5 करोड़ की थी योजना, 14 करोड़ का दे दिया टेंडर; काम भी भगवान भरोसे

0
126

चास नगर निगम में फिर धांधली… विधानसभा की समिति ने बहुद्देश्यीय भवन निर्माण में गड़बड़ी पर उठाए सवाल, डीसी से रिपोर्ट तलब

संवाददाता
बोकारो : बोकारो में सरकारी योजनाओं में बड़ी धांधली का एक बार फिर खुलासा हुआ है। मामला चास नगर निगम से जुड़ा है। हालांकि, निगम की गड़बड़ी इसके पहले भी कई दफा सामने आ चुकी है, लेकिन हालिया मामले में अफसरशाही और हेराफेरी का आलम यह है कि जिस योजना के लिए 5 करोड़ रुपए का प्राक्कलन तैयार हुआ था, वह लगभग तीन गुना ज्यादा बढ़ाकर 14 करोड़ रुपये कर दिया गया।  इसके लिए बाकायदा टेंडर हुआ और जो काम हो रहे हैं, उसकी गुणवत्ता भी भगवान भरोसे है। इसे झारखंड विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने काफी संजीदगी से लिया है। समिति ने इस कथित धांधली पर सवाल खड़े किए हैं और जिले के उपायुक्त कुलदीप चौधरी से मामले की जांच कराकर रिपोर्ट जल्द सुपुर्द करने को कहा है।
बता दें कि विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने दो-दिवसीय बोकारो दौरे के क्रम में यह खुलासा किया। समिति के सभापति निरल पूर्ति और सदस्य अमर बाउरी ने चास नगर निगम के द्वारा बनाए जा रहे बहुउद्देशीय भवन सहित अन्य योजनाओं की जांच की। सभापति ने निगम द्वारा बनाये जा रहे बहुउद्देशीय भवन निर्माण कार्य में गड़बड़ी और 5 करोड़ के प्राक्कलन को 14 करोड़ किए जाने पर सवाल खड़े किए। समिति ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी नाराजगी जताई और कुछ सैंपल प्लास्टिक में जांच के लिए भरकर ले गई।

नियम के विपरीत कार्य का आवंटन

इस दौरान समिति ने चास अनुमंडल कार्यालय और वन विभाग के द्वारा नगर वन विश्रामागार के निर्माण कार्य का भी निरीक्षण किया। वहां भी समिति को काफी गड़बड़ी मिली है। समिति के सभापति ने दोनों ही जगहों पर कार्य में गुणवत्ता और कार्य की गति पर सवाल खड़ा किये हैं। समिति के द्वारा सैंपल भी लिए गए हैं। विधानसभा की समिति के सभापति और सदस्य ने कहा कि नगर निगम के द्वारा बनाए जा रहे 5 करोड़ की लागत से बहुउद्देशीय भवन का प्राक्कलन बनाकर निविदा निकाली गई थी, लेकिन यह निविदा अब 14 करोड़ की हो चुकी है और कार्य भी उसी संवेदक को दिया गया है, जो नियम के विपरीत है। क्योंकि, किसी भी निर्माण कार्य में 25 फीसदी तक ही डेविएशन किया जा सकता है। ऐसे में यह गंभीर जांच का विषय है। कमेटी ने डीसी के माध्यम से रिपोर्ट समिति को भेजने का निर्देश दिया है और समिति के द्वारा विधानसभा में बैठक कर सभी अधिकारियों को पर जवाब देने का भी निर्देश दिया गया है।

