रांची (देवेंद्र शर्मा)। गढ़वा, पलामू और लातेहार के 49 गांवों के लोगों के लिए आतंक का पर्याय बने आदमखोर तेंदुए की अब खैर नहीं। चार मासूम बच्चों और दर्जनों मवेशियों को अपना निवाला बना लेने वाले आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिये हैदराबाद से मशहूर शिकारी नवाब शफत अली खाना झारखंड सरकार के वन विभाग के विशेष बुलावे पर पलामू पहुंच चुके हैं। उनके साथ उनके टीम सदस्य भी साथ है। टीम के आने पर क्षेत्र के लोगों के बीच यह विश्वास जग रहा है कि अब आदमखोर तेंदुए की खैर नहीं। खान और उनकी टीम सदस्यों ने वन विभाग और प्रभावित क्षेत्र के लोगों से तेंदुए की हर हलचल की जानकारी हासिल करनी शुरू कर दी है ।लोगों का कहना है कि तेंदुआ अपनी जगह तेजी के साथ बदल रहा है। हर हमले के बाद वह छुप रहा है। लोगों का कहना है कि आदमखोर तेंदुए झारखंड के जंगल का नहीं है ।सम्भावना है कि वह या तो मध्य प्रदेश अथवा छत्तीसगढ से झारखंड में आ चुका है।

लोगों का कहना है कि गढ़वा में तीन और लातेहार में एक बच्चे को उठा ले जा उसे खा जाने वाला एक ही तेंदुआ है। झारखंड के तीन जिले गढ़वा, पलामू एवं लातेहार में आदमखोर तेंदुआ का आतंक है। भय के कारण लोगों के आंखों से नींद उड़ गई है। डर-भय का आलम यह है कि शाम ढलते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं। वहीं अपने बच्चों पर कड़ा पहरा रखे हैं। बच्चों को घर के आंगन तक में अकेले नहीं छोड़ा जाता। पिछले दिनों एक बच्चा को आंगन से ही तेंदुआ उठा ले गया था। रामकंडा, भंडरिया और रंका के करीब 49 गांव के लोग खौफ में हैं। वहीं वन विभाग की टीम भी अलर्ट मोड में है। 50 से ज्यादा ट्रैप कमरे लगाये गये हैं। वहीं एक ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। वहीं वन विभाग छोटे-बड़े अधिकारियों को भी लगाया है। मालूम हो कि पलामू क्षेत्र में 10 दिसंबर से चार बच्चों को मारने वाला आदमखोर तेंदुआ अब भी पकड़ से बाहर है।
ट्रैंकुलाइजेशन के जरिए तेंदुए को पकड़ना, पहली प्राथमिकताः वन विभाग



राज्य के प्रमुख वन्यजीव वार्डन शशिकर सामंत ने कहा कि पशु को आदमखोर घोषित करने के लिए कुछ आधिकारिक औपचारिकताएं हैं। ट्रैंकुलाइजेशन के जरिए तेंदुए को पकड़ना है, उनकी पहली पहली प्राथमिकता है। यह काम विशेषज्ञों द्वारा ही संभव है। इसलिए, हमने नवाब शफत अली खान से सलाह ली है। हमारे प्रयास में मदद करने के लिए। वह न केवल एक विशेषज्ञ है, बल्कि एक जानवर की पहचान करने और उसे काबू में करने के लिए नवीनतम उपकरणों से भी लैस है।
मालूम हो कि बीते 10 दिसंबर को, लातेहार के बरवाडीह ब्लॉक के चिपदोहर इलाके में तेंदुए ने 12 साल की एक बच्ची को मार डाला था। इसके बाद बीते 14 दिसम्बर को गढ़वा के भंडरिया के रोड़ो गांव में 6 साल के बच्चे को मार खा गया था। इसी तरह बीते 19 दिसम्बर को रंका प्रखंड के सेवडीह गांव में 6 साल के तेंदुए ने मार डाला था। गढवा और लातेहार के ग्रामीण क्षेत्र में लोग दिन के उजाला में भी नही निकल रहे हैं। तेंदुआ कब किधर से आक्रमण कर दे, यह कहना कठिन है। जिला प्रशासन और वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की परेशानी और चिन्ता चरम पर है। वन विभाग की हर कोशिश बेकार साबित हो रही है। हैदराबाद के शिकारी खान के पास आज के युग की हर तकनीक उपलब्ध बतायी जा रही है।
Varnan Live Report.