कसा शिकंजा… BSL ने अवैध कब्जे वाले 5 क्वार्टर कराए खाली, 3 में था पुलिसवालों का डेरा

0
383

● ओपन एरिया में बनाया गया अवैध निर्माण भी तोड़ा गया

● आधा से अधिक क्वार्टरों पर पुलिस वालों का है अवैध दखल

बोकारो ः बोकारो स्टील के आवासों पर अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है। शुक्रवार को प्रबंधन के अधिकारियों ने होमगार्ड जवानों के साथ प्रशासनिक सहयोग से सेक्टर-12 क्षेत्र में पांच अवैध कब्जे वाले आवास खाली करवाए। सम्पदा न्यायालय के आदेशानुसार जिन पांच आवासों को खाली कराया गया, उनमें तीन पुलिस वालों के कब्जे में थे।

खाली कराए गए एक क्वार्टर को सील करते अफसर।

आवास संख्या- 12डी -2206 के ओपेन एरिया में अवैध रूप से बनाए गए 2 कमरे भी इस अभियान के तहत ध्वस्त किए गए। जबकि 12ए स्थित आवास संख्या- 1433, 1324, 1165, 4085 और 1420 शामिल रहे। इसके पहले गुरुवार को सात क्वार्टरों को खाली कराया गया था। उल्लेखनीय है कि बीएसएल के सैकड़ों क्वार्टरों पर अवैध कब्जा है। इनमें 250 को चिह्नित किया गया है। बीएसएल प्रबंधन का दावा है कि इनमें आधे से ज्यादा पर पुलिस कर्मियों का ही अवैध कब्जा है।

– Varnan Live Report.

Previous articleCovid-19 वैक्सीनेशन की तैयारियों के बीच बोकारो में रणनीति तय, जानिए किसे मिलेगी पहले सुई
Next articleESL के विस्तारीकरण से दूर होगी क्षेत्र की बेरोजगारी, CM ने दिलाया मदद का भरोसा
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply