प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पहली पारी में कहा था कि वे महात्मा गांधी के अधूरे सपने को साकार करना चाहते हैं, जो इच्छा उन्होंने आजादी के तत्काल बाद जतायी थी। दरअसल, गांधी जी ने आजादी के बाद कांग्रेस को समाप्त कर दिये जाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जी की इच्छा पूर्ति के लिए भारत को कांग्रेस-मुक्त करने का नारा दिया था। गांधी जी का यह सपना धीरे-धीरे साकार हो रहा है। इसे साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं कांग्रेस की अंतिम पीढ़ी के कर्णधार सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी। लोकसभा चुनाव में करारी हार और पूरे देश में पार्टी की फजीहत के बाद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पार्टी के नये तारणहार की खोज की जाने लगी। पर, देश भर में कहीं कोई नहीं मिला। अंतत: डूबती नैया का खेवनहार सोनिया गांधी को बनाया गया। मसलन, घूम-फिरकर फिर बात वहीं आ गई, जो आम कांग्रेसी नहीं चाहते थे, क्योंकि कांग्रेस के इस कुनबे में दिग्विजय सिंह, पी चिदम्बरम और मणिशंकर अय्यर जैसे भारत-विरोधियों का पलड़ा भारी है। ये वही मणिशंकर अय्यर हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में जाकर वहां के एक न्यूज चैनल पर डिबेट के दौरान पाकिस्तानी हुक्मरानों से भारत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार से मुक्ति दिलवाने में मदद मांगी थी। मोदी सरकार द्वारा इनके पुरखों की ओर से जम्मू-कश्मीर पर थोपी गयी विभाजनकारी ‘नीति’ को खत्म कर वहां से भारत-विरोधी धारा 370 हटाने के बाद पाकिस्तान से ज्यादा कांग्रेस का यही कुनबा परेशान है। भारत अपने स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान आज काला दिवस मना रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी ने भी यह मान लिया है कि ‘दुनिया की बात तो छोड़िये, धारा 370 के मुद्दे पर किसी इस्लामिक देश ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साहसिक फैसले से बौखलाये पाकिस्तान के विदेश मंत्री, सेना प्रमुख और विपक्षी दलों के नेता पाक-अधिकृत कश्मीर में डेरा डाले बैठे हैं और वहां से भारत पर हमले की धमकियां दे रहे हैं। जबकि दूसरी ओर अपने ही देश में कांग्रेसी कुनबे के कुछ नुमाइंदे पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे हैं। पूरी दुनिया, खासकर भारत में आतंकवाद फैलाने और भारत को तोड़ने की सोच रखने वाले कुछ पाकिस्तानियों से ज्यादा सदमे में भारत में बैठे ये कांग्रेसी नेता हैं। हाल के दिनों में मीडिया में आये इनके बयानों से इनके पाखंड का खुलासा हो चुका है। देश और दुनिया के लोग इनका असली चेहरा पहचान चुके हैं। यह सच है कि देश की आजादी में कांग्रेस की बड़ी भूमिका थी। पर, यह भी सच है कि देशभक्ति के जज्बे से सराबोर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उन दिनों पूरे देश में कांग्रेस के एकमात्र लोकप्रिय नेता थे। लेकिन, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साथ गद्दारी कर कांग्रेस के उस समय के कर्णधारों ने इतिहास को कलंकित किया है। आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस को खत्म करने की सलाह दी थी, पर हमेशा उन्हें अपना आदर्श मानने वालों ने उनकी इस सलाह को कूड़ेदान में दफन कर दिया। देश तो आजाद हो गया, कांग्रेस आज तक गुलाम है। यही कारण है कि इसमें आंतरिक लोकतंत्र की संभावना आज तक नहीं दिख रही। डॉ कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, नितिन प्रसाद सहित इसी पार्टी के कई दिग्गज नेता जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के मोदी सरकार के फैसले का स्वागत कर चुके हैं, जबकि कांग्रेस पर हावी देश के गद्दारों की टोली पाकिस्तान की भाषा बोल रही है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस का विनाश करने का ठेका कुछ कांग्रेसियों ने ही ले रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि वे देश को ‘नया भारत’ बनाने के अपने अभियान में लगे रहें। देश की जनता उनके साथ है। रही बात कांग्रेस की, तो भारत को कांग्रेस-मुक्त बनाने का बीड़ा कुछ कांग्रेसियों ने ही उठा रखा है!
- Varnan Live.
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