महिला दिवस विशेष : डिजिटल समानता और नारी सशक्तिकरण, जरूर पढ़ें

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प्रौद्योगिकी में महिलाओं और अन्य हाशिए वाले लोगों को लाने से अधिक रचनात्मक समाधान होते हैं और नवाचारों के लिए अधिक क्षमता होती है। संयुक्त राष्ट्र महिला लिंग स्नैपशॉट 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल दुनिया से महिलाओं के बहिष्कार ने पिछले दशक में कम और मध्यम आय वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद से $ 1 ट्रिलियन को कम कर दिया है – एक नुकसान जो कार्रवाई के बिना 2025 तक $ 1.5 ट्रिलियन तक बढ़ जाएगा। इस प्रवृत्ति को उलटने के लिए ऑनलाइन हिंसा की समस्या से निपटने की आवश्यकता होगी। डिजिटल प्रौद्योगिकी 2030 एजेंडा के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपार अवसर प्रदान करती है।

– डॉ. निरुपमा कुमारी, रामरूद्र +2 उच्च विद्यालय चास, बोकारो
ईमेल- jhanirupama81@gmail.com

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क में घंटों काम के लिए बेहतर वेतन तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए हजारों महिलाएँ सड़क पर उतरी थीं। महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था, उन्होंने साल 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता वर्ष 1996 में प्रदान की गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे ‘अतीत का जश्न, भविष्य की योजना’ थीम के साथ शुरू किया गया था। इस वर्ष इसका थीम है “डिजिटल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी”। यह विषय महिलाओं की स्थिति (सीएसडब्ल्यू -67) पर आयोग के आगामी 67 वें सत्र के लिए प्राथमिकता विषय के साथ जुड़ा हुआ है, “लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए डिजिटल युग में नवाचार और तकनीकी परिवर्तन, और शिक्षा”।  इसके तहत परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा की आवश्यकता को उजागर किया जाएगाl आईडब्ल्यूडी 2023 बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानताओं पर डिजिटल लिंग अंतर के प्रभाव का पता लगाएगा। यह कार्यक्रम डिजिटल स्थानों में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने और ऑनलाइन और आईसीटी-सुविधाजनक लिंग-आधारित हिंसा को संबोधित करने के महत्व पर भी प्रकाश डालेगा।

माना जाता है कि प्रौद्योगिकी में महिलाओं और अन्य हाशिए वाले लोगों को लाने से अधिक रचनात्मक समाधान होते हैं और नवाचारों के लिए अधिक क्षमता होती है। संयुक्त राष्ट्र महिला लिंग स्नैपशॉट 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल दुनिया से महिलाओं के बहिष्कार ने पिछले दशक में कम और मध्यम आय वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद से $ 1 ट्रिलियन को कम कर दिया है – एक नुकसान जो कार्रवाई के बिना 2025 तक $ 1.5 ट्रिलियन तक बढ़ जाएगा। इस प्रवृत्ति को उलटने के लिए ऑनलाइन हिंसा की समस्या से निपटने की आवश्यकता होगी। डिजिटल प्रौद्योगिकी 2030 एजेंडा के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपार अवसर प्रदान करती है। डिजिटल कौशल और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच के संदर्भ में बढ़ती असमानताएँ तेजी से स्पष्ट हो रही हैं, इस डिजिटल लिंग विभाजन के परिणामस्वरूप महिलाएँ पीछे छूट रही हैं। एक सतत भविष्य के लिए समावेशी और रचनात्मक प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। इस दिशा में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना भी की गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 77वें सत्र में दुनिया भर के सभी क्षेत्रों के विचारक व नेता, न्यूयॉर्क में एकत्रित हुएl इस अवसर पर, भारत में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UN RCO) रिलायंस फाउण्डेशन, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउण्डेशन और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर, ‘महिला, तकनीक और एसडीजी: परिवर्तन के रास्ते को दोबारा आकार देना’ शीर्षक पर चर्चा आयोजित की. इस उच्च स्तरीय चर्चा में शामिल सभी विचारकों ने माना कि भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के ज़रिये समुदायों में बदलाव लाने वाली महिलाएँ, एसडीजी की प्रगति में तेज़ी लाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।
‘महिला प्रौद्योगिकी और एसडीजी’ पर चर्चा के दौरान, भारत के संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा कि “महिलाएँ दीर्घकालिक विकास और अल्पकालिक संकट प्रतिक्रिया, दोनों में सबसे आगे हैं”. ग्रामीण क्षेत्रों में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ती मांग के साथ भारत में अगले चार वर्षों में स्मार्टफोन के एक अरब उपयोगकर्ता होने की उम्मीद है. इस समय भारत में 54% महिलाओं के पास मोबाइल फ़ोन हैं, जबकि चार साल पहले ये आँकड़ा 45.9% था. स्वतंत्र रूप से बैंक खातों का संचालन करने वाली महिलाओं की संख्या, इस समय 53% से बढ़कर लगभग 80% हो गई, जिसमें 22.5% से अधिक भारतीय महिलाएँ, वित्तीय लेनदेन के लिये मोबाइल फ़ोन का उपयोग करती हैं. न्यूजीलैण्ड की पूर्व प्रधानमंत्री और यूएनडीपी की पूर्व प्रशासक, हैलेन क्लार्क ने मानव विकास एजेण्डे को अपनाने के लिये, भारत की सराहना की. उन्होंने सम्पर्क साधनों तक महिलाओं की समान पहुँच सुनिश्चित करने पर बल दिया ताकि वे स्वास्थ्य जानकारी हासिल करने, व शिक्षा, सरकारी सेवाओं, वित्तीय सेवाओं आदि के लिये इसका उपयोग करते हुए समाज में पूर्ण भागेदारी निभा सकें.