बड़ा ‘गोलमाल’, विधानसभा में रखेंगे मामला

प्राक्कलन समिति के सदस्य एवं चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने कहा कि कमेटी काम से संतुष्ट नहीं हैं। जांच के लिए आदेश दिया गया है। डीसी प्रतिवेदन देंगे और विधानसभा की जो विभागीय बैठक होगी, उसमें इसकी समीक्षा कर मामले को आगे बढ़ाया जाएगा। नगर निगम का पांच करोड़ का ठेका था, जो बढ़ते हुए 14 करोड़ रुपए तक चला गया है। एक ही ठेकेदार को बार-बार दिया जाता रहा। किस परिस्थिति में यह रिवाइज किया गया है? जबकि मूल प्राक्कलन से 25 फीसदी की ही बढ़ोत्तरी होती है। तिगुना प्राक्कलन भागा है, तो उसकी पूरी जांच होगी। छोटा गोलमाल बड़ा हो जाता है। सैंपल लिया गया है। डीसी को जांच प्रतिवेदन देने को कहा गया है। समिति अपनी तरफ से इसका पूरा अध्ययन कराकर तकनीकी पहलुओं के साथ संबंधित विभाग के पदाधिकारियों से बात कर निर्णय लेगी और विधानसभा को अवगत कराएगी।
अमर कुमार बाउरी
सदस्य, झारखंड विधानसभा प्राक्कलन समिति।

काम में भारी ढिलई

स्थल निरीक्षण के क्रम में भ्रमण किया। जिन दो जगहों का दौरा किया, दोनों में कहीं भी गुणवत्ता नहीं पाई गई। काम काफी ढ़ीला-शीला है। ‘थूक पॉलिश’ टाइप का काम हो रहा है, बेढंगा है। उपायुक्त से रिपोर्ट मंगाते हैं। फिर समिति अपने स्तर से इस पर काम करेगी। विधानसभा में रखेंगे। विधानसभा में सभी पदाधिकारियों को बुलाएंगे।
– निरल पूर्ति
सभापति, झारखंड विधानसभा प्राक्कलन समिति।

Previous articleबोकारो के इस स्कूल में VR की मदद से बच्चे अब करेंगे पढ़ाई, जिले के पहले VR Lab का हुआ शुभारंभ
Next articleझारखंड में राज्यपाल की अनूठी पहल- अब राजभवन सीधे जनता तक
मिथिला वर्णन (Mithila Varnan) : स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता'! DAVP मान्यता-प्राप्त झारखंड-बिहार का अतिलोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक अब न्यूज-पोर्टल के अवतार में भी नियमित अपडेट रहने के लिये जुड़े रहें हमारे साथ- facebook.com/mithilavarnan twitter.com/mithila_varnan ---------------------------------------------------- 'स्वच्छ पत्रकारिता, स्वस्थ पत्रकारिता', यही है हमारा लक्ष्य। इसी उद्देश्य को लेकर वर्ष 1985 में मिथिलांचल के गर्भ-गृह जगतजननी माँ जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी की कोख से निकला था आपका यह लोकप्रिय हिन्दी साप्ताहिक 'मिथिला वर्णन'। उन दिनों अखण्ड बिहार में इस अख़बार ने साप्ताहिक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी। कालान्तर में बिहार का विभाजन हुआ। रत्नगर्भा धरती झारखण्ड को अलग पहचान मिली। पर 'मिथिला वर्णन' न सिर्फ मिथिला और बिहार का, बल्कि झारखण्ड का भी प्रतिनिधित्व करता रहा। समय बदला, परिस्थितियां बदलीं। अन्तर सिर्फ यह हुआ कि हमारा मुख्यालय बदल गया। लेकिन एशिया महादेश में सबसे बड़े इस्पात कारखाने को अपनी गोद में समेटे झारखण्ड की धरती बोकारो इस्पात नगर से प्रकाशित यह साप्ताहिक शहर और गाँव के लोगों की आवाज बनकर आज भी 'स्वच्छ और स्वस्थ पत्रकारिता' के क्षेत्र में निरन्तर गतिशील है। संचार क्रांति के इस युग में आज यह अख़बार 'फेसबुक', 'ट्वीटर' और उसके बाद 'वेबसाइट' पर भी उपलब्ध है। हमें उम्मीद है कि अपने सुधी पाठकों और शुभेच्छुओं के सहयोग से यह अखबार आगे और भी प्रगतिशील होता रहेगा। एकबार हम अपने सहयोगियों के प्रति पुनः आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाने में अपना विशेष योगदान दिया है।

Leave a Reply