भाजपा-विरोधी मतों की गोलबंदी तेज

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इस चुनावी दंगल में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के आमने-सामने रहने के कारण भाजपा-विरोधी मतों की गोलबंदी तेज हो गयी है। भाजपा को अपना दुश्मन मानने वाले अधिकतर मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के साथ खड़े दिख रहे हैं। धनबाद लोकसभा में छह, क्रमश: निरसा, सिन्दरी, धनबाद, झरिया, बोकारो और चंदनकियारी विधानसभा सीटें हैं। निरसा, सिन्दरी और चंदनकियारी में पूर्व सांसद ए के राय की पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का खासा प्रभाव रहा है। निरसा विधानसभा सीट पर आज भी मासस का कब्जा है और वहां के विधायक अरूप चटर्जी इस चुनाव में न सिर्फ खुलकर कांग्रेस के साथ हैं, बल्कि वे उसके लिए चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। बोकारो, धनबाद और बोकारो के शहरी इलाकों में भाजपा समर्थकों की संख्या ज्यादा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस, झामुमो, राजद, झाविमो, आजसू आदि दलों के समर्थकों के मिले-जुले वोट हैं। भाजपा के लिए चिन्ता की बात यह है कि गठबंधन के उसके साथी आजसू पार्टी के किसी नेता ने भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में समय नहीं दिया है, जबकि महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता व कार्यकर्ता कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं।

बोकारो ही नहीं, बल्कि पूरे अखंड बिहार व झारखंड के दिग्गज नेता व ‘दादा’ के नाम से विख्यात समरेश सिंह हालांकि अपना आशीर्वाद भाजपा के पी एन सिंह को दे चुके हैं, लेकिन उनकी पुत्रवधू परिन्दा सिंह बोकारो व चंदनकियारी में कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद के साथ गांव-गांव और घर-घर घूम रही हैं।

लिहाजा दादा के व्यक्तिगत वोट-बैंक में भी सेंधमारी तय है। कुल मिलाकर फिलहाल यह कहना कठिन होगा कि इस चुनावी लड़ाई में पलड़ा किसका भारी होगा, लेकिन धनबाद लोकसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी व कड़ी टक्कर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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