बोकारो। मजदूर अधिकारों औऱ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के मुद्दे को लेकर गुरुवार को आहुत मजदूर संगठनों की हड़ताल का बोकारो में व्यापक असर देखा गया। एक तरफ जहां औद्योगिक संगठनों से जुड़े श्रमिक संगठनों की ओर से जगह-जगह प्रदर्शन किए गए, वहीं बैंक-बीमा के लोग भी आंदोलन में शामिल हुए। कई विस्थापित संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया। बोकारो जिले के बैंकों में भी पूर्ण हड़ताल रही। बैंकों में कार्यरत अन्य संगठनों द्वारा हड़ताल का नैतिक समर्थन किया गया था। फलस्वरूप पूर्णतया कामकाज बंद रहा एवं बैंकों में ताले लटके रहे। बैंक कर्मचारियों ने अपनी-अपनी शाखाओं के सामने खड़े होकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार से जनविरोधी श्रम सुधार कानूनों को वापस लेने, बैंकिंग सुधार कानूनों को वापस लेने, बैंकों का निजिकरण न करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और सुदृढ़ करने, कारपोरेट घरानों द्वारा ऋण लेकर बैंको का पैसा नहीं चुकाने से हो रही आम जनता के जमा पूंजी पर हो रही लूट पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून का प्रावधान किए जाने सहित अन्य मांगों पर प्रकाश डाला। नारेबाजी में महिला कर्मचारियों की भी अच्छी उपस्थिति देखी गई। इस अवसर पर आॅल इंडिया बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन से संबद्ध झारखण्ड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव तथा बोकारो जिला संयोजक एसएन दास ने कहा कि जहां भारत सरकार द्वारा तथाकथित बैंकिंग सुधार के नाम पर आम जनता की जमापूंजी से खिलवाड़ करने की साजिश करते हुए बैंकों के निजीकरण का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दुसरी तरफ काॅरपोरेट घरानों को बैंकों का लाइसेंस देकर उन्हें बैंकिंग व्यवसाय हस्तान्तरित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम जनता के जमा पैसों का सही संरक्षक सरकार ही हो सकती है न कि कोई निजी पूंजीपति। अतः हम अंतिम दम तक सरकार के बैंकों के निजीकरण के मंसूबों को विफल करने हेतु प्रयासरत एवं संघर्षरत रहेंगे। हड़ताल की सफलता में एसएन दास सहित राजेश ओझा, राजेश श्रीवास्तव, एसपी सिंह, अजीत सिन्हा, विभाष झा, अरूण कुमार, प्रदीप झा, अनिल कुमार, पीके श्रीवास्तव, सुदीप पांडेय, राकेश मिश्रा, माणिक दास, अजय जरीका, सागर आचार्या, प्रेम कुमार, नीरज तिवारी, मनमीत कौर, सरिता कुमारी, रेखा कुमारी आदि मौजूद रहे।
– Varnan Live Report.