शिष्य को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देनेवाले प्रकाशपुंज हैं गुरु : श्रीमाली

0
609

हरिद्वार के स्वामी नारायण आश्रम में ‘सौभाग्य-कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव’ शुरू

हरिद्वार : देवनगरी हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी नारायण आश्रम में निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से दो-दिवसीय सौभाग्य-कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ मंगलवार को गणपति पूजन एवं गुरु पूजन के साथ हुआ। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरनन्द (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव के पवन अवसर पर प्रथम दिवस गुरुदेव श्री नन्दकिशोर श्रीमाली ने देश-विदेश से हजारों की संख्या में आये श्रद्धालुओं व शिष्यों के बीच अपने प्रवचन की अमृतवर्षा करते हुए गुरु-शिष्य परम्परा पर विस्तृत प्रकाश डाला। 

उन्होंने कहा कि गुरु का कार्य केवल ब्रह्मा, विष्णु और महेश का नहीं, बल्कि शिष्य को निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा देना भी है। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु कभी ब्रह्मा का, कभी विष्णु का तो कभी शिव का रूप धारण करते हैं और यही ब्रह्म अपनी ज्योति गुरु के रूप में अभिव्यक्त करते हैं। इसलिए सीधा-सीधा कहा गया कि गुरु एक प्रकाश-पुंज हैं और गुरु का कार्य है शिष्य की उसकी शक्ति से मिलवाना। जिस दिन शिष्य का अपनी शक्ति से मिलन हो जाता है, उस दिन शिष्य पूर्णता की ओर कदम बढ़ा लेता है। शिष्य के हृदय में आशा और प्रेम की गंगा होनी चाहिए। बिना प्रेम के मन में भाव आ नहीं सकते। जितना अधिक आप अपने भाव को सकारात्मक करोगे, उतना ही अधिक आप अपने अभावों को भी दूर करोगे। जिसका भाव सकारात्मक  नहीं हुआ, उसके जीवन में अभाव आया। इसलिए गुरु आपके भावों को जागृत करने की क्रिया करते हैं। 

उन्होंने कहा कि जीवन में वस्तुओं के स्थान पर अपने भावों को संभाल कर रखना है। बिना प्रेम के भाव आ ही नहीं सकते। उन्होंने दूसरों से प्रेम करने से पहले खुद से प्रेम करने का आह्वान करते हुए कहा कि प्रेम ही सबसे बड़ी शक्ति है। जब प्रेम होगा तो लक्ष्य के प्रति एकाग्रता आएगी। कर्म तो करना ही है, लेकिन उसे अपने भाव के साथ करो। उन्होंने मन की धारा को देवत्व की ओर मोड़ने की प्रेरणा दी।

महोत्सव के पहले दिन गुरुदेव ने शिष्यों को गुरु-दीक्षा के साथ ही हनुमान और पूर्व जन्मकृत दोष निवारण की शक्तिपात दीक्षाएं भी प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन राम चैतन्य शास्त्री एवं मनोज भारद्वाज ने किया। साथ ही महेन्द्र सिंह मानकर के भजन गायन पर सभी साधक झूमते-थिरकते रहे।

– Varnan Live Report.

Previous articleEconomic Boycott will break Muslim community – Is Hindu ready to welcome them
Next articleHindutva movement should have some feminine touch
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply