पहला स्वतंत्रता सेनानी
मंगल पांडेय की अमर कहानी।
सन् अठारह सौ संतावन,
खौला मस्त रक्त हिन्दुस्तानी।।
भारतीय सेना ने विद्रोह किया
तो राजवाड़ों ने साथ दिया।।
कुंवर सिंह, झांसी की रानी
गोरों को याद दिलाई नानी।।
पूर्ण सफलता नहीं मिली पर
अभी बंद नहीं हुई लड़ाई।
अब तो और भड़की चिनगारी
क्रान्ति ने ले ली अंगड़ाई।।
क्रान्तिकारी सुभाष चन्द्र ने
फौज आजादे हिन्द बनाया।
अण्डमान द्वीप की धरती से
फिरंगियों को खदेड़ भगाया ।।
अण्डमान को आजाद कराकर
भारत का तिरंगा लहराया ।
सुभाष चंद्र का नाम सुनकर
पूरा लंदन भी अब थर्राया।।
सन् उन्नीस सौ बैयालीस में
महात्मा गांधी ने ललकारा।
गोरों तुम जल्दी भारत छोड़ो
भारतवर्ष है वतन हमारा।।
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
ये मस्ताने फांसी पर झूले।
चन्द्र शेखर आजाद वीर ने,
चुन-चुनकर अंग्रेजों को भूने।।
आजादी की बलिवेदी पर
यहां लाखों वीर हुये कुर्बान।
पन्द्रह अगस्त सैंतालिस को
अंग्रेज मुक्त हुआ हिन्दुस्तान।।
तभी से पन्द्रह अगस्त को हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
दुश्मन जो कोई आंख दिखाए
पटक छाती पर चढ़ जाते हैं।।
– उमेश प्रसाद सिंह निकुंभ,
गायघाट, मुजफ्फरपुर, बिहार।
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