प्रशासनिक संरक्षण में वनभूमि की लूट, अधिसूचित वनभूमि पर खड़ा है वेदांता इलेक्ट्रोस्टील

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कंपनी ने किया 500 एकड़ वनभूमि पर अवैध कब्जा, सीबीआई जांच की मांग

बोकारो : झारखंड में प्रशासनिक संरक्षण में वन भूमि की लूट किस तरह हो रही है, इसका जीता-जागता प्रमाण है बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड स्थित सियालजोरी में संचालित वेदांता-इलेक्ट्रो स्टील कारखाना, जिसकी बुनियाद ही सरकार द्वारा चिन्हित व अधिसूचित वन-भूमि पर खड़ी है। प्रशासनिक संरक्षण में इस कारखाने का निर्माण वन विभाग की 104 एकड़ चिन्हित एवं अधिसूचित (डिमार्केटेड एण्ड नोटिफायड) भूमि पर किया गया। इसके अलावा इस कम्पनी ने वन विभाग की लगभग 400 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण यह कि वन विभाग के अधिकारी खून-पसीना बहाकर इस जमीन को बचाने की कोशिश करते रहे, परन्तु वे इसे बचाने में विफल रहे। जानकार बताते हैं कि अब इस कम्पनी द्वारा वन विभाग की उक्त जमीन को अपने नाम हस्तांतरित करवाने के प्रयास जारी हैं। अगर इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करायी जाय तो बड़े घोटाले का न सिर्फ पर्दाफाश होगा, बल्कि अरबों रुपये मूल्य की सरकारी सम्पत्ति को लूटने व लुटवाने वाले लोग बेनकाब होकर कानून के शिकंजे में होंगे।

चीनी कारीगरों ने बदली भूमि की प्रकृति

दरअसल, कम्पनी ने सैकड़ों की संख्या में चीनी नागरिकता वाले कारीगरों, इंजीनियरों व तकनीशियनों की मदद से और भारी-भारी मशीनों का उपयोग कर महज घंटों में वन भूमि की प्रकृति ही बदल दी। यह काम वर्ष 2008-09 में हुआ, जब इलेक्ट्रो स्टील कम्पनी के पास इस कारखाने का सम्पू्र्ण स्वामित्व था। परन्तु बाद के दिनों में परिस्थितिवश इलेक्ट्रो स्टील ने इसे वेदांता ग्रुप के हाथों इसे बेच दिया और आनन-फानन में वेदांता ग्रुप ने इसे खरीदकर इसका नाम वेदांता-इलेक्ट्रो स्टील कर दिया।

वन संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन

जानकार बताते हैं कि वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन विभाग द्वारा चिन्हित एवं अधिसूचित भूमि पर किसी तरह का निर्माण आदि नहीं किया जा सकता है। यदि राज्य सरकार को भी किसी विशिष्ट परियोजना के लिए ऐसी जमीन की जरूरत होगी तो उसे वन भूमि के अपयोजन की अनुमति भारत सरकार से लेनी होगी। लेकिन, इस कम्पनी ने भारत सरकार के वन संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन किया है। 

जब हाई कोर्ट में गिड़गिड़ाने लगी हेमंत सरकार

दरअसल, झारखंड में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से वन भूमि की हो रही खुली लूट के एक मामले में सुनवाई करते हुए लगभग तीन माह पूर्व झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सरकार की बखिया उधेड़ दी। नवम्बर 2022 के प्रथम सप्ताह में झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एस एन प्रसाद की खंडपीठ में राज्य में वन भूमि पर अतिक्रमण करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि- ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों ने मिलीभगत कर वन भूमि को बेच दी है। इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी।सरकार ने जवाब देने का मौका मांगा। झारखंड सरकार की ओर से तीन सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की जा रही थी, लेकिन अदालत ने कहा कि कोर्ट इतना समय नहीं दे सकती है। सरकार के बार-बार आग्रह करने के बाद अदालत ने दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। हालांकि, सरकार ने हाईकोर्ट में क्या जवाब दिया, इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन, इतना तो तय है कि वन भूमि की लूट पर हाईकोर्ट भी राज्य सरकार से सख्त नाराज है। मालूम को किइस संबंध में आनंद कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य के विभिन्न वन प्रमंडलों की पचास हजार हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। कुछ जगहों पर अधिकारियों की मिलीभगत से वन भूमि बेच दी गई है।

कंपनी प्रतिनिधि का कोई जवाब नहीं

वेदांता-इलेक्ट्रोस्टील कारख्राना के अवैध वनभूमि पर खड़ा होने को लेकर अब कंपनी के अफसर भी कुछ बोलने को शायद तैयार नहीं। मामले में अद्यतन जानकारी और कंपनी का पक्ष जानने के लिए जब वेदांता-इलेक्ट्रोस्टील की निगमित संचार अधिकारी तान्या गुप्ता से उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन का उत्तर नहीं दिया।

– Varnan Live Report.

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