संवाददाता
बोकारो। सरकारी बैंकिंग क्षेत्र में पूंजी निवेश, निजीकरण के खिलाफ और बैंककर्मियों की विभिन्न मांगों को लेकर फेडरेशन आफ बैंक आफ इंडिया स्टाफ यूनियन्स की बैंककर्मियों ने धरना दिया। सेक्टर-4 स्थित बैंक ऑफ इंडिया के जोनल कार्यालय के समक्ष उन्होंने कोविड-19 प्रावधानों के तहत मास्क और सोशल डिस्टेंस के साथ धरना दिया। मौके पर बैंक आफ इंडिया इम्प्लाइज यूनियन, झारखण्ड स्टेट के संगठन सचिव सिद्धेश नारायण दास ने कहा कि बैंकों में कर्मचारियों की संख्या दिन प्रतिदिन घट रही है। इससे जहां ग्राहक सेवा प्रभावित हो रहा है, वहीं कार्यरत कर्मचारियों पर काम का अनावश्यक अत्यधिक बोझ बढ़ता जा रहा है। वे तनाव में जीने को वह अभिशप्त हो गए हैं। साथ ही, बहाली नहीं होने से पढ़े-लिखे लोगों को रोजगार से भी वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिक विरोधी मानसिकता में बदलाव नहीं लाया गया और बैंककर्मियों की मांगें पूरी नहीं की गई तो और धारदार संघर्ष किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेवारी बैक प्रबंधन की होगी। उन्होंने कहा कि बैंककर्मियों की ओर से लम्बे समय से बैंक आॅफ इंडिया प्रबंधन को अपनी मांगों से अवगत कराया जाता रहा है एवं प्रबंधन द्वारा कोई ठोस सकारात्मक पहल नहीं होने पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा है। धरना के बाद आंचलिक प्रबंधक को उन्होंने अपनी मांगों को लेकर स्मार भी दिया। मौके पर एसपी सिंह, प्रदीप कुमार, राकेश मिश्रा, मनमीत कौर, गंगेश्वर तिवारी, सतीश आनंद, विपिन चन्द्रा, विनय कुमार, नीलम कुमारी, पूजा अग्रवाल, कुमारी प्रीति, सुमन कुमारी, नेहा कुमारी, ठाकुर दास बेदिया, राजेश दास, जीतेन्द्र प्रमाणिक आदि मौजूद रहे।
बैंकों में सशस्त्र सुरक्षा प्रहरी समेत ये हैं मांगें
बैंककर्मियों की मांगों में बेहतर ग्राहक सेवा के लिए अविलम्ब सभी संवर्गों में समुचित बहाली, बैंको की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं में भेदभाव बंद करने, चिकित्सीय व्यय की प्रतिपूर्ति का सरलीकरण, बैकों में कार्यरत कैजुअल वर्कर का यथाशीघ्र स्थाई रूप समायोजन, समायोजन न होने तक बैंकों में कार्यरत अधीनस्थ कर्मचारियों के वेतन के अनुसार प्रोराटा भुगतान और उनका मस्टर रोल बनाने, बैंकों की सभी शाखाओं में अविलम्ब सशस्त्र सुरक्षा प्रहरी की बहाली, सभी कर्मचारियों को समान रूप से पद्दोन्नति, बैंक प्रबंधन द्वारा किए गए द्विपक्षीय समझौतों का प्रबंधन उल्लंघन बंद करने, बैंकों में सरकारी पूंजी का विनिवेश बंद कर निजीकरण की प्रक्रिया को अविलम्ब बंद करने आदि शामिल हैं।
– Varnan Live Report.