26 जुलाई : कारगिल विजय दिवस पर विशेष- शादी की पहली सालगिरह भी मनायी थी दुश्मनों से लड़ते-लड़ते

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Satish Kumar Jha
Deepak Kumar Jha
बोकारो। कारगिल की लड़ाई में विजय पताका लहराने में बोकारो के भी एक वीर जवान की अहम भूमिका रही है। द्रास सेक्टर कारगिल में तैनात टाइगर हिल पर कब्जे में अहम भूमिका निभाने वाले इस सैनिक का नाम है सतीश कुमार झा। सिख रेजिमेंट की आठवीं बटालियन में क्लर्क के पद पर कार्यरत रहे सतीश कुमार झा ने इस संवाददाता से एक खास बातचीत में कहा कि उस समय उनकी सेवा का मात्र 2-3 वर्ष ही हुआ था और शादी की पहली सालगिरह भी उन्होंने दुश्मनों के साथ लोहा लेते हुए ही मनायी थी। उस समय टेलीफोन की सुविधा भी वहां नहीं के बराबर थी। सैटेलाइट फोन के जरिये सिर्फ एक बार ही परिवार वालों से बात हो पायी। युद्ध के बारे में कुछ नहीं बताने पर भी उनकी मां स्व. दाई सुंदर देवी और पत्नी रीना झा को आभास हो गया था कि वो युद्ध में हैं। परंतु उनके पिता और बड़े भाई संतोष कुमार झा बहुत समझदारी दिखाते हुए सभी को ढांढस बंधाया।
             उन्होंने बताया कि 14 मई, 2009 को वह द्रास सेक्टर में जब दाखिल हुए, उस समय बिषम परिस्थितियों में भी सिख रेजिमेंट के जवानों ने अभूतपूर्व शौर्य का परिचय दिया। न रहने का कोई बैरेक, न ठंढ से बचने के लिए उचित कपड़ों की व्यवस्था, फिर भी खुले आसमान के नीचे रहते हुए भी उनकी रेजिमेंट के सभी जवानों ने टाइगर हिल को चारों तरफ से घेरकर दुश्मनों को पस्त कर दिया। सिख रेजिमेंट ने अपने मोटो “निश्चय कर, अपनी जीत करूं” का बहुत सुंदर उदाहरण पेश किया। परंतु, इस लड़ाई में उनकी रेजिमेंट के एक अधिकारी 34 जवान शहीद हुए और लगभग 100 जवान गम्भीर रूप से घायल हो गये थे। कारगिल पर विजय हासिल करने के बाद आठ सिख बटालियन को टाइगर हिल बटालियन की उपाधि से नवाजा गया था। उन्होंने बताया कि उनके अपने छोटे भाई रोशन कुमार झा भी सिग्नल कोर में रहते हुए द्रास सेक्टर में युद्ध मे शामिल हुए। इस प्रकार उन दोनों भाइयों के लिए कारगिल विजय दिवस का बहुत बड़ा महत्व है।
उन्होंने कहा कि जब भी वो इस युद्ध के बारे में सोचते है तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो वीर जवान जो कभी उनके साथ हंसते-खेलते थे, जिन्होंने देश की भावी पीढ़ी के लिए अपनी जान की कुबार्नी दी, वो अब नहीं हैं, लेकिन उन्हें वो हमेशा अपने साथ ही महसूस करते हैं और करते रहेंगे।
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A file photo of Kargil Vijay Diwas (Courtesy : google images)
              सतीश 30 सितंबर, 2017 को फौज से सेवानिवृत्त हुए, परंत अभी भी मिनिस्ट्री आॅफ डिफेंस (रक्षा मंत्रालय) के अंतर्गत कैंटीन भंडार गृह विशाखपट्नम में कार्यरत हैं, जहां आर्मी नेवी और एयर फोर्स को सामान मुहैया कराया जाता है। इस प्रकार वो अभी भी देशसेवा के कार्य से जुड़े हैं। मूलत: दरभंगा जिलांतर्गत तरौनी ग्राम निवासी कुशेश्वर झा के सुपुत्र सतीश कुमार झा के दो पुत्र हैं- शुभम झा और शशांक झा, जो फिलहाल अध्ययनरत हैं।
           14 मई 1999 से 21 अक्टूबर 2001 तक द्रास सेक्टर में तैनात सतीश ने यह भी कहा कि वो भगवान का बहुत शुक्रगुजार हैं कि उनको देश के लिये जांबाजी से काम करने का अवसर मात्र 2-3 वर्षों की अवधि में मिला, लेकिन मिला तो सही। बहुतों को 30 वर्ष की सेवा के उपरांत भी यह मौका नहीं मिलता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह जन्म अपना सर्वस्व मां भारती की सेवा में न्योछावर करना चाहते हैं।
– Varnan Live Report.

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