मामला वनभूमि पर अवैध कब्जे का : हाउसिंग दखल बताकर चला रहे कारखाना, कर रहे व्यवसाय
‘वेदांता इलेक्ट्रो स्टील’ के काले कारनामों की कलई परत-दर-परत खुलती जा रही है. जमीन संबंधी इस धांधली की जांच के क्रम में ही बोकारो के उपायुक्त (डीसी) कुलदीप चौधरी ने एक ऐसी गड़बड़ी पकड़ी है, जो अपने-आप में चौंकाने वाली है. आश्चर्य की बात को यह है कि डीसी के अधीनस्थ मामले की जांच में लगे प्रशासन के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कम्पनी की इस धोखाधड़ी को छुपाने की कोशिश की. जाहिर है, इसके पीछे कहीं न कहीं ‘सेटिंग’ होगी. खैैर…, डीसी ने जमीन मूल्यांकन के क्रम में उस ‘सेटिंग’ को तोड़ते हुए नया खुलासा कर दिया, आइए जानते हैं पूरा मामला
शशांक शेखर
बोकारो : जिले के सियालजोरी और भागाबांध सहित आसपास के इलाके में सैकड़ों एकड़ सरकारी वन भूमि को हड़पकर बाद में उसे येन-केन-प्रकारेण अपने नाम कराने की कोशिश में लगी ‘वेदांता इलेक्ट्रो स्टील’ के काले कारनामों की कलई परत-दर-परत खुलती जा रही है. जमीन संबंधी इस धांधली की जांच के क्रम में ही बोकारो के उपायुक्त (डीसी) कुलदीप चौधरी ने एक ऐसी गड़बड़ी पकड़ी है, जो अपने-आप में चौंकाने वाली है. आश्चर्य की बात को यह है कि डीसी के अधीनस्थ मामले की जांच में लगे प्रशासन के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कम्पनी की इस धोखाधड़ी को छुपाने की कोशिश की. जाहिर है, इसके पीछे कहीं न कहीं ‘सेटिंग’ होगी. खैैर…, डीसी ने जमीन मूल्यांकन के क्रम में उस ‘सेटिंग’ को तोड़ते हुए नया खुलासा कर दिया.
दरअसल, कंपनी की ओर से अवैध रूप से दखल की गई वन भूमि को ‘आवासीय’ बताया गया था. जबकि, कम्पनी ने बिल्कुल ही नाजायज रूप से अतिक्रमण कर धारित उस जमीन पर इस्पात कारखाना स्थापित कर वहां व्यवसाय का संचालन शुरू किया और वह आज भी चल ही रहा है। सेटिंग देखिए, कंपनी ने ‘इंडस्ट्री’ को ‘हाउसिंग’ का मामला बताया और मामले की जांच कर रहे संबंधित अधिकारी ने इसे मान भी लिया. उन्होंने जुर्माना लगाने की औपचारिकता पूरी तो की, परंतु ‘हाउसिंग’ के हिसाब से ही. उन्होंने पहले कंपनी पर 20 करोड़ का जुर्माना लगाया. बाद में जब बात ‘इंडस्ट्री’ की समझ में आई, तो 20 करोड़ को बदलकर 35 करोड़ के जुर्माने का खाका तैयार किया. उन्होंने अपनी यह रिपोर्ट जब डीसी को सुपुर्द की, तो उन्होंने गहनता से इसकी जांच की. इसी क्रम में डीसी ने कंपनी की चालाकी पकड़ी. उन्होंने संबंधित अधिकारी को बताया कि इस जमीन के ‘आवासीय’ होने का तो सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि जमीन ‘इंडस्ट्री’ के नाम दखल है और उसका बाकायदा व्यावसायिक उपयोग भी किया जा रहा है. ऐसे में जुर्माना उसी हिसाब से लगेगा. इसके तहत डीसी ने कंपनी को 55 करोड़ रुपए के जुर्माने का नोटिस भेज दिया है.
उल्टा चोर कोतवाल के डांटे… कंपनी के अधिकारी ने नोटिस पर जताया ऐतराज
कंपनी के अधिकारियों की हठधर्मिता और ‘ऊपरी पहुंच’ देखिए कि डीसी के नोटिस को भी उन्होंने गलत बताते हुए इस पर कड़ा ऐतराज कर दिया. उपायुक्त के स्तर से होने वाली उक्त कार्रवाई के बारे में पहले ही सूचना संभवत: लीक कर दी गई और कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने साफ-साफ कह दिया कि कंपनी इस नोटिस को नहीं मानता. ऐसे में ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत यहां चरितार्थ होती दिख रही है. उनकी ओर से मामले को झारखंड सरकार के राजस्व सचिव के पास रेफर किया गया. कहा गया कि उनके स्तर से समीक्षा और फैसला लिए जाने के बाद ही कंपनी कोई जुर्माना दे सकेगी.
कहीं फिर ठंडे बस्ते में चला न जाय मामला!
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एक दूरदर्शी सोच के तहत नोटिस का मामला उपायुक्त से ऊपर राजस्व सचिव के स्तर पर पहुंचाया गया है. इधर, अंदरूनी सूत्रों से खबर है कि राजस्व सचिव बहुत जल्द केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले हैं. जाहिर है, अगर उनके प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले मामले की समीक्षा नहीं हुई, तो यकीनन यह मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा. इसके साथ ही, धांधली पर नकेल कसने की उपायुक्त की कोशिश भी कहीं न कहीं व्यर्थ चली जाएगी.
डीसी बोले- कंपनी ने की है गड़बड़ी

इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी ने इस संवाददाता को बताया कि वेदांता-इलेक्ट्रोस्टील की ओर से वन भूमि हड़पने के साथ-साथ जमीन पर कारखाना चलाने और व्यावसायिक उपयोग की बात जमीन संबंधी रिकॉर्ड में छिपाई गई है. ‘हाउसिंग’ के नाम पर रिकॉर्ड बनवाया गया. संबंधित अधिकारी की जांच रिपोर्ट की समीक्षा में यह गड़बड़ी पकड़ी गई है. फिलहाल मामला राजस्व सचिव के पास है. उनके निर्देशानुसार अब आगे की कार्रवाई की जाएगी.
सरकारी निर्देश के आलोक में किया गया मूल्यांकन
उपायुक्त, बोकारो के पत्रांक-3206/रा0, दिनांक-21.12.2022 के प्रसंग में राज्य सरकार के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के पत्रांक-5/स0भू0 बोकारो (ईएसएल)-80/16 237 (5)/रा0/, दिनांक- 20 जनवरी, 2023 के द्वारा विभागीय पत्रांक-4321/रा0, दिनांक-07.12.2022 तथा वर्ष 2018 में विभागीय संकल्प सं0- 48/रा0, दिनांक- 03.01.2017 के आलोक में उपायुक्त, बोकारो को इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड द्वारा अवैध रूप से धारित भूमि की लीज बंदोबस्ती हेतु अद्यतन बाजार दर पर उक्त जमीन का मूल्यांकन करवाने का निर्देश दिया गया है. इसी आलोक में समीक्षा के दौरान ‘हाउसिंग’ और ‘इंडस्ट्री’ का गड़बड़झाला सामने आया.
‘वनभूमि की लीज बंदोबस्ती गैर-कानूनी’
इस संबंध में वन विभाग की ओर से जमीन के मालिकाना हक को लेकर स्थानीय न्यायालय में केस की पैरवी कर रहे एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने सरकार की ओर से उक्त जमीन की लीज बंदोबस्ती संबंधी आदेश पर आश्चर्य प्रकट किया. उन्होंने कहा कि वन विभाग की जमीन किसी को लीज पर नहीं दी जा सकती. वन भूमि की प्रकृति को बदलना बिल्कुल ही गैर-कानूनी है. वैसे भी वेदांता-इलेक्ट्रोस्टील का कारखाना वन विभाग की जिस जमीन पर खड़ा किया गया है, उसके मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में मामला लंबित है. फिर इसी बीच सरकार द्वारा उक्त जमीन की लीज बंदोबस्ती का आदेश दिया जाना गैर-कानूनी है.
– Varnan Live Exclusive
Electrosteel local people ko naukari nahi de raha hai.