करोड़ों में है इस सांप की कीमत… सपेरे दिखा रहे थे तमाशा, विभाग ने किया गिरफ्तार

0
330


बोकारो। पैसों की खातिर वन्यप्राणियों और जीव-जंतुओं पर अत्याचार की एक और कहानी झारखण्ड के बोकारो में सामने आई। होली के एक दिन पहले गली-मुहल्लों में घूम-घूमकर कर सांपों का तमाशा दिखाने वाले दो सपेरों को गिरफ्तार किया गया। दरअसल, ये दोनों सपेरे जिस सांप को पिटारे में बंद कर उसका तमाशा दिखाते थे, उसकी कीमत जान आप हैरान हो जाएंगे। सैंड बौआ नामक प्रजाति के इस सांप की कीमत 25 करोड़ रुपए तक होती है और इसे नुक्कड़ों और मुहल्ले में दिखाकर सपेरे अपनी जेबें भर रहे थे।
बोकारो के जिला वन पदाधिकारी (DFO) रजनीश कुमार के अनुसार गुप्त सूचना के आधार पर वन विभाग की टीम ने दोनों सपेरों को दबोचा और अति दुर्लभ और बेहद महंगे सैंड बौआ सांप को सुरक्षित रांची के जैविक उद्यान में भिजवा दिया गया। इस सांप को संभालना भी मुश्किल होता है। डीएफओ ने बताया कि सपेरों द्वारा सांप कहां से लाया गया, इस काम में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, इस तमाम पहलुओं को लेकर मामले की जांच की जा रही है।

दबोचे गए सपेरे।

जानिए… क्यों करोड़ों में बिकते हैं ये सांप, क्या है खासियत – बता दें कि दो मुंह वाले इस सांप की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 25 करोड़ रुपये तक बताई जाती है। जैसा कि इसके नाम ‘रेड सैंड बोआ’ से ही ज़ाहिर है कि यह रेगिस्तानी इलाकों में ज़्यादातर पाया जाता है। सैंड बोआ एक दुर्लभ प्रजाति का सांप है। इसका प्रयोग कई प्रकार की दवाईयां, पर्स, कास्मेटिक का समान, कैंसर के इलाज के लिए, नशीली चीज़े, मंहगे पर्फ्यूम और सेक्स पावर बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके हर जगह पर असानी के उपलब्ध नहीं होने के कारण इसकी कीमत करोड़ों में है।

4 साल पहले भी एक होटल से धराये थे सांप समेत 2 तस्कर

गौरतलब है कि बोकारो में सैंड बौआ सांप के कारोबार का मामला 2019 के जून महीने में भी सामने आया था। नगर के सेक्टर-4 थाना क्षेत्र अंतर्गत सिटी सेन्टर स्थित होटल आनंदा के रूम नंबर- 306 से पुलिस ने के सैंड बोआ प्रजाति वाले एक सांप के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया था।

– Varnan Live Report.

Previous articleमहिला दिवस विशेष : डिजिटल समानता और नारी सशक्तिकरण, जरूर पढ़ें
Next articleबोकारो में झारखंड का सबसे बड़ा वनभूमि घोटाला, वेदांता-इलेक्ट्रोस्टील ने ऐसे खोली जमीन हड़पने की नई राह
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply