पटना प्रशासन की दबंगई, मुंशी प्रेमचंद के 97 साल पुराने अखबार के दफ्तर को बुलडोजर लगाकर तोड़ा

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हाईकोर्ट का जजमेंट आने से पहले ही छुट्टी के दिन की एकतरफा कार्रवाई, चीफ जस्टिस से अब न्याय की अपील

विशेष संवाददाता
पटना। शनिवार का दिन पटना प्रशासन के लिए दबंगई के रूप में एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। प्रशासन ने न्यायालय में मामला विचाराधीन होने तथा स्टेटस होने के बाद भी मुंशी प्रेमचंद के 97 वर्ष पुराने हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘चाणक्य’ के कार्यालय को बुलडोजर लगवाकर तोड़ दिया। हाईकोर्ट द्वारा स्टेटस-को देने के बावजूद भवन को तोड़े जाने की कार्रवाई निंदा का विषय बनी हुई है। छुट्टी के दिन इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश से अपील की गई। लीव पिटिशन अपील (एलपीए) केस नंबर 528/22 मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में मामला विचाराधीन है।

इसके बाद भी प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए दबंगई दिखाकर देश के सबसे पुराने हिंदी साप्ताहिक अखबार ‘चाणक्य’ के दफ्तर को बुलडोजर से ध्वस्त करवा दिया। पटना के बुद्ध मार्ग में जीपीओ के सामने 1951 से अवस्थित था। ज्ञातव्य है कि इस संबंध में अखबार की प्रधान संपादक शैलजा बाजपेयी ने पूर्व में ही इस भवन पर हाईकोर्ट से स्टेटस-को ले रखा था। बाद में हाईकोर्ट के जज सत्यव्रत वर्मा की डबल बेंच द्वारा भी मामले को यथास्थिति में बनाए रखा गया था। इस बीच शुक्रवार को 11 अगस्त 2023 को चीफ जस्टिस की बेंच में इस पर डेढ़ घंटे सुनवाई चली तथा जजमेंट को रिजर्व कर लिया गया। फैसला आने के पूर्व ही शनिवार सुबह लगभग 10 बजे प्रशासन ने यह तोड़फोड़ अचानक शुरू कर दी।

पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल के दंडाधिकारी प्रभात रंजन ने दल-बल के साथ पहुंचकर यह कार्रवाई की। उन्हें कोर्ट के कागजात दिखाए गए, लाख उनसे आग्रह किया गया, लेकिन उन्होंने एक न मानी और कार्यालय तोड़वा दिया। इस संबंध में जिलाधिकारी तथा पटना नगर निगम के आयुक्त से भी यह अपील की गई कि क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और जजमेंट आना बाकी है, अतः कोर्ट का आदेश आने तक यह कार्रवाई रोकी जाय, परंतु किसी ने न सुनी। मजिस्ट्रेट प्रभात ने कहा कि उनके आकाओं ने जजमेंट आने से पूर्व ही ऑफिस तोड़ने का निर्देश दिया है। 12 मई 2019 को भी इस भवन को बिना कोर्ट के नोटिस के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त किया गया था।

– Varnan Live Report.

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