रिलायन्स फाउण्डेशन और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउण्डेशन का – ‘आकांक्षाएँ, पहुँच व साधन: तकनीक द्वारा महिलाओं के जीवन में बदलाव’ नामक एक प्रकाशन भी इस आयोजन में जारी किया गया. यह संग्रह, उन महिला नेताओं की कहानियाँ बयान करता है, जो तकनीकी परिवर्तन और सामाजिक आर्थिक समावेश के एजेण्ट के रूप में उभरी हैं और अपने समुदायों को बेहतर भविष्य के लिये मार्ग प्रशस्त करने हेतु, आईसीटी का उपयोग कर डिजिटल सम्बल के रूप में विकसित हुई हैं.
महिलाओं को डिजीटली साक्षर और जागरूक बनाने के लिए भारत सरकार, झारखंड सरकार और स्वयंसेवी संस्थानों ने भी अनेक प्रयास किए हैं :-
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने डिजिटल शक्ति अभियान का चौथा चरण शुरू किया है।
NCW ने इसे साइबरपीस फाउंडेशन और मेटा के सहयोग से लॉन्च किया।
डिजिटल शक्ति:
परिचय:
देश भर में डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं में जागरूकता स्तर को बढ़ाने में मदद करने के लिये जून 2018 में डिजिटल शक्ति की शुरुआत हुई थी।
यह महिलाओं को उनके लाभ के लिये रिपोर्टिंग और निवारण तंत्र, डेटा गोपनीयता और प्रौद्योगिकी के उपयोग में मदद कर रहा है।
इस कार्यक्रम का तीसरा चरण मार्च 2021 में लेह में शुरू किया गया था।
डिजिटल शक्ति 4.0:
डिजिटल शक्ति 4.0 महिलाओं को डिजिटल रूप से कुशल और किसी भी प्रकार के अवैध/अनुचित ऑनलाइन गतिविधि के खिलाफ डटकर खड़े होने के लिये जागरूक बनाने पर केंद्रित है।
इसका उद्देश्य महिलाओं के लिये सुरक्षित साइबर स्पेस सुनिश्चित करना है।

उपलब्धियाँ:
डिजिटल शक्ति परियोजना के माध्यम से पूरे भारत में 3 लाख से अधिक महिलाओं को साइबर सुरक्षा संबंधी सुझावों और उपायों, रिपोर्टिंग एवं निवारण तंत्र, डेटा गोपनीयता तथा उनके लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में जागरूक किया गया है।
इसके अतिरिक्त कौशल विकास योजना के माध्यम से भी महिलाओं में डिजिटल साक्षरता विकसित करने के प्रयास जारी है।

झारखंड सरकार के प्रयास:-
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर झारखंड पुलिस ने एक और नई पहल ‘मेक माई सिटी सेफ’ शुरू की। किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ कुछ गलत हो रहा है या कोई इलाका उनके लिए असुरक्षित है तो सिर्फ झारखंड पुलिस की वेबसाइट पर लॉग इन कर कुछ जानकारी देनी है। पुलिस उस पर त्वरित कार्रवाई करेगी। जानकारी देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। जानकारी देने के लिए झारखंड पुलिस के वेबसाइट jhpolice.gov.in पर लॉग इन करना है। इसके बाद Initiatives में जाकर Make My City Safe पर क्लिक करते ही एक विंडो खुलेगा, जिसमें कुछ जानकारियाँ देनी है।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी वित्तीय साक्षरता और डिजिटल लेनदेन अभियान ‘ई-बात’ के अंतर्गत टाउन हॉल घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम में एक जिला स्तरीय अभियान आयोजित किया। इस कार्यक्रम में डिजिटल वित्त और वित्तीय साक्षरता के बारे में महिला समूहों को जागरूकता सहित प्रशिक्षण दिया।
राँची विश्वविद्यालय के साइबर सिक्योरिटी कोर्स का शुभारम्भ तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने किया l
स्कूलों में आईटी की शिक्षा व्यावसायिक पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है ताकि आने वाली पीढ़ी चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें.
साइबर सेफ्टी और सेक्युरिटी के लिए शिक्षण संस्थाओं में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
इस तरह, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सशक्त होने का जश्न मनाता है और जो वंचित हैं उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक भी करता है. महिलाओं को मिलने वाले संवैधानिक और सामाजिक अधिकार ही उनके शोषण से लड़ने के लिए हथियार साबित हो सकते हैं इसीलिए हमारी सबसे पहली पहली होनी चाहिए कि हम अपने परिवार और आसपास की महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करें। उनके अन्दर वो अंतर्दृष्टि उत्पन्न कर सकें कि वो अपने खिलाफ होने वाले भेदभाव को पहचान सकें. उन दिशाओं की ओर उन्हें उन्मुख कर सके कि वो अपना सर्वोत्तम प्राप्त कर सके और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकें. हमें एकजुट होकर महिलाओं के उत्थान के लिए सुनियोजित प्रयास करने होंगे ताकि आने वाले समय में महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए किसी विशेष दिन की जरूरत ना पड़े।

(लेखिका राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार सम्मानित प्रसिद्ध शिक्षिका हैं।)

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