शशांक शेखर
रांची : मनी लाउंड्रिंग मामले में ईडी के हत्थे चढ़े ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेन्द्र राम की गिरफ्तारी ने एक बार फिर झारखंड में लूट-खसोट और भ्रष्टाचार की कलई खोलकर रख दी है। यह साबित हो गया कि यहां सत्ताधारी दल के नेता हों या विरोधी दल के, अधिकारी हों कर्मचारी, सब के सब लूट-खसोट की बहती गंगा में गोते लगा रहे हैं। राज्य का विकास उनके लिए कोई मायने नहीं रखता, बस अपना विकास होना चाहिए। बहरहाल, धनकुबेर के रूप में सामने आए इंजीनियर वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद अब उसके इकबालिया बयान पर अगर ठोस कार्रवाई होती है, तो निश्चय ही कई ‘बड़ी मछलियां’ ईडी के जाल में होंगी। उसने कई बड़े नाम भ्रष्टाचार के इस खेल के खिलाड़ियों के रूप में लिए हैं। ईडी से पूछताछ में वीरेंद्र ने यह कबूल किया है कि वह तो बस एक अदना सा जरिया बना था। उसने कहा- सिर्फ मैं ही नहीं, यदि पथ निर्माण विभाग, खनन विभाग, वन विभाग, शिक्षा विभाग तथा अन्य विभागों के मुख्य अभियंताओं सहित आईएएस अफसरों और विभागीय सचिवों का पूरा खाका खंगालेंगे, तो ये सारे सैकड़ों करोड़ों का मालिक मिल जाएंगे। इस इकबालिया बयान के बाद अब राज्य के छह आईएएस अफसरों, नौ मंत्रियों और विरोधी दल के लगभग आधा दर्जन नेताओं की नींद हराम हो गई है। उनकी धड़कनें बढ़ गई हैं कि कहीं अगली बारी उनकी तो नहीं। इसके पहले भ्रष्टाचार के मामले में पूजा सिंघल जैसे सचिव स्तर के अधिकारी पर हुई कार्रवाई उनकी जेहन में डर के उदाहरण के रूप में दौड़ रही है।
सचिवों और मंत्रियों को 10 फीसदी तक कमीशन
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार वीरेंद्र ने अपनी स्वीकारोक्ति में कहा कि उसे मात्र 0.3 से 0.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था। उसके बाद 1-10 प्रतिशत तक सचिवों, मंत्रियों, राजनीतिज्ञो तथा विरोधी दल के नेताओं को दिया जाता है। उसमें उपायुक्तों को भी उनकी हैसियत और ईमानदारी के हिसाब से परखा जाता है। ईमानदार को छोड़कर कर अन्य सभी को भी कमीशन जाता है।
फोन खंगाला, तो होगा बड़ा खुलासा
वीरेंद्र राम ने कहा – मैं दूध का धुला नहीं, लेकिन ऐसा कदापि नहीं है कि भाजपा नेताओं ने तथा वर्तमान सरकार के मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदारों तक ने मुझसे पैसा नहीं लिया है। यदि मेरे फोन की जांच की जाय, तो सबों का नंबर और विवरण अंकित हो जाएगा। राम के इस कथन के बाद झारखंड के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों तथा आईएएस अधिकारियों की नींद हराम हो गई है।
पत्नी के करोड़ों के हीरे-जवाहरात
प्राप्त जानकारी के अनुसार वीरेन्द्र की पत्नी राजकुमारी देवी के पास 16 किलोग्राम सोना तथा करोड़ों के हीरे और जेवरात मौजूद हैं। पत्नी राजकुमारी देवी, पिता गेंदा राम, भतीजा आलोक रंजन तथा रिश्तेदारों के नाम से दिल्ली स्थित सर्वश्रेष्ठ डिफेंस कालोनी, छतरपुर, साकेत कालोनी, जमशेदपुर, रांची के पिठौरिया सहित अन्य नौ शहरों में अवैध संपत्ति है। पिता गेंदा राम ने 2014 -19 तक की अवधि में 9.30 करोड़ की संपत्ति खरीदी। दिल्ली में छतरपुर, डिफेंस कालोनी, टाटा, साकेत, पटना, सिवान और कर्नाटक में करोड़ों की संपत्ति मिली है।
संदेह के घेरे में सरकार की चुप्पी, ईडी ने उठाए कई बड़े सवाल
इस बीच ईडी ने कई बड़े सवाल उठाए हैं। सरकार से यह सूचना मांगी है कि कौन-कौन सी योजनाएं मुख्य अभियंता के रहते मिली और एसीबी के डीजीपी को जब ईडी ने पत्र लिखा और जानकारी मांगी, तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इतना ही नही, वीरेन्द्र के खिलाफ एसीबी ने जब पीई (प्वाइंटल इंवेस्टिगेशन) की अनुमति मांगी, तो अनुमति क्यों नहीं दी? 23.69 करोड़ रुपए की लेनदेन कैसे हुई और सरकार इसमें क्यों चुप रह गई? इस संबंध में चार्टर्ड एकाउंटेड मुकेश मित्तल को एसीबी आरोपी बनाएगा तथा वीरेंद्र के परिवार के हरेक सदस्य द्वारा फाइल किए गए आईटी रिटर्न मंगाने की तैयारी की जा रही है। सूचना के अनुसार आयकर विभाग को किसी भी संपत्ति के बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है। ऐसे में वर्ष 2012 से लेकर 2023 तक विभिन्न विभागों में कौन-कौन सचिव, थे, उनकी भूमिकाएं क्या थीं और कितना रिटर्न उन्होंने दिया, इसकी भी जांच बड़ा खुलासा कर सकती है। वीरेंद्र के रिश्वत के पैसों को खपाने में आरके इंवेस्टमेंट, आरपी इंवेस्टमेंट तथा 6 अन्य कंपनियों को ईडी नोटिस करने जा रहा है।
– Varnan Live Report.
सही सूचना मिली