मौसम विज्ञान के क्षेत्र में नई इबारत रच रहा रांची का केंद्र, साढ़े 6 दशक का रहा है गौरवशाली इतिहास

0
394

23 मार्च : मौसम विज्ञान दिवस पर खास


रांची : आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर समाज की सुरक्षा और भलाई के लिए मौसम, जलवायु और जल विज्ञान सेवाओं के आवश्यक योगदान को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है। जलवायु विज्ञान, पूर्वानुमान और संबंधित गतिविधियों के बारे में जनता को शिक्षित करने के उद्देश्य से मौसम विज्ञान केंद्र, रांची भी 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मना रहा है। इस अवसर पर आइए जानते हैं रांची केंद्र के इतिहास व इसकी गौरवशाली कृतियों की कहानी-

रांची में वेधशाला (मौसम विज्ञान केंद्र) का एक लंबा इतिहास रहा है। इसकी स्थापना 29 सितंबर 1955 को बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा के परिसर में हुई थी। बी एम एयरपोर्ट रांची की स्थापना के बाद वेधशाला को मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अधिकार क्षेत्र में हवाई अड्डे के परिसर के अंदर स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में, 27 मई 2002 को क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र कोलकाता के तहत झारखंड राज्य के गठन के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के गठन के बाद मौसम विज्ञान केंद्र रांची के रूप में उन्नत किया गया। इसे जुलाई 2005 में अपने स्वयं के आरएसआरडब्ल्यू / रडार भवन में स्थानांतरित कर दिया गया और सामान्य जनता और सरकार की संबंधित एजेंसियों को मौसम संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाती है । कृषि, सिंचाई, विमानन, सड़क परिवहन तथा पर्यटन आदि जैसे मौसम संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिए मौसम पूर्वानुमान तथा चेतावनी जारी की जाती है । वर्तमान में श्री अभिषेक आनंद (वैज्ञानिक-C) मौसम केंद्र, रांची के प्रभारी कार्यालय निदेशक है।

निदेशक अभिषेक आनंद की अगुवाई में मिल रही नई बुलंदियां

अभिषेक आनंद, निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र रांची।

मौसम विज्ञान केंद्र, रांची आज कामयाबी की नई बुलंदियां छू रहा है। इसके पीछे निदेशक अभिषेक आनंद का कुशल नेतृत्व काफी कारगर साबित हो रहा है। अभिषेक मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के प्रभारी हैं। 18 मई 1989 को जन्मे आनंद वीआईटी, वेल्लोर, टी.एन. के छात्र थे। इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन में इंजीनियरिंग करने के बाद आनंद ने आईएमडी, एमओईएस, भारत सरकार में वैज्ञानिक के रूप में शामिल होने से पहले, सॉफ्टवेयर सेक्टर और सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया), बोकारो प्लांट में कुछ समय तक काम किया। वह वर्तमान में आईआईटी, पटना से पीएचडी कर रहे है। उनके पास राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित कई पत्र हैं। उनकी रुचि का क्षेत्र रडार एप्लीकेशन, थंडरस्टॉर्म / लाइटनिंग माइक्रोफिजिक्स, साइक्लोजेनेसिस और जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन है।

उम्दा नेटवर्क से इन चीजों की मिलती है सटीक जानकारी

पूरे राज्य में तापमान, वर्षा, पवन, बादल, दबाव और आर्द्रता डेटा के संग्रह के लिए:-  रांची, जमशेदपुर और डाल्टनगंज में 3 विभागीय वेधशाला; बोकारो और चाईबासा में 2 अंशकालिक वेधशाला और 19 कार्यात्मक AWS (स्वचालित मौसम स्टेशन) । वहीं, डीआरएमएस (दैनिक वर्षा निगरानी योजना): 3 विभागीय वेधशाला + 90 गैर-विभागीय वेधशाला, जो वास्तविक वर्षा के संग्रह के लिए है।

रांची मौसम विज्ञान केंद्र का प्रवेश द्वार।

सैटेलाइट, GPS, रडार सहित कई अत्याधुनिक तकनीक का हो रहा इस्तेमाल

रांची मौसम विज्ञान केंद्र में मौसम पूर्वानुमान में उपग्रह रडार अनुप्रयोग के साथ-साथ GPS तकनीक का उपयोग करते हुए Radiosonde Ascent, संख्यात्मक मौसम भविष्यवाणी, गणितीय मॉडलिंग, मानचित्र आधारित पूर्वानुमान और चेतावनी के लिए जीआईएस, वर्षा डेटा विश्लेषण और उत्पाद तैयार करने के लिए मैकरेन सॉफ्टवेयर आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

खराब मौसम की जानकारी के लिए एसएमएस अलर्ट तक की भी सुविधा

मौसम विज्ञान केंद्र, रांची की ओर से कहीं नई पहल शुरू की गई है इसके तहत ख़राब मौसम की चेतावनी/नाउकास्ट के लिए स्थान आधारित एसएमएस अलर्ट से लोगों को प्रदान करने की सुविधा भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राजधानी रांची में स्थापित स्मार्ट स्क्रीन पर मौसम की जानकारी प्रदर्शित करने के लिए राज्य सरकार के साथ सहयोग स्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए आकर्षक मौसम सोशल मीडिया प्रोडक्ट्स की भी सुविधा प्रदान की जा रही है। क्षेत्र विशिष्ट प्रभाव आधारित पूर्वानुमान और चेतावनी।
जीआईएस आधारित चेतावनी और पूर्वानुमान प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध हैं।

– Varnan Live Report.

Previous articleबोकारो की आध्यात्मिक धरोहर है निखिल पारदेश्वर महादेव मंदिर, दर्शनमात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
Next articleपीएम की परीक्षा पे चर्चा में केंद्रीय विद्यालय-1, बोकारो के 2000 बच्चे होंगे शामिल
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply