची मंगवाई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भेजी गई जो विगत शुक्रवार (1 अप्रैल) को आयी थी और बुधवार (6 अप्रैल) को लौटी है। इस टीम ने राज्य के 11 आईएएस और 7 आईपीएस अधिकारियों की पूरी खरीद-बिक्री एवं प्रोपर्टी का विवरण अपने साथ दिल्ली ले गई है।
सरकार गिरने पर खतरा… झामुमो परिवार का टूटना कहीं बन जाए पतन का कारण
एक पुरानी कहावत बार-बार दोहराई जाती है, जब एक जहाज डूबने लगता है, तो चूहे सबसे पहले सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए दौड़ पड़ते हैं और झारखंड में इन दिनों यही हो रहा है। 2021 में अश्विन नवरात्रि के दौरान कई सियासी दिग्गजों की उपस्थिति में अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से कहा था- 2022 चैत्र नवरात्र तक अगर हम यूपी चुनाव जीतते हैं, तो यह तय है कि झारखंड भी हमारी झोली में होगा। अब ऐसा ही आसन्न लगता है। इस बीच कांग्रेस के 11 विधायक एक मंत्री और झामुमो सहित 5 विधायक दिल्ली, रांची, बोकारो, धनबाद और पटना के विभिन्न स्थानों पर अमित शाह के बेहद करीबी सहयोगियों से मिल चुके हैं। इधर, इस संवाददाता से एक बातचीत में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व सीएम ने अपना नाम उद्धृत नहीं करने की शर्त पर बताया कि अब हेमंत सरकार के लिए गिनती के दिन हैं। यह निश्चित नहीं है कि भाजपा का मुख्यमंत्री होगा, लेकिन यह निश्चित है कि भाजपा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से झारखंड पर शासन करेगी। यहां तक कि झारखंड राज्य में राष्ट्रपति शासन भी भाजपा का शासन है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने भी इस संवाददाता से बातचीत में संकेत दिया कि यह झामुमो का आंतरिक मामला है। अब वह कैसे अपने कुनबे को संभालकर एक साथ रखते हैं, यह वे समझें। लेकिन, यह सच है कि झामुमो परिवार टूट रहा है और यह अच्छी तरह से पता है कि परिवार में विभाजन पतन की ओर ले जाता है। उधर, एआईसीसी के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे ने झारखंड कांग्रेस के सभी विधायक को निर्देशित किया है कि जब तक कांग्रेस आलाकमान संकेत नहीं देता, झारखंड के सीएम से नहीं मिलेंगे। कुल मिलाकर झामुमो में बिखराव का फायदा उठाने में भी भाजपा लगी है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के एक शीर्षतम कांग्रेसी नेता हाल ही में बीजेपी का दामन थामने वाले आरपीएन सिंह से लगातार संपर्क में हैं। ऐसे में झारखंड में सत्ता की सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा, देखना बाकी है।
सीता को मनाने की कोशिशें नाकाम …और कोलकाता में मिले बसंत सोरेन

इधर, सीता सोरेन को मनाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं तो अब शिबू सोरेन (गुरुजी) को छोटे पुत्र बसंत सोरेन को हेमंत के साथ लाने में पूरा प्रशासनिक महकमा लगा रहा। झारखंड के एक उच्च आईएएस के अनुसार बसंत सोरेन भी जब इन परिस्थितियों को देखते हुए पर्दे के पीछे चले गये तो उन्हें मनाने की कोशिश में उन्हें ढ़ूंढ़ने का दौर चालू हुआ। सरकार की विशेष टीम ने बसंत को बंगलुरू में ढ़ूंढ़ा, मुम्बई में ढूंढ़ा, दिल्ली में ढूंढ़ा, लेकिन लगातार वे जगह बदलते रहे, वे नहीं मिले। वे मिले भी तो कोलकाता में। अब बसंत को मनाने की कोशिशें जारी हैं।
खनन पट्टा का मामला… कोर्ट ने कहा- यह बेहद गंभीर और सीएम पद का दुरुपयोग

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक के बाद एक मुश्किलों में वह घिरते जा रहे हैं। उनके अपने विधायक जहां उनके खिलाफ बगावत का झंडा लहरा रहे हैं, वहीं विपक्षी दल भाजपा भी उन्हें घेरने में पीछे नहीं है। अब झारखंड हाई कोर्ट ने भी हेमंत सोरेन की परेशानी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए खुद खनन मंत्री की जवाबदेही अपने पास रखने वाले हेमंत सोरेन ने अपने नाम से खनन का पट्टा भी आवंटित करा लिया है। यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कुछ दिन पहले उजागर किया था। अब यह मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंच गया है। अदालत ने इसे गंभीर मामला बताया है। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में पत्थर खनन पट्टे को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने झारखंड सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर और पद के दुरुपयोग का मामला है। जानकारी के अनुसार, शिव शंकर शर्मा ने इस मामले की सुनवाई के लिए झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर रखी है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग करते हुए रांची जिले के अनगड़ा में खुद अपने नाम से पत्थर खनन की लीज आवंटित कर ली है। यह संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन है। लाभ के पद पर रहते हुए इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने पर उस व्यक्ति की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रावधान है।
– Varnan Live Report.